Thursday 18 June 2020

334. जलन- कुशवाहा कांत

हर दिल में है जलन
जलन-  कुशवाहा कांत

"तुरन मैं एक कहानी सुनाने आया हूँ... ।"
"कहानी ?" उसने आश्चर्य से कहा।
"हां, आज मैं तुमसे एक प्यासे आदमी की कहानी कहूंगा, जो जिंदगी भर प्रेम की जलन में झुलसता रहा। मेरी ही तरह उसके दिल में जलन थी, सुनोगी।"
"सुनाइये...." उसने उत्सुकता से कहा।
मैं कहने लगा और तुरन दत्त-चित्त होकर सुनने लगी।
(पृष्ठ-11)
तो असली कहानी यहीं से आरम्भ होती है।  

         कहानी है मेहर के जीवन की जो एक कबायली है। शहर काशगर से दूर एक छोटी सी बस्ती है, जिसमें खानाबदोश कबायली रहा करते हैं। यही मेहर अपने बूढे पिता के साथ रहती है जो उस कबीले का सरदार है। मेहर- पन्द्रह वर्ष की‌ कोमल कलिका, सुडौल शरीर, चांद सा मुखड़ा, बड़ी-बड़ी आँखें गुलाबी अधरोष्ठ....।(पृष्ठ-12)
          दुनिया के हर एक आदमी के दिल में जलन होती है। किसी के दिल में जलन है दौलत के लिये, किसी के जिगर में जलन है इज्जतो- इशरत पाने के लिये, किसी के दिलो दिमाग में है अपने दिलबर की मुहब्बत पाने के लिये यह सभी तो जलन ही है। गरज यह कि दुनिया का कोई भी शख्स 'जलन' से बचा नहीं है...(पृष्ठ-99).
    जलन से न तो मेहर बच सकी, न जहूर बच सका, न डाकू सरदार बच सका, न सुल्तान बच सका, न मल्का बच सकी और न सुल्तान का भाई परवेज बच सका।
यह तो एक जलन थी किसी को वासना की, किसी को धन की और किसी को सच्ची मोहब्बत की।
अब यह 'जलन' किस की शांत हुयी और और कौन इस जलन को शांत करने के चक्कर में स्वयं ही शांत हो गया यह तो उपन्यास 'जलन' पढने पर ही बता चलेगा।
         मेहर के प्यार में पागल है मेहर के दुश्मन कबीले के सरदार का पुत्र लेकिन किस्मत और साधू बाबा की चेतानवी मेहर को डाकूओं के पास ले जा पटकती है।
काशगर का सुल्तान अपनी पत्नी के दुश्चरित्र से परेशान होकर अपना सर्वस्व त्याग देता है। वहीं शहंशाह की मलिका नित नये षड्यंत्र रचती है।
            लेकिन परिस्थितियाँ और घटनाएं धीरे धीरे मेहर के इर्द गिर्द एकत्र होने लगती है और उपन्यास आगे बढता है।
कुशवाहा कांत जी लगभग उपन्यासों में काव्य रचनाएँ मिल जाती है उसी का एक उदाहरण देखें-
जिंदगी भर रह गये प्यासे तुम्हारी चाह पर
हो भला अब भी तो कुछ दे दो खुदा की राह पर।


उपन्यास के मुख्य पात्रों का संक्षिप्त परिचय एक नजर में
शहंशाह- काशगर का सुल्तान
मल्का-  शहंशाह की पुत्री
परवेज- शहंशाह का भाई
कमर-  परवेज़ का/की मित्र
अब्दुला- कबीले का सरसार
मेहर-    अब्दुल्ला की बेटी
जुमन-  दूसरे कबीले का सरदार
जहूर-    जुमन का पुत्र
सरदार- डाकूओं का प्रमुख
कादिर- एक गायक डाकू

       कुशवाहा कांत द्वारा रचित और डायमण्ड पॉकेट बुक्स- दिल्ली द्वारा प्रकाशित उपन्यास 'जलन' मेहर नामक युवती के जीवन और काशगर के सुल्तान की दर्द कथा होने के साथ-साथ लेखक कुशवाहा कांत के जीवन के एक अंश का प्रकाट्य रूप भी है।
रोमांटिक उपन्यासकार की यह रचना सामाजिक पाठकों के लिए अच्छी रचना है।

उपन्यास- जलन
लेखक- कुशवाहा कांत
प्रकाशक- डायमण्ड पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 139

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