Saturday 2 December 2023

महाबली टुम्बकटू- वेदप्रकाश शर्मा

चीन में टुम्बकटू और विकास का हंगामा
महाबली टुम्बकटू- वेदप्रकाश शर्मा

लम्बे, तगड़े और शक्तिशाली इन्सान ने सिगरेट में अंतिम कश लगाया और फिर ध्यान से उस सात-मंजिली इमारत को देखा। इस समय वह उस इमारत से लगभग पचास गज दूर झाड़ियों में खड़ा हुआ था। उसके जिस्म पर एक स्याह पतलून और गर्म लम्बा ओवरकोट था। सिर पर एक अजीब-सी गोल कैप थी। हाथों पर सफेद दस्ताने चढ़े हुए थे। समय रात्रि के दो बजे का था और सरदी नलों में जल को जमा देने वाली थी। आसपास गहरी निस्तब्धता का साम्राज्य था। यह सात-मंजिली इमारत राजनगर से थोड़ा अलग एकान्त में थी। अतः यहां यह केवल एक ही इमारत थी। (महाबली टुम्बकटू के प्रथम पृष्ठ से)
  वेदप्रकाश शर्मा उपन्यास साहित्य में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके द्वारा रचित पात्र आज भी अमर हैं, उनके पात्रों को आधार बना कर बहुत से उपन्यासकारों ने उपन्यास लिखे हैं और आज भी लिखे जा रहे हैं। हालांकि यह पात्र स्वयं वेदप्रकाश शर्मा जी ने आदरणीय वेदप्रकाश काम्बोज जी के उपन्यासों से लिये हैं और उनमें कुछ अपने पात्र भी शामिल किये हैं।
  वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक उपन्यास स्थापित पात्रों कर क्रियाकलाप ही वर्णित होते रहे हैं, ज्यादातर कथानक अंतरराष्ट्रीय अपराधी वर्ग, विदेशी जासूसों से टकराव आदि।
   प्रस्तुत उपन्यास की कहानी भारत और चीन के  जासूसों के बीच संघर्ष की कहानी है।


कहानी आरम्भ भारत से होता है। भारत के पांच अण्डे चीन चुरा लेता है। जी हां मुर्गी के अण्डे और फिर विजय-विकास जा पहुंचते हैं चीन, उन अण्डों को वापस लाने के लिए। अप सोच रहे की आखिर उन पांच मुर्गी ने अण्डों में ऐसा क्या है? तो जान लीजिए भारत के तीन बुद्धिजीवियों ने ऐसी योजना बनाई थी जिसके चलते भारत विश्व शक्ति बन सकता था। और उन योजनाओं का फार्मूला एक विशेष कोड के तहत उन पांच मुर्गी के अण्डों पर लिखकर सुरक्षित किया गया था‌, लेकिन चीन के जासूस फूचिंग ने वह अण्डे चुरा लिये और तब भारतीय सीक्रेट सर्विस ने जासूस विजय को याद किया-
- "सर !” ब्लैक ब्वाय ने कहना प्रारंभ किया— "हिन्दुस्तान के पांच महत्त्वपूर्ण अंडे गायब हो गये हैं। "
"क्या कहा ?" विजय ब्लैक ब्वाय की बात पर चौंक पड़ा और कुछ भी न समझने की स्थिति में बोला- “ये हिन्दुस्तान अंडे कब से देने लगा ?"

इसी बीच चीन भारतीय जासूस विजय की विशेष सतर्कता के पश्चात उस फार्मूले के एक निर्माता प्रोफेसर बनर्जी का अपहरण कर चीन जाने में सफल रहा।
  अब विजय का दायित्व था कि वह चीन से उस फार्मूले और प्रोसेसर बनर्जी का सुरक्षित भारत लाये।
  अभी विजय चीन जाने की तैयारी में ही था कि अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे विकास को लेकर चीन में प्रवेश कर जाता है। लेकिन चीन में प्रवेश करते ही विकास चीन की आर्मी के हाथ में आ जाता है और अलफांसे अपने एक चेले जोबांचू के पास जा पहुंचता है। अलफांसे के शिष्य पूरे विश्व में हैं जो अलफांसे को मास्टर कहते हैं।
  जब अलफांसे को विकास के आर्मी के हाथ लगने की खबर  मिलती है तो वह विजय के साथ मिलकर चीन आर्मी और जासूस फूचिंग के हाथों से विकास को बचाने का प्लान बनाते हैं।
इस घटनाक्रम में एक मोड़ तब आता है जब चन्द्रमा का फरार अपराधी टुम्बकटू चीनी सीक्रेट सर्विस के चीफ पोंगची का अपहरण कर लेता है। इसका कारण है टुम्बकटू के मुँह से सुने- "...यह बात मेरे सिद्धांत के खिलाफ है कि किसी राष्ट्र की कोई वस्तु एक राष्ट्र इस प्रकार चोरी करे और जो बात मेरे सिद्धांत के खिलाफ होती है, मेरा सिद्धांत है कि मैं उसके खिलाफ रहूं, उसमें चाहे मुझे लाभ हो अथवा हानि।"
चीन द्वारा भारत के पांच महत्वपूर्ण अण्डे चुराने पर टुम्बकटू नाराज था और उसने चीन के अधिकारियों को स्पष्ट कहा कि या तो वह अण्डे भारत को वापस लौटा दे या वह चीन के उच्च अधिकारियों की बीवियों से इश्क लड़ायेगा।
  तो अब कहानी यह थी चीन ने भारत से अण्डे चुराकर पंगा ले लिया। चीन का 'विजय' कहे जाना वाला जासूस फूचिंग इस घटना का नेतृत्व करता है।
वह विकास को बहुत ही खतरनाक यातना देता है। वह विजय को भी अपने जाल में फंसाने की योजना बनाता है। फूचिंग ने अण्डे तो चुरा लिये लेकिन अब विजय-अलफांसे के साथ-साथ टुम्बकटू भी चीन में तहलका मचा देता है। इस संघर्ष में कौन किसको मात देता और कौन विजेता बनता है यह तो इस उपन्यास के द्वितीय भाग 'विकास दी ग्रेट' को पढ़कर ही जाना जा सकता है।
  प्रस्तुत उपन्यास का कथानक काफी रोचक है और फिर अलफांसे और टुम्बकटू के आगमन से उपन्यास और भी रोचक बन जाता है।
   इस उपन्यास तक विकास सीक्रेट सर्विस का जासूस नहीं था। वह विजय और अलफांसे का शिष्य ही है लेकिन अपनी तीव्र बुद्धि से वह विजय जे कुछ रहस्य अवश्य जान जाता है वहीं अलफांसे अब विकास को और भी दमदार बनाने के लिए अपने साथ चीन ले जाता है।
  उपन्यास में विकास को मात्र चौदह वर्ष का बालक दिखाया गया है, लेकिन उसके कारनामे किसी भी दृष्टि से किशोर के से प्रतीत नहीं होते। विकास बड़े-बड़े योद्धाओं से अकेला भीड़ जाता है, जैसे फिगोरा। यह अतिशयोक्ति सा लगता है।
  विकास अपनी उम्र का सबसे खतरनाक लड़का ! अपराध
जगत् में जिसका नाम बड़े भयभीत होकर लिया जाता था। चौदह वर्ष की अल्प आयु में ही जिसे गजब के कमाल हासिल थे। जिसके दुश्मन उसके नाम से कांपने लगे थे। जिसके ब्लेड का कमाल बड़ों-बड़ों के थर्रा देता था।

विकास का ब्लेड से दुश्मनों को काटना और माथे पर विकास लिखना अत्यंत वीभत्स प्रतीत होता है। वहीं विकास को आलपिन का खिलाड़ी दिखाया गया है।
   फूचिंग !
चीनी सीक्रेट सर्विस की नाक, चीन का सबसे बड़ा जल्लाद भी। सारे चीन में वह अपनी सजाओं के लिए प्रसिद्ध था। उसके विषय में प्रसिद्ध था कि वह अपने किसी भी लक्ष्य में कभी असफल नहीं हुआ।
 
फूचिंग भारतीय जासूस विजय को अपना प्रबल प्रतिद्वंद्वी मानता है। भारत से अण्डे चुराने, विकास को खतरनाक टाॅर्चर करने और टुम्बकटू से भिड़ंत में वही सबसे आगे रहता है।
उपन्यास के महत्वपूर्ण पात्र-
विजय- भारतीय जासूस
विकास- भारत माँ का जाबाज पुत्र
अलफांसे- अंतरराष्ट्रीय अपराधी
जोबांचू- चीन में अलफांसे का साथी
पोंगची- चीनी सीक्रेट सर्विस का चीफ
फूचिंग- चीन का जासूस
मोंगपा- फूचिंग का सहयोगी
फिगोरा- चीन का खतरनाक व्यक्ति

वेदप्रकाश शर्मा द्वितीय लिखित 'महाबली टुम्बकटू' एक एक्शन प्रधान जासूस उपन्यास है। इसका कथानक भारत और चीन के जासूसों के मध्य संघर्ष पर आधारित है।
वेदप्रकाश शर्मा जी के पाठकों के लिए रोचक उपन्यास है।

उपन्यास-      महाबली टुम्बकटू
लेखक-         वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक-      राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
शृंखला-         विजय-विकास, टुम्बकटू, अलफांसे
द्वितीय भाग-  विकास दी ग्रेट

उपन्यास समीक्षा लिंक
टुम्बकटू शृंखला

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