Thursday 15 December 2016

7. हिंदुस्तान हमारा- मिस्टर

             हिंदुस्तान हमारा - मिस्टर, उपन्यास

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मिस्टर का यह दूसरा उपन्यास पढने को मिला। उपन्यास काफी रोचक है, जो पाठक को कुछ हद तक बाँधे रखने में सफल रहा है, पर कई बार ऐसा अहसास होता है की कहानी एक जगह पर ठहर गयी हो।
इस उपन्यास का नायक स्वयं 'मिस्टर' है, जो एक बिजनेस मैन के साथ-साथ भारतीय सिक्रेट सर्विस के लिए काम करता है।
इस उपन्यास का आरम्भ एक तपन बोस नामक ऐसे युवक से होता है जो पुलिस हिरासत में है और उस पर दो व्यक्तियों की हत्या का आरोप है जिसमें एक इंस्पेक्टर भी है। युवक का दावा है की जब वह मुख्य आरोपी का नाम बतायेगा तो पूरा देश हिल जायेगा, पर उसका नाम वह अदालत में बतायेगा।  स्वयं युवक तपन बोस का कथन पढ लीजिएगा-   "हां ये सच है.....।" जिस्म पर नेवी ब्लु जींस तथा गहरे रंग की.........."मजूमदार और इंस्पेक्टर भैरों तनेजा की हत्या मैंने की है।".   
  
मिस्टर यह सब अपने घर पर टी.वी. पर देखता है। दूसरी तरफ मिस्टर को सिक्रेट सर्विस के चीफ की तरफ से आदेश मिलता है की वह तपन बोस नामक युवक की बातों में सच्चाई का बता लगाते।
इसी दौरान लगभग बारह वर्ष की एक बच्ची 'मीनू' द्वारा मिस्टर का अपहरण कर लिया जाता है जो की स्वयं को तपन बोस की छोटी बहन बताती है और अपने भाई को निर्दोष साबित करने की मुहिम पर लगी है।       यहाँ से उपन्यास अपनी रफ्तार को पकङता है और निरंतर नयी-नयी घटनाएं घटती हैं।
मिस्टर का अपहरण मीनू द्वारा फिर मीनू का गायब होना।
भारत से कहानी पुर्तगाल के लुसियाना सिटी पहुंचती है और वहां तो उपन्यास का नायक फुटबाॅल बनकर रह जाता है। कभी मार्टिन चुंग, कभी आयशा, कभी ग्रेटा, कभी जाॅनी आदि मिस्टर का अपहरण कर ले जाते हैं।
स्वयं मिस्टर जो स्वयं को एक शक्तिशाली व्यक्ति दर्शाता है लेकिन अनजान धरती पर अनजान दुश्मनों के बीच एक फुटबाॅल बनकर रह जाता है।
उपन्यास में भरपूर एक्शन है, क्योंकि जब भी मिस्टर का अपहरण होता है तो एक्शन तो अवश्य होगा।
आप स्वयं देख लीजिए -
"अपनी मजबूत कलाई पर गन के दस्ते को रोकते हुए, दायें हाथ से गन को कुछ इस तरह झटका दिया की वार करने वाला गनर हवा में उठता हुआ, मेरे सिर पर से गुजरता ठीक उस मार्टिन से टकराया जिसका जिस्म हवा में था"
"मेरी वे दोनों लातें कुछ इतनी घातक थी...........कम से कम आठ फुट तक ऊपर उछल कर ठीक आयशा पर जा पङा जो अभी सोफे पर पङी कराह रही थी।"
शारीरिक रूप से शक्तिशाली मिस्टर हर बार दुश्मनों से हार जाता है।
उपन्यास की सबसे बङी विशेषता है कहानी में नये-नये घटनाक्रम स्वयं मिस्टर भी नहीं समझ पाता की कौन दोस्त है कौन दुश्मन। यह सिलसिला उपन्यास के अंत तक चलता है और खलनायक पात्र भी परस्पर दोस्त-दुश्मन की पहचान नहीं कर पाते।
भारतभूमि से लुसियाना सिटी तक फैला यह कथानक काफी रोचक है और उपन्यास का नायक मिस्टर अंत में अपने कार्य में सफलता प्राप्त करता है।
अब आप सोच रहे होंगे की तपन बोस का क्या हुआ, यह मैं भी सोचता रह गया पर उपन्यास के अंत में तपन बोस का जिक्र तक नहीं मिला।
फिर मिस्टर का अपहरण करने वाली नन्हीं मीनू कौन थी?
कैसे मिस्टर का अपहरण किया?
कौन था जाॅनी?
कौन था मार्टिन चुंग?
कौन थी ग्रेटा, कौन थी आयशा?
कौन थे दुश्मन कौन थे दोस्त?
इन सब प्रश्नों के उत्तर आपको 'हिंदुस्तान हमारा' उपन्यास में ही मिलेंगे।
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उपन्यास - हिंदुस्तान हमारा
लेखक - मिस्टर
प्रकाशक- तुलसी पब्लिकेशन, मेरठ।
पृष्ठ -272.
मूल्य- 25/-रुपये

2 comments:

आयुष्मान - आनंद चौधरी

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