Wednesday 5 June 2019

202. आदमखोर- अनिल सलूजा

अंडरवर्ल्ड गैंगवार की कहानी
आदमखोर- अनिल सलूजा, उपन्यास
भेड़िया सीरिज

अनिल सलूजा जी का एक खतरनाक पात्र है 'भेड़िया'। धर्मराज से शाप प्राप्त, हवस का भूखा, दौलत का दीवाना और खून का प्यासा।
आदमखोर उपन्यास इसी भेड़िया सीरिज की है। उस उपन्यास को पढने का कारण यही था की 'भेड़िया सीरिज' का कोई उपन्यास पढना था।

      यह उपन्यास अंडरवर्ल्ड की गैंगवार पर आधारित है। कालिया पठान अंडरवर्ल्ड का बादशाह है। काली दुनियां पर उसका राज है। पिछले बीस वर्ष से वह दिल्ली अंडरवर्ल्ड
का बेताज बादशाह बना हुआ था। (पृष्ठ -17)
        मकबूल हुसैन और काली सिंह भी अंडरवर्ल्ड के उभरते हुए बदमाश हैं। अब एक शहर में तीन बदमाश तो रह नहीं सकते। काली सिंह और मकबूल हुसैन दोनों एक समझौते के तहत एक साथ हो जाते हैं और कालिया पठान के काले सम्राज्य पर कब्जा करना चाहते हैं। दोनों में गैंगवार चालू है।

        चंदगी राम हरियाणा का एक शातिर बदमाश है। उम्र करीब तीस बत्तीस वर्ष... छोटे-छोटे घुंघराले बाल...लम्बा चौड़ा जिस्म... चौड़ा माथा...पायजामा कुर्त्ता पहने चंदगी राम चौटाला किसी गांव का देहाती नजर आता था। (पृष्ठ-26) चंदगी राम जो खुद को चौथे बाप की औलाद बोलता है। चौथे बाप की औलाद बोल मन्ने।"(पृष्ठ-41)
              काली सिंह और हुसैन को खत्म करने के लिए कालिया पठान चंदगी राम चौटाला की मदद लेता है। जब चंदगी राम चाल चलता है तो चारों तरफ हाहाकार मच जाता है।
               धर्मराज से शाप प्राप्त शैतान भेड़िया भटक रहा है एक शरीर के लिए। और अचानक उसे एक शरीर मिल जाता है और फिर जाग उठती भेड़िये की शैतानी हरकते। दौलत के लिए भेड़िया कहर बन कर टूट पड़ता है।

       बात करे उपन्यास के बारे में तो यह उपन्यास सिर्फ और सिर्फ हिंसा और गैंगवार पर आधारित है। काली सिंह और मकबूल कभी कालिया पठान को मात देते हैं और कभी कालिया पठान इन दोनों को। इनके बीच चंदगी राम अपना खेल खेलता रहता है।
            चंदगी राम के सामने दोनों अंडरवर्ल्ड के डाॅन बिलकुल मूर्ख से नजर आते हैं, चंदगी राम की सामान्य सी बात भी एक बड़ा प्लान बनाकर दिखाई गयी है। जो उपन्यास सौ पृष्ठ में सिमट सकता था उसे 284 पृष्ठों तक फैलाया गया है।
उपन्यास चाहे भेड़िया सीरिज का है लेकिन कहीं से कोई विशेष नजर नहीं आता। जो गैंगवार चल रहा होता है, जिसे चंदगी राम हवा देता है अगर वहाँ भेड़िया न भी होता तो वह वैसे ही चलता। उपन्यास को अनावश्यक रूप से विस्तार दिया गया है और अनावश्यक रूप से भेड़िया सीरिज का बनाया गया है।
मनोरंजन के नाम पर उपन्यास में अश्लीलता और हिंसा का वर्णन है और कहानी कहीं-कहीं हल्की सी नजर आती है।

उपन्यास में एक दो जगह संवाद अच्छे हैं। जैसे
सांप का रुख जब तक दुश्मन की तरफ हो तब तक उसे पुचकारते रहना चाहिए...जैसे ही उसका रुख अपनी तरफ होगा...फौरन उसके फन को लाठी से कुचल दो।"(पृष्ठ-123)

निष्कर्ष-
          इस उपन्यास में सिर्फ गैंगवार की कहानी है। कहीं कोई लाॅजिक वाली बात नहीं है। उपन्यास पूर्णतः हल्के स्तर की उन फिल्मों की तरह है जो गैंगवार, हिंसा और यौन अपराध पर आधारित होती है।
भेड़िये का नाम है उपन्यास में और कुछ नहीं। उपन्यास की कहानी पाठक को निराश ही करेगी।
हां, जिन्हें मारकाट वाली फिल्में पसंद है वो इस उपन्यास को पढ सकते हैं।

उपन्यास- आदमखोर
लेखक-   अनिल सलूजा
प्रकाशक- धीरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-         284
शृंखला- भेड़िया सीरिज

11 comments:

  1. रोचक। वैसे तो अनिल सलूजा के नावेल मिलते ही नहीं हैं। मैंने उनका एक ही उपन्यास पढ़ा था। भेड़िया किरदार तो रोचक लग रहा है।अगर उसको लेकर लिखा गया कुछ मिलेगा तो जरूर पढ़ूँगा।

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  2. बहुत अच्छा नावेल है।

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  3. अनिल सलूजा जी का एड्रेस कहाँ से मिल सकता है।
    साथ मे मोबाइल नंबर भी।
    जिससे भेड़िया सीरीज की सब नावेल मंगवाई जा सके।

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  4. Koi telegram channel nhi h Anil saluja ka jis pr sare novel mil jaye

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  5. पिशाच उपन्यास (भेडिया सिरीज़) कि PDF कैसे प्राप्त करे

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  6. 9355496301 pe what's up kare sir milega

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  7. मुझे पिशाच उपन्यास कि pdf चाहिए
    कृपया मदद करे

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  8. मुझे पिसाच,( भेड़िया सिरीज)
    उपन्यास चहिए
    कृपया मदद करे

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