जानिये रहस्य जीरोलैण्ड का
जीरोलैण्ड- परशुराम शर्मा
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर विभिन्न लेखकों ने लिखा है। और यह विषय भी स्वयं इस क्षेत्र के लेखकों द्वारा पैदा किये गये काल्पनिक विषय हैं। या यूं कहें लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक काल्पनिक संसार की रचना की गयी और उस संसार पर विभिन्न लेखकों ने अपने-अपने अनुसार लेखन किया। जैसे- जीरोलैण्ड, मर्डरलैण्ड, मैकाबर।
आज यहाँ हम बात कर रहे है परशुराम शर्मा जी द्वारा लिखे गये उपन्यास 'जीरोलैण्ड' की। जीरोलैण्ड एक काल्पनिक कथा संसार है जिसकी रचना इब्ने सफी साहब ने की थी।'जीरोलैण्ड' उपन्यास का आरम्भ एक रहस्यमयी इमारत से होता है।
इमारत का नाम था ‘पागल महल’।
गेट पर जहां ‘पागल महल’ की प्लेट लगी थी उसी के नीचे इमारत के स्वामी का नाम लिखा था।
‘राजेश बिहारी एम. एस. सी. पी. एच. डी. आक्ससन।’
राजाराम दयाल फटी-फटी आंखों से इस इमारत को देख रहा था। उसकी अक्ल हैरान थी आखिर यह इमारत रातों रात कहां से आ गयी। वह साकित खड़ा पत्थर की मूर्ति बन गया था- और उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
रातो-रात बनी इस इमारत की चर्चा समाचार पत्रों के माध्यम से सारे शहर में फैल गयी थी। इस इमारत का संबंध में दो बाते और बता देता हूँ।
एक तो इस इमारत वाली जगह का संबंध सूफीनाक नामक महिला से और उसके पुत्र का नाम हार्डी है जो लम्बे समय से घर से गायब है। दूसरा 'पागल महल' की इमारत पर जो नेमप्लेट है वह डी आई जी राकेश बिहारी के पुत्र राजेश बिहारी की है। पाठक 'राजेश' को एक जासूस के रूप में जानते हैं और इस उपन्यास में राजेश को 'थीरोनिया' का दौरा पड़ता है और वह अजीबोगरीब हरकतें करता है।
फादर आफ हार्डस्टोन विनोद और उसके सहकर्मी हमीद जब इन घटनाओं की जानकारी मिलती है तो वह सर मधूलकर (किसी जमाने में मधूलकर आई० जी० रह चुके थे और बड़े-बड़े कारनामे उनके नाम से जुड़े थे। कोई दस वर्ष पहले मधूलकर को सर की उपाधि मिली थी और वह रिटायर हो गये थे। यह प्राइवेट स्टेट मधूलकर की सेवाओं के उपलक्ष में सरकार की ओर से दी गई थी।) से मिलने उसके प्राइवेट स्टेट जाते हैं।
अब बात करते हैं जीरोलैण्ड की। इस उपन्यास के अनुसार जीरोलैण्ड का संचालन पाँच महिलायें (थारसा, फ्रेंटासिया, शानली, नातुना, मोनिका) करती हैं और उनके ऊपर भी एक सुप्रीम पावर है। वह सुप्रीम पावर कौन है, यह कोई भी नहीं जानता, यहाँ तक की जीरोलैण्ड की पांचों संचालिकाये की इस से अनभिज्ञ हैं।
जब विनोद- हमीद जब सर मधूलकर से मिलते हैं तो वहाँ भी कुछ पात्रों का परिचय मिलता है। दो तेज-तर्रार बौने 'फिंच- फिशवाटम' की जानकारी मिलती है। फिंच इब्ने सफी साहब का पात्र है जो अपनी बहन का बदला लेने के लिए इब्ने सफी साहब के चर्चित पात्र 'डारकेन' की हत्या कर देने के पश्चात हत्यारा बन जाता है।
यहाँ सर मधूलकर के कैदखाने में एक और पात्र कैद है। वह पात्र है हमीद का पुत्र 'काउस'। यह मेरे लिए आश्चर्यजनक बात थी की हमीद का भी कोई पुत्र है। काउस अपने पिता हमीद से नफरत करता है। (काउस, हमीद की शादी, पुत्र इत्यादि विषय पर संपूर्ण जानकारी किसी और उपन्यास में मिल सकती है। किसी साथी को इस विषय में जानकारी हो तो शेयर कीजिए।)
मिस्टर विनोद हमीद से कहते हैं की वह शीघ्र ही जीरोलैण्ड रहस्य खोल देंगे। वहीं जीरोलैण्ड का ध्यान उस बार इधर ही है। सीक्रेट सर्विस चीफ का कथन पढें- "...जीरोलैंड ने इस बार सारा ध्यान हमारे देश पर लगाया है। उसकी समस्त शक्तियां हमें निशाने की जद में लेना चाहती हैं....और ‘पागल महल’ इसकी शुरूआत है।"
जीरोलैण्ड सारे शहर को बर्फ में बदल देने को तैयार है। वह सारे विश्व पर राज करना चाहता है। वहीं सीक्रेट सर्विस ने राजेश को अपराधी करार दिया है। - हर व्यक्ति को सावधान किया जाता है कि वह राजेश से किसी प्रकार के ताल्लुकात जाहिर न करे.....और न ही उसके प्रति सहानुभूति रखे।
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स्पेन की राजधानी मेड्रिड में इन्टरपोल की कांफ्रेंस पिछले एक सप्ताह से चल रही थी। मेड्रिड दुनिया भर के प्रसिद्ध जासूसों का अखाड़ा बना हुआ था। मेड्रिड के विख्यात होटल ‘सानतारा’ में जासूसों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी।
यहाँ दुनिया के प्रसिद्ध जासूस एकत्र हुये थे जिनका एक ही उद्देश्य था, जीरोलैण्ड की खोज और उसका खात्मा करना। जेम्स बॉण्ड, फ्लिट, बागारोफ, छोटे मिया, मुन्नु मियां, रमन, कर्नल रंजीत और भी कुछ जासूस थे। पर जिनको जेब्रा आइसलैंड वह नाम थे- 1.एजेन्ट फिल्ट-अमेरिका 2.जेम्स बांड-ब्रटेन 3.बागारोफ-रूस 4.कर्नल रंजीत-भारत 5.छोटे मियां-पाकिस्तान 6.मदन (भारत)। और इनको एक -एक सहयोगी साथ ले जाने की अनुमति थथी।- कर्नल रंजीत ने रमन का नाम पेश किया। छोटे मियां ने मुन्ने मिया की सिफारिश की। मदन ने जोली का नाम रखा। फ्लिट किसी सहयोगी के साथ लेने का इरादा नहीं रखता था। बांड और बागारोफ ने एक एक सुन्दरी का चयन किया। (अब पता नहीं ये किसी अभियान में सुंदरियों को क्यों साथ ले जाते हैं। 'सालाजार सैक्टर' उपन्यास में मंगलग्रह अभियान में 'खान-बाले और कासिम के साथ सोलह-सत्रह वर्ष की दो सुंदरियां थी)चलो हम एक बार फिर बौने लोगों की दुनिया में चलते हैं। फिंच का परिचय तो प्राप्त हो गया अब जरा फिशवाटम की भी सुन लो- बन्दा अफ्रीकी जंगजू है.....और खतरनाक कौम बुशमैन के एक कबीले का सरदार है- नाम है फिशवाटम।
इनका तीसरा साथी है भूतनाथ। जी 'भूतनाथ' वाला भूतनाथ नहीं यह तो प्रसिद्ध खलपात्र 'संगही' का पुत्र है। (पाठक मित्र सिंगही को तो जानते ही होंगे, सिंगही वेदप्रकाश काम्बोज और वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यासों का चर्चित पात्र रहा है। इब्ने सफी के उपन्यासों में नाम संगही है।) तो मेरे लिये तो यह भी आश्चर्यजनक बात थी की अपने संगही का भी कोई पुत्र है। अब दो बौने और भूतनाथ हार्डी के एक प्रयोग पर अधिकार जमाना चाहते हैं। (अगर आप हार्डी को भूल गये तो ऊपर जाकर पुनः समीक्षा पढें, क्योंकि इन पात्रों को समझने के लिये मैंने उपन्यास को कई बार पलट-पलट कर पढा था)
अब लगे हाथ यह भी सुन लो इस बार संगही जीरोलैण्ड के साथ मिलकर काम कर रहा है। (मेरे लिए तो आश्चर्यजनक खबर है) पर खतरनाक संगही का किरदार उपन्यास में बहुत कम है और वह भी मध्य भाग से पूर्व एक चोट से बेहोश होकर उपन्यास से गायब हो जाता है। खैर, गायब तो राजेश भी हो जाता है।
वहीं जीरोलैण्ड भी हार्डी ने उस प्रयोग को खोज रहा है। पाठक ध्यान दें- उपन्यास के आरम्भ में प्रयोग का नाम 'ग्लोब राकेट' है और बाद में नाम 'सिलैण्डर' है। मैं तो कन्फ्यूज हो गया था, आपको कन्फ्यूज नहीं होना।
अच्छा यह 'ग्लोब राकेट' भी स्वयं में एक विचित्र आविष्कार है। यह जमीन के अंदर चलता है।
जब ग्यारह लोगों की टीम जेब्रा आइसलैंड पहुंचती है तो वहाँ एक और पात्र मिलता है। वह है परशुराम शर्मा जी द्वारा रचित जौहर। वह भी जासूस टीम का साथी बन जाता है।
जेब्रा आइसलैंड नामक स्थान जीरोलैण्ड वालों की नजर से छुपा हुआ नहीं था। जैसे ही जासूस टीम यहाँ पहुंची तो जीरोलैण्ड नड बर्फ का तूफान खड़ा कर दिया। और जासूस टीम की जान पर बन आयी।
अच्छा अभी हम एक और दुनिया में चलते हैं, वह दुनिया है आदिवासी लोगों की। जिनका संबंध जीरोलैण्ड के लोगों से है। यह संबंध कैसा है, क्यों है यह समझना थोड़ा सा मुश्किल है। क्योंकि इसका किस्सा भी कहीं न कहीं पुराने उपन्यासों से है। कोई आदिवासी कबीले का राजा है कोई रानी है,पूर्व में जंग हो चुकी है।
अब पृथ्वीवासी, आदिवासी और जीरोलैण्ड के लोग आ गये तो फिर दूसरे ग्रह के लोगों का जिक्र भी कर ही लेते हैं। इन आदिवासी लोगों पर कभी दूसरे ग्रह के लोगों ने आक्रमण किया था।
अब कहने को तो उपन्यास के विषय में बहुत कुछ है पर ज्यादा कहना उपन्यास का प्रभाव खत्म कर देता है। इसलिए पाठक मित्र आप कथा का आनंद लेने के लिये 'जीरोलैण्ड' उपन्यास पढें।
उपन्यास में पात्रों की संख्या कुछ ज्यादा ही है। इस कारण बहुत से पात्रों उपन्यास में जगह नहीं मिल पायी। जैसे -संगही।
अमेरिका के जासूस फ्लिट का कारनाम तो बहुत ही हैरत वाला है। मुझे लगता है यह कुछ अति हो गया।
- ठहरो मैं सोचता हूं। फ्लिट वहीं आलथी पालथी मारकर बैठ गया फिर उसने नेत्र मूंद लिये। एक पतला सा रिबन रोल निकाला और उसका एक सिरा बांये कान में डालकर बार-बार आंखें फड़काने लगा...... रिबन धीरे-धीरे कान में खिसकता चला गया। '
फ्लिट के माथे पर कई शिकने उभरी... और फिर उसने दांये कान से रिबन का कोना पकड़ा... जिस पर टेलीप्रिंटर की तरह कई आडी तिरछी रेखायें.... कुछ चिन्ह छपे नजर आने लगे।
उसने रिबन की वह भाषा खोलकर पढ़ी।
तो जनाब इस तरह फ्लिट अपने दिमाग में आने वाले विचारों को रिबन पर उतार लेता है। कुछ अजीब है ना?
'जीरोलैण्ड' एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। अगर आप इस विषय को समझना चाहते हैं तो इब्ने सफी साहब से लेकर परशुराम जी से होते हुये आगे जिन भी लेखकों ने इस विषय पर लिखा है अवश्य पढें।
बात करें प्रस्तुत उपन्यास की तो यह उपन्यास थोड़ा उलझा हुआ है। क्योंकि एक तो इसमें पात्र अधिक हैं, दूसरा पूर्व उपन्यासों को पढे बिना इस उपन्यास को समझना मुश्किल है। तीसरा इस उपन्यास का एक और भाग भी है जिसका नाम 'सुप्रीम जस्टिस' है।
जिन पात्रों की चर्चा हुई ये तो सभी ईब्ने सफी बीए के हैं और मैंने कभी कहीं कैप्टेन हमीद के बेटे काउस के बारे में नहीं पढा।
ReplyDeleteविजय जी, नमस्ते ।
Deleteआप का ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है।
आपकी टिप्पणी हमारे लिये महत्वपूर्ण है।
पात्रों की सख्या बहुत ज़ादा है. रोचक
ReplyDeleteजी रोलैंड मैंने भी पढ़ा है मुझे लगा परशुराम शर्मा जी एक वृहद विशेषांक लिखने के चक्कर में बहुत बार भटके हैं कई बार तो कहानी कहानी का का सर और पैर समझ में नहीं आया
ReplyDeleteबहुत से उपन्यासों में ऐसा देखा गया है।कहानी की शुरुआत कुछ और और कदलाइमैक्स कुछ और होता है.
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