Saturday 18 August 2018

134. मौत का रहस्य- परम आनंद

आखिर आ ही गयी मौत...
मौत का रहस्य-परम आनंद, जासूसी उपन्यास, रोचक, पठनीय।

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  कुछ कहानियाँ इतनी रोचक होती हैं‌ की वे पाठक को स्वयं में समाहित कर लेती हैं। मौत का रहस्य भी एक ऐसा उपन्यास है जो पाठक को अपनी तरफ आकृष्ट करने में सक्षम है।
        दमदार कहानी, अच्छा संपादन और तेज गति का कथा‌नक पाठक को अपने साथ बहा ले जाता है।
       मौत का रहस्य की‌ कहानी एक ऐसी युवती की कहानी है जिसके परिचित यही कहते थे की इसके कारनामें एक दिन इस के मौत के कारण बनेंगे। "जल्दी या देर में कोई कोई उसे कत्ल कत्ल करने ही वाला था"- इकबाल ने जवाब दिया-" वह हरकतें ही ऐसी करती थी। (पृष्ठ-70)
दूसरी तरफ एक सीधा-सादा युवक लड़की के आकर्षण में ऐसा फंसा की वह कातिल नजर आने लगा।
मौत का रहस्य एक जबरदस्त मर्डर मिस्ट्री है जिसके रहस्य में पाठक डूब जाता है।
उपन्यास 'मौत का रहस्य' की कहानी कहानी आरम्भ होती है, प्रसिद्ध समाचार पत्र लोकवाणी के प्रबंधक राजन से।   राजन लगभग चार वर्ष से प्रसिद्ध समाचार पत्र 'लोकवाणी' के स्थानीय कार्यालय का प्रबंधक था। (पृष्ठ-03) जुलाई का महीना था। दिन का तीसरा पहर था। राजन अपने कार्यालय में बैठा ऊंघ रहा था। (पृष्ठ-03)      लोकवाणी का प्रकाशक है श्री हरिपद ठीकरी। श्री ठीकरी‌ की गणना अरबपतियों में होती थी। लोकवाणी प्रकाशन समूह में उन का स्थान पूर्णतयाः एक तानाशाह जैसा था। (पृष्ठ-03)
   श्री ठीकरी जी की बेटी मृदुला ठीकरी पढने के लिए शहर आती है और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी राजन को मिलती है। एक दो मुलाकतों के पश्चात राजन और मृदुला नजदीकी शहर अलकापुरी में गुप्त रूप से घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं।
    तय जगह पर जब राजन पहुंचता है तो मृदुला की लाश उसे मिलती है। परिस्थितियाँ ऐसी बनी की राजन उसका कातिल नजर आ रहा था। दूसरी तरफ श्री ठीकरी जी ने राजन को यह जिम्मेदारी दी की वह असली कातिल का पता लगाये।  श्री ठीकरी बोले-"तुम उस व्यक्ति का पता लगाकर बताओ..फिर मैं‌ उस से निपट लूंगा।"(पृष्ठ-47)
अब राज‌न को स्वयं को दोषमुक्त करने के लिए असली कातिल की‌ तलाश थी।
- मृदुला ठीकरी का कत्ल किसने किया?
- मृदुला का कत्ल आखिर क्यों किया गया?
- राजन को कौन अपराधी सिद्ध करना चाहता था और क्यों?
- क्या राजन असली कातिल तक पहुंच पाया?
    
इन प्रश्नों के उत्तर तो परम आनंद का उपन्यास 'मौत का रहस्य' पढकर ही‌ मिल सकते हैं।
     
     उपन्यास में‌ कत्ल की खोजबीन पुलिस और राजन दोनों ही करते हैं लेकिन दोनों का तरीका अलग-अलग है। राजन जहाँ एक साधारण व्यक्ति की तरह पेश आता है तो वहीं जरूरत पडने पर वह खतरनाक भी हो जाता है आखिर उसकी भी जिंदगी का सवाल है। इसलिए तो वह कालू जैसे खतरनाक गुण्डे से भी टकरा जाता है हालांकि उसे वहाँ हार का ही सामान करना पड़ता है लेकिन‌अओनी सूझबूझ मे दम पर वह अपने को सुरक्षित कर लेता है।  उसके साहस की प्रशंसा कालू भी करता है।
"साहसी नौजवान है।"- कालू‌ ने अनिता से कहा, " लगभग उतना ही जीवट वाला है जितना की मैं‌ हूँ, लेकिन बेचारा हमारे शिकंजे में‌ जकङ गया है। (पृष्ठ-96)
         देखा जाये तो उपन्यास में लेखक ने किसी भी पात्र को अतिरिक्त हावी नहीं होने दिया, हालांकि राजन वार-बार मुसीबतों‌ में‌ फंसता है लेकिन वह अपनी बलबुद्धि से बच जाता है।
उपन्यास के क्षेत्र में अच्छा तो यह है की इसका प्रकाशन 'विश्व बुक्स' जैसे एक स्तरीय संस्था ने किया है। कागज की दृष्टि से भी उपन्यास अच्छा है।
    उपन्यास में कहीं अनावश्यक वार्तालाप, दृश्य या कोई घटना नजर नहीं आती। भारतीय जासूसी उपन्यासों एक बड़ी कमी होती है वह है संपादन की कमी लेकिन इस उपन्यास में यह कमी कहीं भी नजर नहीं आती। कथानक इतना कसा हुआ है की अनावश्यक कुछ भी नजर नहीं आता।
निष्कर्ष-
        परम आनंद का उपन्यास 'मौत का रहस्य' एक अच्छी मर्डर मिस्ट्री है। आदि से अंत तक रहस्य की परत में‌ लिपटी यह रचना पाठक को पृष्ठ दर पृष्ठ मनोरंजन और संस्पेंश के  सागर में बहा ले जाती है।
     उपन्यास  कथानक, कसावट, भाषा शैली आदि की दृष्टि से बहुत अच्छा है।
उपन्यास पठनीय है।
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उपन्यास- मौत का रहस्य
लेखक- परम आनंद
प्रकाशक-
पृष्ठ- 143
मूल्य-110₹
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