Tuesday 11 June 2019

206. हाँगकाँग के लूटेरे- सुरेन्द्र मोहन पाठक

हाँगकाँग की धरती पर ड्रग्स माफिया से टक्कर।
हाँगकाँग के लूटेरे- सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुनील सीरिज-15

      रमेश कपूर हाँगकाँग के ड्रग्स धंधे में शामिल था। उसने वहाँ 'तिन-हा' से शादी कर ली। एक कार एक्सीडेंट में रमेश कपूर की मृत्यु हो जाती है। रमेश की अंतिम‌ इच्छा के अनुसार 'तिन-हा' उसके शव को भारत लाना चाहती है। इसके लिए सी. आई. बी. (सेन्ट्रल इंटलीजेंस ब्यूरो) की एक विशेष शाखा 'स्पेशल इन्टलीजेंस' के डायरेक्टर कर्नल मुखर्जी उसकी मदद करते हैं।
तिन-हा एक अमेरिकन मददगार मैक्सन के साथ मुखर्जी की कोठी पहुंचती है और वहाँ उसकी हत्या कर दी जाती है।
स्पेशल इन्टलीजेंस के डायरेक्टर की कोठी पर हत्या।
- क्या रहस्य था रमेश कपूर का?
- कर्नल मुखर्जी जी उसकी मदद क्यों कर रहे थे?
- कर्नल मुखर्जी की कोठी पर आखिर हत्या कैसे हो गयी?
- कौन थे हत्यारे?
- आखिर रहस्य  क्या था? 


       इन सब रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए 'स्पेशल इन्टलीजेंस' के सदस्य सुनील चक्रवर्ती उपस्थित होते हैं। सुनील जिन रास्तों से आगे बढता है वे सब रास्ते बंद कर दिये जाते हैं।
अंत में सुनील को हाँगकाँग की धरती पर जाने का कदम उठाना पड़ा। लेकिन यह इतना आसान न था।
अपनी रिवॉल्वर सुनील की ओर तान दी- ''और बड़े साहब, हिलिएगा नहीं। मैं गोली आपके दिल से गुजार देना चाहता हूँ ताकि आपको कम से कम तकलीफ हो।"

      विदेश धरती पर तो खतरा और भी बढ जाता है और वह भी तब जब की ऐसे आदमी की खोजबीन करनी हो जो ड्रग्स माफिया का सदस्य हो।
       उपन्यास में इंस्पेक्टर प्रभुदयाल का नाममात्र सी भूमिका है। सुनील का यह आरम्भिक उपन्यासों में से एक उपन्यास है जिसमें सुनील 'स्पेशल इन्टलीजेंस' का सदस्य है और कर्नल मुखर्जी के अधीन कार्य करता है। बाद के उपन्यासों में सुनील 'ब्लास्ट समाचार पत्र' के सदस्य के रूप में‌ नजर आने लगा था।

       उपन्यास में हाँगकाँग का आर्थिक चित्रण अच्छा दिखाया गया है। वहां की तात्कालिक आर्थिक स्थिति, लड़कियों की स्थिति आदि पर उपन्यास में कुछ हद तक जानकारी उपलब्ध होती है।
ड्रग्स माफिया और रमेश कपूर तथा तिन-हा के हत्यारों की खोज में‌ निकले सुनील चक्रवर्ती का यह उपन्यास रोचक है।

निष्कर्ष-
हाँगकाँग की धरती पर नशे के व्यापारियों के साथ सुनील के मुठभेड़ पठनीय है।
यह छोटा सा उपन्यास आदि से अंत तक रोमांच पैदा करने वाला है।
उपन्यास-   हाँगकाँग के लूटेरे
लेखक-    सुरेन्द्र मोहन पाठक
प्रकाशक- सुमन पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-        126
शृंखला- सुनील सीरिज -15
प्रकाशन- सितंबर- 1967
 सुनील सीरिज का 15 वां उपन्यास

1 comment:

  1. रोचक है। अभी तक पढ़ा नहीं है लेकिन मिला तो पढ़ना चाहूँगा।

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