Friday 31 January 2020

265. नौकर की कमीज- विनोद कुमार शुक्ल

परिस्थिति और मनुष्य
नौकर की कमीज- विनोद कुमार शुक्ल

कभी-कभी कुछ अलग पढने की इच्छा होती है तो तब कुछ विशेष और कभी अविशेष पढा जाता है। एक उपन्यास जो काफी चर्चा में रहा वह है विनोद कुमार शुक्ल जी का 'नौकर की कमीज'। यह एक पूर्णतः साहित्यिक रचना है जो अभिधा की बजाय लक्षणा और व्यंजना के माध्यम से बहुत कुछ कहता है।
        मनुष्य कठिन परिस्थितियों के दौरान किस तरह से अपने को व्यवस्थित रखता है, कैसा व्यवहार करता है और शासक (मालिक) का उसके प्रति कैसा व्यवहार होता है आदि घटनाक्रम को इस उपन्यास के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
उपन्यास का मुख्य पात्र है संतू बाबू। संतू बाबू एक दफ्तर में क्लर्क (बाबू) हैं। यही कथा संतू बाबू के इर्द गिर्द रची गयी।‌
संतु बाबू एक दफ्तर में क्लर्क हैं और एक डाक्टर के घर किरायेदार। संतू बाबू कहते है- म लोगों की सारी तकलीफ उन लोगों की होशियारी और चालाकी के कारण थीं जो बहुत मजे में थे और जिनसे हमारा परिचय नहीं था। इन सबके बीच जिंदगी का मकसद ढूँढ़ना मुश्किल काम नहीं था।
      जहां एक तरफ आम आदमी मुश्किल से अपना जीवन यापन करता है वहीं शासकवर्ग इसी आम आदमी का शोषण करता है। - मैं दुःख को खत्म करने के प्रयास के लिए स्टेमिना चाहता था। एक अच्छा फार्म पाना चाहता था। जिंदा रहना और दुःख सहना, दोनों की शक्ल इतनी मिलती-जुलती थी जैसे जुड़वा हों।

नौकर की कमीज- दफ्तर के साहब के घर पर नौकर के लिए सिलाई गयी एक कमीज है। साहब ऐसा नौकर ढूंढ रहे हैं जिसे वह कमीज पूरी आ सके। इस प्रसंग को पढकर बाबू भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का नाटक 'अंधेर नगरी' याद आ जाता है।
वर्तमान परिस्थितियाँ भी ऐसी हैं हर कोई बलि का बकरा ढूंढता है।
वह चाहे संतू बाबू के दफ्तर के साहब हो या संतू बाबू के मकान मालिक डाक्टर‌। इन के समक्ष संतू बाबू की स्थिति कमजोर है। इसलिए वे संतू बाबू और उनकी पत्नी से सही ढंग से पेश नहीं आते।


       यह साहित्यिक रचना तो इसमें काफी कुछ पढने को और समझने को मिल जाता है। ऐसी ही एक पंक्ति उदाहरण स्वरूप देखें।
उदारता और दया का सीधा-साधा संबंध रुपए से है। सिर पर हाथ फिरा देना न तो उदारता होती है, न दया। बस सिर में हाथ फिराना होता है।
उपन्यास पृष्ठ

     एक बात स्पष्ट कर दूं यह रचना सामान्य अभिधा में रचित नहीं है। सामान्य पाठक के लिए अपठनीय है। क्योंकि उपन्यास में बहुत प्रतीकों, व्यंग्य आदि के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
हालांकि मुझे भी उपन्यास पढने में बहुत नीरस महसूस हुयी। लेकिन सुधि पाठक वर्ग के लिए अच्छी रचना है।

उपन्यास- नौकर की कमीज
लेखक- विनोद कुमार शुक्ल
प्रकाशक-
लिंक-  
नौकर की कमीज

1 comment:

  1. If you're looking to burn fat then you have to try this totally brand new tailor-made keto plan.

    To create this keto diet service, licensed nutritionists, personal trainers, and top chefs joined together to provide keto meal plans that are useful, suitable, money-efficient, and delicious.

    Since their grand opening in early 2019, thousands of people have already remodeled their body and health with the benefits a smart keto plan can give.

    Speaking of benefits: clicking this link, you'll discover eight scientifically-tested ones offered by the keto plan.

    ReplyDelete

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...