Tuesday 21 August 2018

136. रोड़ किलर- शुभानंद

ट्रैफिक नियम उल्लंघन करने वालों का दुश्मन...
रोड़ किलर- शुभानंद, जासूसी बाल उपन्यास, रोचक, पठनीय।
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             इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर नियमों की अवहेलना कर देते हैं। वो ये नहीं देखते की इस अवहेलना से किसी को नुकसान भी हो सकता है। मात्र स्वयं को आगे रखने की यह कोशिश किसी की जान भी ले सकती है।
       अगर बात करें ट्रैफिक नियमों की तो भारत में बहुत से लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते और कुछ लोगों को नियमों का पता भी नहीं होता। जिनकों पता होता है वे भी जानबूझ कर नियमों की अनदेखी करते हैं। यह उपन्यास ऐसे ही नियमों के उल्लंघन करने वालों की कथा कहता है।

शाम का वक्त था।
चौराहे पर रेड लाइट होने पर भी किसी से सब्र नहीं हो रहा था।
गिनती के कुछ वाहन ही स्टॉप लाइन के पीछे रुके थे। बाकी सभी ने धीरे-धीरे आगे बढना आरम्भ कर दिया।
हवा में सनसनाते हुए एक के बाद एक तीर उड़ते हुए आये और स्टॉप लाइन से आगे निकले लोगों के जिस्म में घुसते चले गये। (पृष्ठ-05)

                       वह एक ऐसा व्यक्ति था जो नियमों की अवहेलना करने वालों को मौत के घाट उतार देता था। उस के कारण लोगों में दहशत है। लोग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से डरते हैं,  वह चाहे जो भी हो लेकिन उस के डर से लोगों ट्रैफिक नियमों का पालन करना आरम्भ कर दिया।
रोड़ किलर की करतूतों का शहर के लोगों पर कुछ असर जरूर पड़ा था।
काफी लोग सड़क पर ढंग से चलने लगे थे। (पृष्ठ-18)

- आखिर वह लोगों को क्यों मार रहा था?
- उसका ट्रैफिक नियमों से क्या संबंध था।?
- आखिर कौन था रोड़ किलर?
     
           यह एक छोटा सा उपन्यास है जो एक ऐसे युवक की कहानी है जो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को मार देता है। यही से यह प्रश्न उठता ही वह कौन है और क्यों लोगों को मार रहा है। हालांकि यह रहस्य ज्यादा देर तक नहीं रहता,  एक दो पंक्तियों से ( रोड़ किलर जो गीत गुनगुनाता है) से आभास हो जाता है की वह लोगों को क्यों मार रहा है।
         लेकिन इस के बाद भी उपन्यास में यह रहस्य बना रहता है की उसके जीवन में जो घटना घटित हुयी तो कैसे जिसके कारण वह रोड़ किलर बना। उपन्यास के अंत में भी एक रोचक ट्विस्ट है, हालांकि यह ट्विस्ट पहले कई फिल्मों में प्रयुक्त हो चुका है।
       इस रोड़ किलर को खोजने के लिए राजन- इकबाल, शोभा-सलमा की चौकड़ी तैनात की जाती है और वह रोड़ किलर को खोजती है।
   
           उपन्यास अम्बाबाद शहर की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। अगर देखा जाये तो यह अम्बाबाद शहर गुजरात का अहमदाबाद लगता है। क्योंकि उपन्यास में गुजराती खानपान और बोली प्रयुक्त होती है।
   
          एक अजीब/ सनकी/ सिरफिरे रोड़ किलर और जासूस चौकड़ी का यह उपन्यास रोमांच से भरपूर है।
             
निष्कर्ष-
            एक अलग विषय पर लिखा गया यह लघु उपन्यास बहुत ही रोचक है। पृष्ठ चाहे इसके  कम हैं लेकिन कथा उतनी ही रोचक है।
         उपन्यास रोचक और पठनीय है। पाठक का भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।
         
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उपन्यास- रोड़ किलर (बाल उपन्यास)
ISBN-
लेखक-    शुभानंद
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-    ‌‌‌‌‌    
मूल्य-       50₹

   विशेष-   यह राजन -इकबाल Reborn Series का चौथा उपन्यास है।
         

1 comment:

  1. सही कहा। यह एक रोचक लघु उपन्यास था। मुझे पसंद आया था। राजन-इकबाल रिबोर्न श्रृंखला के ज्यादातर उपन्यास रोचक हैं और पाठक का भरपूर मनोरंजन करते हैं।

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