Wednesday, 1 April 2020

285. मरघट- परशुराम शर्मा

एक प्रेतात्मा की डरावनी कथा
मरघट- परशुराम शर्मा, हाॅरर उपन्यास

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में परशुराम शर्मा जी का नाम एक सितारे की तरह है। इनकी उपन्यास साहित्य को प्रदान अनमोल कृतिया हमेशा याद रहेगी। जहाँ परशुराम शर्मा जी ने सीरीज वाले उपन्यास लिखे, वहीं थ्रिलर और हाॅरर में भी प्रसिद्धि प्राप्त की।
       हाॅरर के क्षेत्र में 'अगिया बेताल' जैसे चर्चित कृति प्रदान करने वाले परशुराम शर्मा जी का एक और हाॅरर शृंखला का उपन्यास पढने को मिला। 'मरघट', 'पिशाच' और 'खून बरसेगा'। यह तीन भागों में लिखा गया एक बेहद चर्चित और डरावना उपन्यास है।
        उपन्यास की कहानी एक युवक पर आधारित है जो मृत्यु को प्राप्त हो चुका है लेकिन उसे स्वयं इस बात का पता नहीं है। - दुनिया का कौन सा डाक्टर मुझे मृत प्रमाणित कर सकता है? नही! मैं मरा नहीं, जीवित हूँ। ।
         कुछ परिस्थितियों के चलते वह युवक एक खतरनाक दुरात्मा के संपर्क में आता है और वहीं से वह नरभक्षी बन जाता है लेकिन उसे स्वयं भी इस बात का पता नहीं चलता।
खून अब मेरे मुँह में जा रहा था।
उफ! वह मृत शव था। यह मैं क्या कर रहा हूँ। मैं उसका खून पी रहा हूँ। वह छटपटा रहा है। फिर मैंने वही हथियार जिस्म के अन्य भागों पर भी लगाया। छाती से खून का फवारा सा निकला, जिसके कुछ छिंटे सामने की दीवार पर भी जा पड़े। फिर मेरा मुँह उस जगह पर टिक गया। दो- तीन वारों में ही मैंने उसका सारा गर्म रक्त निचोड़ लिया।

       राकेश अपनी प्रेयसी मालती के साथ मिश्र में अपने दोस्त के टाॅम विक्टर के पास जाना चाहता है। टाॅम विक्टर पारलौकिक शक्तियों का अच्छा ज्ञाता है। टाॅम विक्टर (विकी) और राकेश (रिकी) मिश्र के पिरामिडों से कुछ खोजना चाहते हैं।
उपन्यास में एक सेठ है जिसे लोग ब्लैक करना चाहते हैं।
साला सेठ पैसे देने से मना कर रहा था।"
"मैंने पहले ही कहा था कि उसे ब्लैकमेल करना आसान काम नहीं। कहीं वह उल्टा हमारा ही इन्तजाम‌ न करवा दे। पैसे में बड़ी ताकत होती है बाबा। अब तो चुपचाप किनारा कर लो।"
"चंदा किनारा नहीं करता बल्कि दूसरों को किनारे लगा देता है।"- चंदा हंसा।


एक डाक्टर जिसने एक युवक को मृत घोषित कर दिया पर वह युवक जीवित हो उठा।
"डाक्टर रविन घोष...उनका दावा था कि मरीज मर चुका है......अब आप ही बताईये; जो मरीज अब हंस बोल रहा है, उसे घोष ने मृत्य कैसे कह दिया....।"
     अपने समय का खतरनाक डाकू जो मरने के बाद भी स्त्री और धन के लिए लालायित रहता था। इसके लिए उसे जरूरत थी एक शरीर की।
"मेरा नाम शमशेर है। मैं‌ इसी दुनिया में जब जिंदा था तो भयंकर डाकू था। मैंने न जाने कितने लोगों को मौत के घाट उता दिया।....क्या तुझे मारकर तेरा छाया शरीर ले लू।"
      धीरे-धीरे उक्त सभी घटनाक्रम एक श्रेणी से जुड़ते चले जाते हैं और उपन्यास अपनी रफ्तार से आगे बढता है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढती है वैसे-वैसे डरावनी घटनाएं सामने आती चली जाती हैं।
उपन्यास की कुछ घटनाएं वास्तव में बहुत डरावनी महसूस होती है।

       यह हाॅरर श्रेणी का बहुत अच्छा उपन्यास है।‌ अगर कुछ है तो यही की उपन्यास प्रथम पुरूष में‌ लिखा गया है, इसलिए सारी घटनाओं की जानकारी हमें नायक के माध्यम से ही पता चलती है।
इस उपन्यास के तीन पार्ट है। इसलिए तीनों पार्ट पढने से पहले कहानी के विषय में ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं है।

उपन्यास- मरघट (प्रथम भाग)
लेखक- परशुराम शर्मा
प्रकाशन- सूरज पॉकेट बुक्स


1. मरघट
2. पिशाच- परशुराम शर्मा
3. खून बरसेगा

3 comments:

  1. सूरज से प्रकाशित खून बरसेगा क्या आखिरी पार्ट है या तीनो भागों ओआ संकलन है?? उपन्यास रोचक लग रहा है।

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    1. 'खून बरसेगा'‌तीन भागों का संकलन है।
      धन्यवाद मित्र ब्लॉग आगमन पर।

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