Sunday 27 December 2020

407. दूसरा चेहरा- एच. इकबाल

कहानी हत्या और ब्लैकमेलर की
दूसरा चेहरा- एच. इकबाल

यात्रा के दौरान मेरे बैग में दो-चार किताबें रहती ही हैं। जब समय मिलता है तो पढ लेता हूँ। विद्यालय में शीतकालीन अवकाश के दौरान घर जाते समय ट्रेन में एच. इकबाल नामक लेखक का उपन्यास पढा।
   लोकप्रिय साहित्य में बहुत लेखकों ने नाम कमाया है, कुछ प्रसिद्धि पा गये और कुछ गुमनाम हो गये।
  एच. इकबाल ऐसे ही लेखक रहे हैं, जिनका नाम अब कम ही सुनाई देता है। 
 उपन्यास कथानक-
  प्रस्तुत उपन्यास की कहानी टीकमगढ नामक शहर पर केन्द्रित है जहाँ कुछ दिनों से ब्लैकमेलिंग और कत्ल की घटनाएं हो रही हैं।
"...इस समय टीकमगढ़ की आधी आबादी उसके कारण तंग आ चुकी है।"
"कारण भी बताइये...।"
"कत्ल और ब्लैकमेलिंग।"
"अच्छा... ।"
"हां, पिछले सप्ताह में पूरे 15 कत्ल हो चुके हैं। और यह सब सुंदर लोगों के थे। यूं समझो कि अपराधी हर अच्छी सूरत वालों का दुश्मन है।" -
(पृष्ठ-45)

टीकमगढ एस.पी. माथुर जी के बुलाने पर विनोद और हमीद नामक जासूस इस समस्या का खात्मा करके टीकमगढ आते हैं।
     उपन्यास की कहानी एक अज्ञात ब्लैकमेलर पर आधारित है जिसने जनता को परेशान कर रखा है और एक समस्या कत्ल की है। शहर में सिलसिलेवार कत्ल हो रहे हैं। स्थानीय पुलिस के असफ़ल होने पर विनोद-हमीद इस समस्या का समाधान करते हैं।        टीकमगढ़ में जो हत्या और ब्लैकमेलिंग का दौर चल रहा है। उस पर एक पंक्ति देखें-
"यह टीकमगढ़ है और यहाँ जरा संभल कर चलने की आवश्यकता है। (पृष्ठ-46)
   कोई तो ऐसा शख्स था जो 'दूसरा चेहरा' प्रयुक्त कर समाज के लिए, शहर के लिए घातक साबित हो रहा था। उस दूसरे चेहरे को बेनकाब करता है यह उपन्यास।

लेखक एच. इकबाल उस दौर के लेखक हैं जब लोकप्रिय साहित्य में रोमांटिक- सामाजिक उपन्यास भी खूब लिखे जाते थे।
उस समय के रोमांटिक उपन्यास लेखकों के विषय में लेखक एच. इकबाल ने लिखा है-
"...आजकल लाखों की संख्या में रोमांटिक उपन्यास छप रहे हैं। किंतु मेरा कहना है कि उनके राइटर उपन्यास लिखने की कला से उतनी ही दूर हैं जितना एक अधर्मी धर्म से।"
अपनी बात को आगे बढाते हुए वह हमीद के माध्यम से कहते हैं-"...वास्तव में ऐसे उपन्यासकारों के हाथों जो मिट्टी राष्ट्रीय भाषा हिंदी की पिट रही है संसार के किसी साहित्य की नहीं पिटी है।"(पृष्ठ-60)
   ऐसा कम ही देखने को मिला है जब कोई लेखक अपनी रचना में समकालीन लेखकों के विषय में कटाक्ष करता है।

       पाठक उपन्यास में विशेष कर जासूसी, मर्डर मिस्ट्री उपन्यास में यह पढना पसंद करता है की अपराधी का पता कैसे चला। लेकिन प्रस्तुत उपन्यास में जो तरीका दिखाया गया है वह किसी दृष्टि से उचित नहीं जान पड़ता।
      इब्ने सफी के प्रसिद्ध पात्र विनोद- हमीद को इस उपन्यास में नायक रूप में दिखाया गया है साथ में उपन्यास के आरम्भ में कासिम की हास्यवृति का चित्रण है लेकिन बाद में कासिम का नहीं नाम नहीं।
प्रस्तुत उपन्यास ब्लैकमेलिंग विषय पर लिखा गया एक मध्यम स्तर का उपन्यास है। जिसका कथानक तो अच्छा है पर प्रस्तुतीकरण प्रभावशाली नहीं है। कहीं-कहीं तो कहानी में तारतम्य भी नहीं बैठता, कुछ 'छूटा' हुआ सा प्रतीत होता है।
  उपन्यास एक बार पढा जा सकता है, याद रखने के तौर पर कुछ विशेष नहीं है।

उपन्यास- दूसरा चेहरा
लेखक-  एच. इकबाल
पृष्ठ- 124
प्रकाशक- दुनिया पब्लिकेशन, दिल्ली

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