Friday 30 December 2016

11. दो स्टेट्स - चेतन भगत

 एक नकारात्मक उपन्यास की कथा

चेतन भगत के उपन्यास '2स्टेट्स' में एक प्रेमकथा है। दो IIT करने वाले विद्यार्थी एक प्रेम सूत्र में बंध जाते हैं, लेकिन इस प्रेम को शादी तक पहुंचाने में जो समस्या आती है वह इस उपन्यास की मूल कथा है।
  दिल्ली के एक पंजाबी परिवार का लङका और तमिलनाडु के एक ब्राह्मण परिवार की कन्या। दो अलग-अलग राज्य, दो अलग-अलग संस्कृतियां इन दोनों को आधार बनाया है उपन्यासकार ने।
   उपन्यास '2स्टेट्स' के अंतिम पृष्ठ पर लिखे कथन इस कथा को बयान करते हैं। 

     "दुनियां भर में लव मैरिज का फंडा बहुत सिंपल होता है।
लङका लङकी को प्यार करता है, लङकी लङके को प्यार करती है। दोनों शादी कर लेते हैं।
लेकिन इंडिया में कुछ और स्टेप्स होती है-
लङका लङकी को प्यार करता है, लङकी लङके को प्यार करती है।
लङकी की फैमिली को लङके को प्यार करना होता है।
लङके की फैमिली को लङकी को प्यार करना होता है।
लङकी की फैमिली को लङके की फैमिली को प्यार करना होता है।
लङके की फैमिली को लङकी की फैमिली से प्यार करना होता है।
लङका लङकी अब भी एक दूसरे को प्यार करते हैं। दोनों शादी कर लेते हैं।
   2 स्टेट्स में आपका स्वागत है। यह क्रिश और अनन्या की कहानी है, जो भारत के दो अलग-अलग हिस्सों से हैं। दोनों एक-दूसरे को बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते है। जाहिर है, उनके पैरेंट्स को उनकी शादी से एतराज है। अपनी लव स्टोरी को लव मैरिज में बदलने के लिए दोनों को एक बहुत मुश्किल लङाई लङनी पङती है, क्योंकि लङना और बगावत करना तो आसान है, लेकिन किसी को राजी करना कठिन है।
क्या वे दोनों कामयाब हो सकेंगे।
   यह किस्सा है उपन्यास '2 स्टेट्स' का।
         अब बात करे उपन्यास की एक पाठक के दृष्टिकोण से-
  उपन्यास का नायक क्रिश एक ऐसे परिवार से है, जिसमें बिखराव है। परिवार में क्रिश के पापा की अपने पुत्र व पत्नी से अनबन रहती है। वहीं क्रिस की ननिहाल वाले दिखावा पसंद हैं, जो अपने बच्चों की शादी धन-दौलत के आधार पर तय करते हैं। उनकी दिखावा पसंद जिंदगी को क्रिस के पापा पसंद नहीं करते।
  वहीं बात करें क्रिश की जो उपन्यास का नायक व सूत्रधार है, जिसे कुछ भी पसंद नहीं। प्रत्येक बात में नाकारात्मक दृष्टिकोण है। उसे अपने मां-बाप पसंद नहीं, नायिका के माँ-बाप पसंद नहीं, नायिका के भाई में कमी दिखाई देती है, अपना बैंक मैनेजर पसंद नहीं, यहाँ तक टैक्सी ड्राइवर, डीजे वाला, वेटर आदि में कमी नजर आती है॥
नायिका की माँ के प्रति एक टिप्पणी देखिए-
"उसकी माँ की मैजंटा गोल्डन कांजीवरम् साङी लाॅन के किसी भी कोने से देखी जा सकती थी।  उन्हें देखकर लगता था कि वे गोल्डन पेंट के ड्रम में गिर गयी थी।"
इस प्रकार अन्य पात्रों के प्रति पाठकों को टिप्पणियां मिलेगी जो पूरे उपन्यास का स्वाद बिगाङ देंगी।
  लेखक महोदय की मानसिकता भी दृष्टिगत होती है, जो प्रत्येक व्यक्ति की वेशभूषा, खानपान व संस्कृति पर निकृष्ट टिप्पणियां कर रहें हैं।
   वहीं नायक की माँ नायिका को व उसके परिवार को पसंद नहीं करती, कारण वे दक्षिणी भारतीय है, मद्रासी हैं।
  लेकिन स्वयं नायक की माँ का व्यवहार किसी भी दृष्टि से उचित नजर नहीं आता। दोनों परिवार की प्रथम मुलाकात के वक्त लेखक ने मात्र दोनों परिवारों में इसलिए नाराजगी दिखा दी की वे अलग-अलग राज्य से हैं। जो की उचित नहीं लगता॥
  कुछ कथन उपन्यास के अच्छे लगे-
"ईश्वर ने तुम्हें जीवन का उपहार दिया है, इसे उन्हीं को समर्पित कर दो।"
"जब कपल एक-दूसरे के साथ होते हैं, तो वे कभी इस बात को नहीं समझ पाते कि एक-दूसरे के लिए उनका प्यार दूसरों को कितना भद्दा लग सकता है।"
"दुनियां का सबसे समझदार इंसान और सबसे नासमझ इंसान दोनों हमारे भीतर रहते हैं, लेकिन सबसे बङी कठिनाई यह है कि हम कभी यह नहीं बता सकते कि समझदार कौन है और नासमझ कौन।"
अगर इस उपन्यास में कुछ ठीक है तो वह है उपन्यास का समापन होना, रोचकता के साथ।
उपन्यास को पढते वक्त महसूस होता है की इसे अनावश्यक विस्तार दिया गया है।
एक नाकारात्मक टिप्पणियां से भरा हुआ यह उपन्यास पाठक का समय बर्बाद करने में सक्षम है।
उपन्यास - 2 स्टेट्स(दो राज्य)
लेखक - चेतन भगत
पृष्ठ - 316
मूल्य-195/-
अनुवाद- सुशोभित सक्तावत
प्रकाशक- रूपा पब्लिकेशन www.rupapublications.com

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