Sunday 30 June 2019

211. हादसा- संजय काले

एक हादसा जिंदगी बदल सकता है।
हादसा- संजय काले, मराठी से अनुवादित

हादसा संजय काले जी द्वारा रचित मराठी उपन्यास 'कधीतरी अचानक' का हिन्दी अनुवाद है। संजय काले जी का नाम मेरे किए तो नया है, इसी नयेपन की वजह से यह उपन्यास पढा।

        हादसा एक ऐसे कुछ ऐसे लोगों की कहानी है जो एक कम्पनी में सहकर्मी, दोस्त और पड़ोसी भी हैं। इनकी जिंदगी में कुछ ऐसे हादसे होते हैं जो इनकी जिंदगी को बदल कर रख देते हैं। क्या यह मात्र हादसे हैं या किसी के गहरे षड्यंत्र, खैर यह प्रश्न तो उपन्यास पढने पर ही हल होगा।
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सुबोध एक कम्पनी का प्रमुख है। अमेय, मकरंद और श्री धर उसी कम्पनी के कर्मचारी हैं।
सुबोध, अमेय का बॉस था। उनके बगलवाले बंगले में रहता था। दो घरों की कंपौड वॉल कॉमन थी।
    मकरंद पत्नी का नाम देवी है और उनकी पुत्री का नाम मधु। अमेय की बहन अनघा है।
     उपन्यास में दो पात्र और हैं, एक इंस्पेक्टर धनजंय और उसका सहकर्मी पोपटलाल। इसके अतिरिक्त कुछ गौण पात्र भी उपस्थित हैं।
      उपन्यास की कहानी आरम्भ होती है सुबोध के कत्ल से। सुबोध अपने घर में मृत अवस्था में पाया जाता है और प्रथम दृष्टि यह आत्महत्या का मामला है लेकिन इंस्पेक्टर धनंजय का मानना है की यह कत्ल है।
      इंस्पेक्टर जैसे-जैसे इस केस की जांच करता है वैसे -वैसे उसके सामने कई रहस्य खुलते हैं। जैसे सुबोध की पत्नी और मकरंद की पत्नी का एक ही दिन घर से गायब हो जाना।
कुछ और ऐसी ही रहस्यपूर्ण घटनाएं सामने आते हैं जो कहानी को रोचक बनाती है।


      उपन्यास की कहानी अच्छी है लेकिन हिन्दी अनुवाद के कारण काफी शाब्दिक गलतियाँ बहुत नजर आती है। लेखक ने कथा को एक मर्डर मिस्ट्री की दृष्टि से रोचक न बना कर अन्य पात्रों पर ज्यादा ध्यान दिया है। अगर लेखक चाहता तो अन्य पात्रों के संवादों को अनावश्यक विस्तार न देकर कथा में कसावट बना सकता था।
        उपन्यास के आरम्भ के पृष्ठों में एक कत्ल का आभास होता है लेकिन फिर अमेय और अनघा के वार्तालाप से ऐसा महसूस होता है की यह कोई सामाजिक, पारिवारिक उपन्यास है।
हां, यह प्रसंग वैसे गजब है। कभी लगता है उपन्यास मर्डर मिस्ट्री है तो कभी लगता है सामाजिक है।

 उपन्यास आरम्भ में एक रोचक तरीके आरम्भ होता है।
“पता नहीं इस बिंगो को इतने सवरे रोने को क्या हुवा?” चाय की ट्रे टेबलपर रख़कर  अनघा बोली।
बिंगो पडौसी का कुत्ता था।

          लेकिन मध्यम में बहुत धीमा है लेकिन अंत में उपन्यास बहुत सी रोचक घटनाओं और तीव्रता के कारण पाठक को आकृष्ट करता है।
      उपन्यास के विषय में एक बात कहना चाहता हूँ कि यह उपन्यास चाहे हत्या पर आधारित है लेकिन इसमें कहीं जबरन पैदा किया गया रोमांच या सस्पेंश नहीं है। आप ऐसा मान सकते हैं यह सामान्य परिवेश के लोगों की घटना है जिनके स्वयं के और भी बहुत से दर्द हैं। वे अपनी जिम्मेदारी, मुसीबतों में उलझे हैं। ऐसा कहा जा सकता है यह कहानी कहीं घटित हो और उसे वैसे का वैसा लिख दिया
उप हो।न्यास एक बार पढा जा सकता है।

कुछ रोचक संवाद-
-  इंसान जब अकेला होता हैं, तब अपने ही विचारों से ड़रता हैं।
- "खा पीकर भी, हम वक्त आने पर अपने पिताजी को बेडियाँ पहनाते हैं। हम वर्दी के गुलाम हैं, खिलाने वालों के नहीं।”-


उपन्यास- हादसा
लेखक - संजय काले
मराठी शीर्षक- कधीतरी अचानक
लेखक संपर्क- Sanjaykale55@gmail.com

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