Sunday 20 June 2021

440. चीन का नाग- जुगुलकिशोर सिरवैया

कहानी जो कहानी नहीं...
चीनी नाग-  जुगुलकिशोर सिरवैया

'अरे बाप रे मार डाला।'- वह अधेड़ उम्र का व्यक्ति कार से उतर कर सेंट्रल बैंक आॅफ इण्डिया के सामने खड़ा हुआ था। कि अपनी कनपटी थाम कर चिल्लाता हुआ वह सीमेंट के फर्श पर गिर पड़ा। उसके हाथ में चमड़े का एक बैग था जो छिटक कर दूर जा पड़ा था।
   उक्त दृश्य है श्री जुगुल किशोर सिरवैया द्वारा रचित उपन्यास 'चीन का नाग' का। 
स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय-बगीचा-335051

    कभी इलाहाबाद से जासूसी डायरी नामक पत्रिका प्रकाशित होती थी जिसमें लघु कलेवर के जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते थे। हालांकि इस पत्रिका पर कहीं कोई वर्ष आदि का उल्लेख तो नहीं है। पर पत्रिका रजिस्टर्ड नम्बर 1676/64 है। इस से इतना तो पता चलता है कि यह उपन्यास सतर के दशक का है।
      कहानी है मुम्बई शहर की जहाँ एक सेठ की दिन दहाड़े हत्या कर दी जाती है और उसका रुपयों से भरा बैग गायब कर दिया जाता है।   अभी विधानसभा आरम्भ होने में कुछ दिन शेष थे। अगर विधानसभा में सेठ सच्चा की हत्या की चर्चा चली तो सत्ता पक्ष के लिए जवाब देना मुश्किल हो जायेगा। इसलिए पुलिस कमिश्नर मिस्टर शुक्ल और सुपर जालिम सिंह को बुला कर हत्यारे को जल्दी से जल्दी पकड़ने के आदेश दिये गये।
   पर यह इतना आसान न था।
वहीं अखबारों में खबर थी- "सेठ सच्चा सिंह की हत्या का रहस्य और उलझा। हत्यारा पचास लाख का माल लेकर गायब। पुलिस अभी तक नाकाम।" (पृष्ठ..)
   तब प्राइवेट डिटेक्टिव राजन को याद किया गया और सारा मामला उसे समझाया गया।
   राजन अभी इस केस की छानबीन ही कर रहा था तभी इन्कम टैक्स के आॅफिसर रमेश सिंहा का बच्चा गायब हो गया।
    शहर में कुछ अपराधी सक्रिय हैं जो खानों से हीरे चुराते हैं। ये अपराधी लोग 'चीन का नाग' के किए काम करते हैं।
- कौन था चीन का नाग?
-  सेठ सच्चा सिंह की हत्या क्यों और किसने की?
- रमेश सिंहा का बच्चा किसने चोरी किया?
  जैसे प्रश्नों के उत्तर उपन्यास पढने पर ही मालूम होंगे।
   उपन्यास का आरम्भ बहुत रोचक ढंग से होता है और कहानी मर्डर मिस्ट्री की तरह आगे बढती है। वही इस मर्डर की जांच के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव राजन अपने साथी रफीक और सेक्रेटरी इला के  साथ खोजबीन करता है।
     उपन्यास में दूसरा प्रकरण इन्कम टैक्स आॅफिसर रमेश सिंहा के बच्चे के गायब होने से संबंधित है।
  यहाँ तो कहानी बहुत रोचक और दिलचस्प है। लेकिन जब बात अपराधिवर्ग की आती है तो 'चीन का नाग' नामक एक संस्था को दिखाया जाता है।
ये लोग कौन है? कहां से हैं और चीन का नाग कौन है? आदि कुछ भी स्पष्ट नहीं है। बस कुछ अपराधियों के नाम कोडवर्ड में दिखा कर सनसनी फैलाने की हल्की सी कोशिश की गयी है।
   पर कहीं कुछ भी स्पष्ट नहीं होता। और अंत में जिस ढंग से अपराधि वर्ग की एक सदस्या को पकड़ लिया जाता है और उसको खोजने का जो तरीका है वह तो  किसी भी ढंग से उचित नहीं जान पड़ता।
       उपन्यास समापन पर तो ऐसा लगता है जैसे बहुत जल्दीबाजी में समेट गया हो। ऐसा लगता है सार्थक कहानी तो उपन्यास में है ही नहीं।
    हां, उपन्यास में सेठ सच्चा सिंह की हत्या का तरीका जो दिखाया गया है वह एक नया प्रयोग है।
     उपन्यास समय की बर्बादी है।।
उपन्यास- चीन का नाग
लेखक -    जुगलकिशोर सिरवैया
प्रकाशन- जासूसी डायरी, इलाहाबाद

1 comment:

  1. उपन्यास विषयवस्तु से तो रोचक लग रहा है। कई बार execution के चलते अच्छा विषय वाला उपन्यास औसत से नीचे का बन जाता है। इसके साथ भी यही हुआ लगता है।

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