जो सबको मौत देती है...
मैडम मौत- वेदप्रकाश कांबोज
थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री, विजय सीरीज
आदमी का स्वार्थ उसे किस हद तक ले जाता है, इसका उदाहरण है वेदप्रकाश कांबोज द्वारा लिखित उपन्यास 'मैडम मौत'। उपन्यास चाहे मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर घटनाक्रम पर आधारित है, पर यह कहानी तो हमारे समाज की ही है, उस समाज की जहाँ लोग स्वार्थ के लिए अपने परिवार, मित्र-बंधुओं तक से फरेब करते नजर आते हैं।
सितंबर 2020 में वेदप्रकाश कांबोज जी का मैंने यह द्वितीय उपन्यास उपन्यास पढा है, इससे पूर्व इसी माह मैंने 'जवाब मुँह तोड़' पढा था जो की इसी उपन्यास की तरह 'विजय सीरीज' का मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर उपन्यास है।
दोनों उपन्यास मुझे रोचक और दिलचस्प लगे।
अब चर्चा करते हैं उपन्यास 'मैडम मौत' की।
उपन्यास हरि नगर नामक एक काल्पनिक शहर पर आधारित है। जहाँ राजनीति में दो प्रतिद्वंद्वी है। एक है रामप्रकाश बग्गा और दूसरा है राजसिंह। जहाँ राज सिंह के साथ पत्रकार महादेव है वहीं रामप्रकाश बग्गा के हर कारनामे का साथी है उसका सेक्रेटरी चन्द्रनाथ।
अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा का विस्तार करते हुए रामप्रकाश ने अपने पुत्र कुलदीप बग्गा को राजनीति में उतारा लेकिन एक सभा के दौरान कुलदीप की हत्या हो जाती है और कुलदीप के हत्यारे की भी। अपने भाई की मृत्यु के पश्चात नरेश बग्गा शहर का हीरो बन गया। नरेश बग्गा शहर की सबसे बड़ी हस्ती रामप्रकाश बग्गा का छोटा और सिर चढा बेटा था। लेकिन वह जनता की नजर में खलनायक था। जनता तो कुलदीप को याद करती थी।
वो कुलदीप जो भला था जिससे औरों का भी कुछ भला होने की उम्मीद थी उसे तो अपने पास बुला लिया और इस हराम के पिल्ले को इस दुनिया में खुला छोड़ रखा है पाप की गंगा बहाने के लिए...वाह राम जी वाह...।
वहीं कुलदीप के ससुर का मानना है की कुलदीप की हत्या के पीछे कोई गहरी साजिश है। वे जासूस विजय को इस साजिश का पता लगाने की जिम्मेदारी देते हैं।
एक कत्ल के इल्जाम में (?) में फरार बख्त सिंह पहाड़ियों में छुपने चला जाता है।
राजसिंह और महादेव भी एक सिलसिले में घर कहीं चले जाते हैं।
-विजय एक लापता लड़की की तलाश में होता है और एक घटनाक्रम के चलते सब मैडम मौत के किले में जा पहुंचते हैं। जहाँ उपन्यास एक नयी घटना की ओर इशारा करता है और एक एक कर सब रहस्य खुलते चले जाते हैं।
उपन्यास की कहानी घुमावदार है। एक कत्ल से आरम्भ होती यह कहानी आगे कई और घटनाओं को अपने समेटती हुयी रहस्यमयी बन जाती है। विजय जैसा बुद्धिमान जासूस भी अपने आँखों के समक्ष होती घटनाओं को समझ नहीं पाता और कत्ल पर कत्ल होते चले जाते हैं।
उपन्यास के कुछ पात्र मुझे बहुत रोचक और दिलचस्प लगे। मैं यहाँ कुछ पात्रों का वर्णन कर रहा हूँ, कुछ पात्र तो पाठक के मस्तिष्क पर अपना प्रभाव जमाने में कामयाब रहे हैं।
छंगू-मंगू- ये दोनों खतरनाक किस्म के पात्र हैं।
छंगू-मंगू थे उन दोनों खतरनाक हत्यारे बदमाशों के नाम जो आपस में गहरे दोस्त थे।
विस्की पापा- एक यादगार पात्र। इस पात्र का किरदार बहुत रोचक है। प्रभावशाली भी है।
वह एक पैंसठ वर्षीय वृद्ध था जिसकी रग रग से शराब का खुमार टपकता था। वह हरी नगर का एक मात्र ऐसा रिपोर्टर था जो फोटोग्राफर भी था...और इतना मशहूर शराबी था कि पूरे शहर में विस्की पापा के नाम से मशहूर था।
विस्की पापा का यूं तो विस्की के बारे में कभी कोई असूल नहीं रहा...लेकिन एक असूल का उसने जिंदगी भर पालन किया कि मुफ्त की विस्की कभी मत ठुकराओ चाहे दुश्मन ही क्यों न पेश कर रहा हो।
बंता सिंह- पुलिस विभाग के इस कर्मचारी का किरदार बहुत छोटा है लेकिन वह अपनी संवाद शैली से पाठकों को प्रभावित करता है।
एक संवाद देखें- कानून के आदमी को कानून सिखाने की कोशिश की तो बेटा बत्तीसी निकालकत हाथ में दे दूंगा....बंता सिंह
मैडम मौत- यह उपन्यास का महत्वपूर्ण पात्र है। इसी के नाम पर उपन्यास का नामकरण हुआ है। यह पात्र चाहे उपन्यास के मध्य भाग पश्चात उपस्थित होता है लेकिन यह सब पर हावी होता है। पाठक के लिए इसका रहस्य भी है की आखिर यह है कौन?
"तुम कौन हो?"- विजय ने...बैठते हुए पूछा।
"मौत...मैडम मौत।" वह अजीब अदा से मुस्कुराती हुयी एक खास किस्म के गरूर के साथ बोली-"लोग मुझे मैडम मौत कहते हैं।"
"तुम मुझे पुलिस का आदमी समझ सकते हो।"
"पुलिस के आदमी रिश्वत लेते हैं, देते नहीं।"
वेदप्रकाश कांबोज जी की एक और विशेषता यहाँ वर्णित करना चाहूंगा, वह है इनका भाषा कौशल। इनके उपन्यासों में व्याकरण, साहित्य, अलंकार और भाषा पर चर्चा देखी जा सकती है। ऐसा मुझे और किसी भी लेखक के उपन्यास में नहीं मिला। इस उपन्यास में अनुप्रास अलंकार के बहुत उदाहरण देखने को मिलते हैं।
यहाँ व्याकरण के अनुसार संवाद देखें-
...अगर हम कर्ता, कारण और कारक के व्याकरण को इस्तेमाल करके इस बात को सोचते है कि असली... 'मैडम मौत' राजनीति पर आधारित एक थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है। इसका घटनाक्रम चाहे भारत है लेकिन इसका विस्तार अन्य पड़ोसी देशों तक है। कहानी काफी रोचक है, जो पाठक को प्रभावित करने में सक्षम है।
उपन्यास- मैडम मौत
लेखक- वेदप्रकाश कांबोज
प्रकाशक- राधा पॉकेट बुक्स, मेरठ
विजय सीरीज
मैडम मौत- वेदप्रकाश कांबोज
थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री, विजय सीरीज
आदमी का स्वार्थ उसे किस हद तक ले जाता है, इसका उदाहरण है वेदप्रकाश कांबोज द्वारा लिखित उपन्यास 'मैडम मौत'। उपन्यास चाहे मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर घटनाक्रम पर आधारित है, पर यह कहानी तो हमारे समाज की ही है, उस समाज की जहाँ लोग स्वार्थ के लिए अपने परिवार, मित्र-बंधुओं तक से फरेब करते नजर आते हैं।
सितंबर 2020 में वेदप्रकाश कांबोज जी का मैंने यह द्वितीय उपन्यास उपन्यास पढा है, इससे पूर्व इसी माह मैंने 'जवाब मुँह तोड़' पढा था जो की इसी उपन्यास की तरह 'विजय सीरीज' का मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर उपन्यास है।
दोनों उपन्यास मुझे रोचक और दिलचस्प लगे।
अब चर्चा करते हैं उपन्यास 'मैडम मौत' की।
उपन्यास हरि नगर नामक एक काल्पनिक शहर पर आधारित है। जहाँ राजनीति में दो प्रतिद्वंद्वी है। एक है रामप्रकाश बग्गा और दूसरा है राजसिंह। जहाँ राज सिंह के साथ पत्रकार महादेव है वहीं रामप्रकाश बग्गा के हर कारनामे का साथी है उसका सेक्रेटरी चन्द्रनाथ।
अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा का विस्तार करते हुए रामप्रकाश ने अपने पुत्र कुलदीप बग्गा को राजनीति में उतारा लेकिन एक सभा के दौरान कुलदीप की हत्या हो जाती है और कुलदीप के हत्यारे की भी। अपने भाई की मृत्यु के पश्चात नरेश बग्गा शहर का हीरो बन गया। नरेश बग्गा शहर की सबसे बड़ी हस्ती रामप्रकाश बग्गा का छोटा और सिर चढा बेटा था। लेकिन वह जनता की नजर में खलनायक था। जनता तो कुलदीप को याद करती थी।
वो कुलदीप जो भला था जिससे औरों का भी कुछ भला होने की उम्मीद थी उसे तो अपने पास बुला लिया और इस हराम के पिल्ले को इस दुनिया में खुला छोड़ रखा है पाप की गंगा बहाने के लिए...वाह राम जी वाह...।
वहीं कुलदीप के ससुर का मानना है की कुलदीप की हत्या के पीछे कोई गहरी साजिश है। वे जासूस विजय को इस साजिश का पता लगाने की जिम्मेदारी देते हैं।
एक कत्ल के इल्जाम में (?) में फरार बख्त सिंह पहाड़ियों में छुपने चला जाता है।
राजसिंह और महादेव भी एक सिलसिले में घर कहीं चले जाते हैं।
-विजय एक लापता लड़की की तलाश में होता है और एक घटनाक्रम के चलते सब मैडम मौत के किले में जा पहुंचते हैं। जहाँ उपन्यास एक नयी घटना की ओर इशारा करता है और एक एक कर सब रहस्य खुलते चले जाते हैं।
उपन्यास की कहानी घुमावदार है। एक कत्ल से आरम्भ होती यह कहानी आगे कई और घटनाओं को अपने समेटती हुयी रहस्यमयी बन जाती है। विजय जैसा बुद्धिमान जासूस भी अपने आँखों के समक्ष होती घटनाओं को समझ नहीं पाता और कत्ल पर कत्ल होते चले जाते हैं।
उपन्यास के कुछ पात्र मुझे बहुत रोचक और दिलचस्प लगे। मैं यहाँ कुछ पात्रों का वर्णन कर रहा हूँ, कुछ पात्र तो पाठक के मस्तिष्क पर अपना प्रभाव जमाने में कामयाब रहे हैं।
छंगू-मंगू- ये दोनों खतरनाक किस्म के पात्र हैं।
छंगू-मंगू थे उन दोनों खतरनाक हत्यारे बदमाशों के नाम जो आपस में गहरे दोस्त थे।
विस्की पापा- एक यादगार पात्र। इस पात्र का किरदार बहुत रोचक है। प्रभावशाली भी है।
वह एक पैंसठ वर्षीय वृद्ध था जिसकी रग रग से शराब का खुमार टपकता था। वह हरी नगर का एक मात्र ऐसा रिपोर्टर था जो फोटोग्राफर भी था...और इतना मशहूर शराबी था कि पूरे शहर में विस्की पापा के नाम से मशहूर था।
विस्की पापा का यूं तो विस्की के बारे में कभी कोई असूल नहीं रहा...लेकिन एक असूल का उसने जिंदगी भर पालन किया कि मुफ्त की विस्की कभी मत ठुकराओ चाहे दुश्मन ही क्यों न पेश कर रहा हो।
बंता सिंह- पुलिस विभाग के इस कर्मचारी का किरदार बहुत छोटा है लेकिन वह अपनी संवाद शैली से पाठकों को प्रभावित करता है।
एक संवाद देखें- कानून के आदमी को कानून सिखाने की कोशिश की तो बेटा बत्तीसी निकालकत हाथ में दे दूंगा....बंता सिंह
मैडम मौत- यह उपन्यास का महत्वपूर्ण पात्र है। इसी के नाम पर उपन्यास का नामकरण हुआ है। यह पात्र चाहे उपन्यास के मध्य भाग पश्चात उपस्थित होता है लेकिन यह सब पर हावी होता है। पाठक के लिए इसका रहस्य भी है की आखिर यह है कौन?
"तुम कौन हो?"- विजय ने...बैठते हुए पूछा।
"मौत...मैडम मौत।" वह अजीब अदा से मुस्कुराती हुयी एक खास किस्म के गरूर के साथ बोली-"लोग मुझे मैडम मौत कहते हैं।"
पुलिस की रिश्वतखोरी पर एक गहरा व्यंग्य देखें। इस प्रकार के उदहारण मुझे विशेष कर अच्छे लगते हैं। एक अच्छा लेखक कहानी के साथ-साथ तात्कालिक समाज के घटनाक्रम को भी वर्णित करता है।
"तुम कौन हो?"-मेज पर बैठने के बाद डिमेलो ने पूछा"तुम मुझे पुलिस का आदमी समझ सकते हो।"
"पुलिस के आदमी रिश्वत लेते हैं, देते नहीं।"
वेदप्रकाश कांबोज जी की एक और विशेषता यहाँ वर्णित करना चाहूंगा, वह है इनका भाषा कौशल। इनके उपन्यासों में व्याकरण, साहित्य, अलंकार और भाषा पर चर्चा देखी जा सकती है। ऐसा मुझे और किसी भी लेखक के उपन्यास में नहीं मिला। इस उपन्यास में अनुप्रास अलंकार के बहुत उदाहरण देखने को मिलते हैं।
यहाँ व्याकरण के अनुसार संवाद देखें-
...अगर हम कर्ता, कारण और कारक के व्याकरण को इस्तेमाल करके इस बात को सोचते है कि असली... 'मैडम मौत' राजनीति पर आधारित एक थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है। इसका घटनाक्रम चाहे भारत है लेकिन इसका विस्तार अन्य पड़ोसी देशों तक है। कहानी काफी रोचक है, जो पाठक को प्रभावित करने में सक्षम है।
उपन्यास- मैडम मौत
लेखक- वेदप्रकाश कांबोज
प्रकाशक- राधा पॉकेट बुक्स, मेरठ
विजय सीरीज
मेरे पास भी है, मैं भी इसे जल्द पढ़ता हूँ।
ReplyDeleteअच्छी समीक्षा।
रोचक उपन्यास लग रहा है। मिलता है तो पढ़ता हूँ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गुरप्रीत भाई. समीक्षा ने उपन्यास पढ़ने की उत्सुकता जगा दी. काम्बोज सर तो वैसे भी उपन्यास जगत के शीर्ष लेखकों में से एक हैं. उन्होंने उपन्यास जगत को विजय जैसी बेमिसाल सीरिज दी है, हालाँकि मैंने इस सीरिज के अधिक उपन्यास नहीं पढ़े लेकिन नाम बहुत सुना है.
ReplyDeleteआपकी समीक्षा पढ़ने के बाद तुरंत उपन्यास पढ़ने का मन करने लगता है.
अगर संभव हो तो कोई पीडीएफ वर्जन "मैडम मौत" मेरे what's app 8294910743 भेजने की कृपा करे इसके लिए मै उन्हें उपन्यास की को कीमत होगी पे कर दूंगा।
ReplyDelete