Tuesday 25 April 2023

563. सुप्रीम जस्टिस- परशुराम शर्मा

और जीरोलैण्ड तबाह हो गया
सुप्रीम जस्टिस- परशुराम शर्मा

'जीरोलैण्ड' उपन्यास में आपने पढा की विश्व के श्रेष्ठ जासूस जीरोलैण्ड को तबाह करने निकले थे। वहीं जीरोलैण्ड की आंतरिक कलह भी जीरोलैण्ड को कमजोर कर रही थी।
    जीरोलैण्ड का संचालन करने वाली पांच मुख्य ताकतों के ऊपर 'सुप्रीम जस्टिस' नामक एक रहस्यमयी का अस्तित्व भी है, जिसे कभी किसी ने नहीं देखा। वह ताकत जीरोलैण्ड का संविधान है, वही जीरोलैण्ड का न्यायालय है, वही जीरोलैण्ड का संचालन करती है। 
सुप्रीम जस्टिस- परशुराम शर्मा

    'जीरोलैण्ड' उपन्यास के अंत में जीरोलैण्ड को तबाह करने निकले श्रेष्ठ जासूस तक भी वहाँ जाकर बर्फ के बुत बन जाते हैं और एक रहस्य यह भी खुलता है की 'सुप्रीम जस्टिस' के पीछे विश्व का एक श्रेष्ठ भारतीय जासूस है। यह तथ्य कितना सही है और कितना गलत है उपन्यास 'सुप्रीम जस्टिस' में पता चलता है।
       हिंदी जासूसी कथा साहित्य में 'जीरोलैण्ड' की कल्पना इब्ने सफी साहब ने की थी पर उन्होंने कभी 'जीरोलैण्ड के रहस्य का खुलासा नहीं किया। और भी बहुत से लेखकों ने 'जीरोलैण्ड' की अवधारणा पर उपन्यास लेखन किया पर इब्ने सफी के अतिरिक्त प्रसिद्ध अगर किसी लेखक को मिली तो वह है परशुराम शर्मा।
   परशुराम शर्मा जी ने न केवल जीरोलैण्ड पर उपन्यास लेखन किया बल्कि उन्होंने 'जीरोलैण्ड' के रहस्य को भी पाठकों के समक्ष उजागर किया।   अब बात करते हैं 'जीरोलैण्ड' उपन्यास के द्वितीय और इस शृंखला के अंतिम उपन्यास 'सुप्रीम जस्टिस' की।
प्रस्तुत उपन्यास को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं। जहाँ प्रथम भाग में विनोद नामक एक युवक की कथा जो अचानक एक टैक्सी में प्रकट होता है।

टैक्सी ड्राइवर ने बौखलाहट में टैक्सी के ब्रेक लगा दिये-तो वह फुटपाथ पर चढ़ने से बाल-बाल बची। उसने घूमकर पिछली सीट पर देखा जहां एक नौजवान बठा था।     
          नौजवान के हाथ में ब्रीफकेस था और वह बड़े आश्चर्य से आंखे फाड़ कर चारों तरफ देख रहा था।
‘तुम मेरी टैक्सी में कहां से पैदा हो गये?’ टैक्सी ड्राइवर हैरत जदा स्वर में कह रहा था।
नौजवान चुप रहा- और आश्चर्य से चारों तरफ देखता रहा।
‘तुमने सुना नहीं कुछ- मैं क्या कह रहा हूं- तुम टैक्सी में कब कहां चढ़े हो?’ टैक्सी ड्राइवर के स्वर में भय भी छिपा था- ‘मैं तो एयरपोर्ट से खाली लौट रहा था- बोलते क्यों नहीं।’
   ‘मुझे नहीं मालूम।’ उसने टैक्सी ड्राइवर की तरफ नजरे उठाये बिना कहा।
‘तुम्हें नहीं मालूम......है......मेरे बाप-तुम्हें नहीं मालूम...।’
‘यह कौन सी जगह है?’
‘कौन सी जगह?’ - टैक्सी ड्राइवर ने अब उसे इस प्रकार घूर कर देखा जैसे उसके पागल होने का संदेह हो।
‘तुम्हें यह तो मालूम होगा कि तुम कौन हो कहां से आये हो और कहां जा रहे हो।’
‘नहीं बड़ी अजीब बात है--मुझे कुछ नहीं मालूम......ऐसा लगता है मैं अभी-अभी पैदा हुआ हूं, इसी सीट पर…..हे ईश्वर यह क्या चक्कर है...मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है।’ (सुप्रीम जस्टिस)

      विनोद कुमार नामक यह युवक बहुत ही अजीब सी परिस्थितियों से जूझता है और फिर इसकी मुलाकात विनीता, राधा और बिल्ली रानी से होती है। राधा विनोद को 'स्लास्टा और रोजी' की कहानी सुनाती है जिसमें एक 'रहस्यमयी मादाम' स्लास्टा और रोजी को कैद कर लेती है और फिर दोनों को अपनी दर्दभरी कहानी सुनाती है। इस कहानी का संबंध 'जीरोलैण्ड' के अस्तित्व से संबंध रखता है।
          उपन्यास के मध्य भाग तक यही कथा चलती है जिसका उद्देश्य मात्र जीरोलैण्ड के उद्भव के विषय में बताना होता है इस कथा का मूल कहानी के पात्रों से कोई संबंध दृष्टिगत नहीं होता।
मध्य भाग के पश्चात कहानी में दो पात्र हैं। एक है संगही और द्वितीय है मंगल का लूजार। पाठक मित्रो आपको याद होगा 'रहस्यमयी पागल महल' में विनोद और संगही फंस जाते हैं और एक घटना में संगही वहीं फंस जाता है। वहाँ से संगही को मंगलग्रह वासी लूजार (आरगोमैन) मुक्त करवाता है और इस दुर्घटना में संगही की टक टांग कट जाती है। (बड़ी दुखभरी बात है विश्व विजेता बनने के स्वप्न देकने वाला संगही आज अपाहिज हो गया)
   लूजार और संगही जेब्रा आइसलैंड की यात्रा पर निकलते हैं और वहाँ एक 'नेकी का फरिश्ता' इनका मार्गदर्शक बनता है जो इनको जीरोलैण्ड तक ले जाता है।
     यहाँ एक विश्व के महान जासूस बर्फ में परिवर्तित होकर बुत बने हुये हैं। यहाँ विनोद का रहस्य भी खुलता है और भयानक संघर्ष के पश्चात जीरोलैण्ड तबाह हो जाता है।
   - वह कौन था जिसने जीरोलैण्ड की कल्पना की और ऐसी रहस्यमयी दुनिया का निर्माण किया जो संपूर्ण विश्व पर राज करने की सोचता था?
-    आखिर कैसे जीरोलैण्ड तबाह हो गया?
-    विनोद का रहस्य क्या?
-    मंगलग्रह वासी लूजार पृथ्वी पर क्यों आया?
-    जीरोलैण्ड की आंतरिक कलह क्या थी?

यह सब जानने के लिए पढें 'जीरोलैण्ड' और ' सुप्रीम जस्टिस'।
   अब बात करें उपन्यास के प्रथम भाग की तो प्रथम में जो इतने पात्र एकत्र किये, जो इतना तामझाम फैलाया वह उपन्यास के द्वितीय भाग में कहीं नजर नहीं आता। एक तरह से उपन्यास के प्रथम भाग का द्वितीय भाग से संबंध नाममात्र ही है। मंगलग्रह वासी लूजार प्रथम भाग में कहीं नहीं और द्वितीय भाग में भी मध्यांतर पश्चात आता है वहीं 'सुप्रीम जस्टिस' में विनोद उपन्यास के समापन में ही नजर आता है। अन्य कोई भी पात्र कहीं भी नजर नहीं आता,नजर तो दूर की बात कुछ पात्रों के तो नाम तक भी नहीं आते। उन पात्रों का क्या हुआ कुछ पता ही नहीं चलता। ( उपन्यास में संशोधन की अत्यंत आवश्यकता है)
    उपन्यास के अंत में अजीत और नेवला शिकागी आते हैं, वह कौन हैं? यह कहीं स्पष्ट नहीं किया गया।
    अगर आप जीरोलैण्ड के विषय में, उसकी उत्पत्ति और विनाश को जानना चाहते हैं तो यह उपन्यास जीरोलैण्ड का संपूर्ण इतिहास वर्णन करता है। इस दृष्टि से उपन्यास अच्छा है।
उपन्यास-   सुप्रीम जस्टिस
लेखक-      परशुराम शर्मा
फॉर्मेट     - eBook on kindle
प्रथम भाग- जीरोलैण्ड
परशुराम शर्मा जी के अन्य उपन्यासों की समीक्षा

No comments:

Post a Comment

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...