Monday 17 April 2023

560. सालाजार सेक्टर- अज्ञात

मंगल ग्रह का खतरनाक अपराधी
सालाजार सेक्टर-
खान-बाले सीरीज का उपन्यास

उन सबके दिल धड़क रहे थे जुबानें खामोश थीं। हरेक के दिल में एक हलचल सी मची हुई थी और उनको अपने सामने मौत खड़ी हुई नजर आ रही थी । बाले सोच रहा था कि यदि वह खान के साथ आने से इन्कार कर देता तो अच्छा था । वह उस घड़ी को कोस रहा था कि जब उसने खान के साथ उस अंतरिक्ष यान पर मंगल के लिए रवाना हुआ था । (सालाजार सैक्टर- उपन्यास अंश)   

 हिंदी जासूसी कथा साहित्य में अनुवाद का भी अच्छा समय रहा है और आज भी अनुवाद हो रहे हैं। एक समय था जब उर्दु से हिंदी में अनुवाद होते थे, उर्दू से हिंदी मात्र लिपी परिवर्तन होता था क्योंकि दोनों भाषाओं में नाममात्र ही अंतर है। बाद में अंग्रेजी से भी अच्छे अनुवाद होते रहे और आज भी जारी हैं।

    उर्दू से अनुवादित उपन्यास 'सालाजार सैक्टर' पढा जो की श्री रहमान अख्तर द्वारा उर्दू से हिंदी में अनुवाद किया गया है। इस उपन्यास के वास्तविक लेखक कौन हैं, ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। हाँ, 'सालाजार सैक्टर' नाम से .... का भी एक उपन्यास है।   
  प्रस्तुत उपन्यास की कहानी मंगलग्रह के एक खतरनाक वैज्ञानिक मोसियो सालाजार से संबंधित है। विदेश में गुप्त मिटिंग के दौरान जासूस 'खान' को सालाजार के विषय में सूचना मिलती है।

मंगल में सालाजार नामक किसी व्यक्ति की हकूमत है सालाजार से कई वर्ष पूर्व 'खान' का काफी संघर्ष हो चुका था और वह अपने राकिट सहित पृथ्वी से उड़ गया था ।
          खान का ख्याल था कि सालाजार मर गया होगा लेकिन जब उसने सुना कि वह वहाँ का शासक बन बैठा है और अब पृथ्वी पर आक्रमण करने की सोच रहा है तो खान एक बार फिर अपने खतरनाक दुश्मन से टकराने को तैयार हो गया ।

       जासूस खान विदेश पर्यटन पर थे साथ में उसके सहयोगी 'बाले' और 'शौकत' भी थे। जब खान सालाजार सैक्टर से टकराने निकलता है तो वैज्ञानिक डेक्स्टर उन्हें अपना एक खास विमान देता है और कुछ सहयोगी भी। उन सहयोगियों में नैंसी और शैली नामक दो विदेशी युवतियां भी हैं।
       मंगलग्रह की यात्रा पर चला विमान शीघ्र ही सालाजार सैक्टर की नजर में आ जाता है और फिर यह टीम जा पहुंचती है बर्फीले इलाके के खतरनाक दरिंदों के बीच। उपन्यास का यह रोचक और डरावना अध्याय बहुत छोटा है।
     मंगल ग्रह पर पृथ्वीवासी जैसे ही लोग और कुछ तो पृथ्वी से गये हुये या सालाजार द्वारा जबरदस्ती ले जाये गये लोग हैं। और अब तो मंगलग्रह पर रोबोट का आधिपत्य है।
सालाजार मानवशक्ति से ज्यादा रोबोट शक्ति पर विश्वास करता है और इसलिए अधिकांश जगहों पर रोबोट ही कार्यरत हैं।

    अगर आपने 'अजगर' के  इन्द्रजीत शृंखला के आरम्भिक उपन्यास पढे हैं तो आपको पता होता एक रहस्यमयी द्वीप जो धुंध से ढका हुआ है वहाँ पर रोबोट ही शासक है।

        शीघ्र ही खान मंगलग्रह पर ऐसे लोगों को ढूंढ लेता है जो उसके लिए मददगार साबित होते हैं और अंत में एक खतरनाक संघर्ष में 'खान-बाले' टीम की विजय होती है।
    'सालाजार सैक्टर' एक औसत उपन्यास है। कथानक चाहे मंगलग्रह का है पर सब कुछ पृथ्वी की तरह ही है। हाँ, मंगलग्रह पर सालाजार के रोबोट ज्यादा सक्रिय हैं। यही रोबोट 'बाले - स्लोरीगा' को गिरफ्तार करते हैं।
     उपन्यास में 'खान-बाले' तो जासूस हैं फिर वहाँ शौकत का क्या काम ? एक समय था जब उपन्यास साहित्य नें शौकत जैसे किरदार हास्य के लिए उपन्यास में शामिल किये जाते थे। यहाँ भी शौकत का यही काम है।
  वहीं 'नैंसी-शैली' भी कोई जासूस नहीं। बस दो लड़कियां साथ दिखाई थी।
लड़की की आयु सोलह सत्रह वर्ष रंगत सफेद गोरी, आँखें काली गाल उभरे हुए शरीर सुडौल....।
   अब सोलह साल की युवती सालाजार जैसे खतरनाक व्यक्ति से टकराने के लिए मंगलग्रह पर जाती है। कम से कम उम्र का तो ख्याल रखना था।
    उपन्यास में मोसियो सालाजार को एक खतरनाक व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है।

    मैं इस युग का सबसे बड़ा बादशाह हूं । मैंने लोहे के आदमियों में प्राण डाल दिए हैं मैंने बूढ़ों को जवान बना दिया है मैंने बिना बाप के बच्चे पैद कर किये हैं। क्या कोई साधरण इन्सान कुछ कर सकता है ?.....
     .....लेकिन याद रक्खो जमीन वालों से मैं तभी मैत्री पूर्ण सम्बन्ध बनाऊंगा जब वो लोग मुझे अपना सम्राट मान लेंगे, सारी पृथ्वी पर केवल एक आदमी का शासन होगा जिसे सालाजार दी ग्रेट कहते हैं।

लेकिन इतने खतरनाक व्यक्ति का उपन्यास में  वर्णन दो जगह ही आता है। एक बार तो वह एक युवती के साथ प्रेमरत हैं और दूसरी बार वह उपन्यास के अंत में नजर आता है।  
      'सालाजार सैक्टर' एक औसत उपन्यास है। एक खतरनाक व्यक्ति को मारने निकले जासूसों की कथा है। उपन्यास एक बार पढा जा सकता है। अगर उपन्यास स्मरणीय नहीं है तो नीरस भी नहीं है।

उपन्यास-   सालाजार सैक्टर
लेखक-     अज्ञात
अनुवादक- श्री रहमान अख्तर
प्रकाशक-  श्री आर. के . नैय्यर
प्रकाशक-  रुबि पब्लिकेशन, दिल्ली

1 comment:

  1. रोचक टिप्पणी। अनुवाद पढ़ने का अपना ही मजा है। एक समय था जब ऐसे विज्ञान गल्प उपन्यास बहुतायत में लिखे जाते थे लेकिन अब तो कम ही ऐसे उपन्यास प्रकाशित होते हैं। कभी मौका लगा तो इसे पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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