Wednesday 8 August 2018

132. जैक द क्लाक राइडर- खुशी सैफी

  एक नये संसार का रोमांचक सफर...
जैक- द क्लाॅक राइडर- खुशी सैफी, फतांसी‌ लघु बाल उपन्यास, रोचक।
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हादसे अक्सर जिंदगियां बदल देते हैं और आज भी शायद ऐसा ही कुछ हो चुका था।(पृष्ठ-13)
प्रोफेसर कैन एक वैज्ञानिक हैं और वे अक्सर कुछ प्रयोग करते हैं, एक ऐसा ही प्रयोग उनकी जिंदगी को बदल देता है। एक दिन प्रोफेसर कैन रहस्यम तरीके से अपनी लैब में से गायब हो जाते हैं।

14 साल बाद प्रोफेसर का बेटा जैक जब इस रहस्य को सुलझाने का प्रयास करता है तो उसके सामने बहुत सी चुनौतियां होती हैं और इसमें जैक का साथ देती है उसकी सहपाठी क्रिस्टीन।

'जैक- द क्लाॅक राइडर' लेखिका खुशी सैफी द्वारा लिखा गया एक लघु फतांसी उपन्यास है। उपन्यास चाहे लघु है लेकिन स्वयं में यह एक अद्भुत संसार समेटे हुए है एक ऐसा संसार जो इस दुनिया से बहुत अलग है। एक ऐसा संसार जहां दर्पण और पेड़ बोलते हैं, शेर के मुँह वाले इंसान हैं, बर्फ के कीट हैं
 मैं उस पेड़ की टहनी हूं जिसने तुम्हें कल वो चमकीली बूंद दी थी। (पृष्ठ-61)
- आ...हाह"- शीशे ने जोरदार उबासी ली, "इतनी प्यारी नींद से किसने जगाया मुझे?"- शीशा बोला।(पृष्ठ-64)
- तभी वो पेड़ झूमा और कुछ ही पलों में उस पेड़ का एक बहुत खूबसूरत मेज बन गया। (पृष्ठ-72)
एक थी मैडोना। उस जादूई दुनिया की खतरनाक अपराधी जिस‌ने अपने हर विरोधी को बर्फ का बना दिया।
दीवारों पर बर्फ की बनी तस्वीरें, दूसरी तरफ इंसानी बिल्ली, शेर और कई जानवरों की बर्फ की बनी मूर्तियाँ जिन्हें शायद मैडोना ने हरा कर बर्फ का बना दिया था। (पृष्ठ-92)


उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ पर लिखी पंक्तियाँ भी पढ लेते हैं जो उपन्यास को बहुत अच्छे से परिभाषित करती हैं।
प्रॊफेसर कैन की लैब में एक दिन हुआ ऐसा हादसा की प्रोफेसर कैन हो गये गायब। 14 साल गुजरने के बाद उनके बेटे जैक को पता चला अपने पिता का ये सच।
जैक ने आरम्भ की अपने पिता की खोज........जो उसे ले पहुंची उसके पिता की खुफिया लैब में। जहाँ उसे पता चला चलता है घड़ियों की एक अजब दुनिया का जो इस दुनिया से बिलकुल अलग है।

एक रहस्यम दीवार घङी के उस पार बसी जादू से भरी हुयी दुनिया का एक अनोखा और रोमांचक सफर।

- खुफिया लैब में मिली अजीब घड़ी क्या थी?
- क्या जैक पता चला पाता है अपने पिता का?
- क्या वो उन्हें वापस ला पाया?


जैक एक विद्यार्थी है और क्रिस्टीन उसकी सहपाठी। क्रिस्टीन‌ को लेकर जैक की अपने एक और बदमाश सहपाठी डेनियल से लड़ाई भी होती है।
क्रिस्टीन और जैक का बचपन का साथ है। सिर्फ इसी वजह से डेनियल का जैक से 36 का आंकड़ा रहता है। (पृष्ठ-31)
उपन्यास में डेनियल को जैक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में दिखाया गया है लेकिन उसे उपन्यास में इतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था।
प्रोफेसर हेनरी के संबंध में भी यही बात लागू होती है। जैक और क्रिस्टीन दोनों प्रोफेसर हैरी की मदद लेते हैं लेकिन बाद में प्रोफेसर हेनरी का कहीं वर्णन ही नहीं।
उपन्यास में डेनियल को और भी अच्छी तरह से स्थापित किया जा सकता था तथा जैक और डेनियल के संघर्ष को बढाया जा सकता था ऐसा प्रोफेसर हेनरी के संबंध में‌ भी किया जा सकता था।
हालांकि उपन्यास में इनके वर्तमान चरित्र से किसी भी प्रकार की कमी नहीं आती यह तो उपन्यास को और भी बेहतर बनाने के लिए एक विचार मात्र है।


उपन्यास में कुछ बातें मुझे सही न लगी
- जैक की माँ चौदह साल बाद एक क्रिस्टल क्रिस्टीन‌ की माँ को सौंपती है, यह अंतराल बहुत ज्यादा है।
- जब जैक और क्रिस्टीन गुप्त लैब में जाते है, तो पीछे डेनियल भी लैब में चला जाता है क्योंकि लैब का दरवाजा खुला था। जब लैब गुप्त है तो क्या उसनें ऐसी व्यवस्था न होगी की अंदर जाने पर दरवाजा स्वयं बंद हो जाये।
- उपन्यास में एक और ऐसा दृश्य है जो मुझे सही नहीं जान पड़ता।
गुप्त लैब में जब क्रिस्टीन दीवार को छूती है तो उसे अंदर जाने का रास्ता मिलता है। क्रिस्टीन आधी दीवार में घुस गयी। (पृष्ठ- 46)
लेकिन जैक को वह दीवार ठोस महसूस होती है।
जैक ने दीवार छू कर देखी, जैक ने मुक्का मारा पर दीवार काफी मजबूत थी कुछ नहीं हुआ। (पृष्ठ-46)
क्रिस्टीन के दीवार में घुसने के पीछे एक कारण था जो जैक के पास नहीं था लेकिन जब दोनों दीवार में घुसे तो डेनियल भी दीवार में घुस गया।
जैक उस जादुई दीवार में नहीं घुस सकता तो डेनियल कैसे अंदर चला गया।
डेनियल निकल कर सामने आया और बिना कुछ सोचे समझे दौड़ कर उस दीवार घङी में घुस गया।(पृष्ठ-49)


निष्कर्ष-
                 
खुशी सैफी का प्रस्तुत उपन्यास 'जैक- द क्लाॅक राइडर' एक लघु फतांसी उपन्यास है। हालांकि यह लघु और बाल उपन्यास है लेकिन मनोरंजन की दृष्टि से बहुत रोचक है।
उपन्यास आदि से अंत तक रोचक है। पाठक को एक रोमांचक सफर का जबरदस्त आनंद देने में सक्षम है। उपन्यास पठनीय है इसे पढकर जरूर देखें।
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उपन्यास- जैक - द क्लाॅक राइडर
लेखिका- खुशी सैफी।
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-120
मूल्य- 90₹

2 comments:

  1. बेशक इस उपन्यास में कमी हो सकती है। कभी-कभी अच्छे लेखकों से भी चूक हो जाया करती है। लेकिन इससे खुशी सैफी की प्रतिभा का आंकलन नहीं हो सकता। खुशी में एक बेहतरीन राइटर बनने के गुण हैं। आवाज़ भी माशाल्लाह है। उन्हें समय दीजिये। मुझे लगता है वे कुछ बेहतरीन अपने पाठकों को देंगीं। उन्हें शुभकामनाएं।
    आपके द्वारा रचित उक्त समीक्षा बहुत गहरे पाठक/समीक्षक का आभास देती हैं। आपका आभार।

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  2. दीवार मे घुसना यह हैरी पॉटर से इंस्पिरेशन लगती है और अपने दुश्मनो को बर्फ का बनाना यह नार्निया से इंस्पिरेशन लगती है।

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