Thursday 11 May 2017

43. साजिश- सुरेन्द्र मोहन पाठक

अनिल पंवार जब उस बरसाती और तूफानी रात को अपने घर पहुंचा तो उसकी बीवी घर से गायब थी। कब, कहां, किसके साथ चली गयी किसी को भी पता नहीं।
सब कहते रहे की वह अनिल पंवार को छोङ कर चली गयी, पर अनिल पंवार का मानना था की उसके साथ कोई हादसा हो गया, कोई साजिश हो गयी।
- तो कहां चली गयी अनिल पंवार की पत्नी?
-क्या वो एक साजिश थी? 

साजिश सुरेन्द्र मोहन पाठक का एक अति तेज रफ्तार उपन्यास है। विमान की रफ्तार की तरह चलने वाला एक ऐसा कथानक है जिसे पाठक एक ही बैठक में पढना चाहेगा। उपन्यास में कसावट भी इतनी है के पाठक कहीं भी क्षणभर के लिए बोरियत महसूस नहीं करता।       कहानी-
   अनिल पंवार एक केमिस्ट फार्मा में काम करने वाला नौजवान है। जिसकी आर्थिक स्थिति कोई ज्यादा अच्छी नहीं है।
   आठ माह पहले ही उसका विवाह हुआ है। अनिल पंवार की साली भी उनके साथ रहती है।
एक रात जब अनिल पंवार घर पहुंचा तो घर से उसकी पत्नी व साली दोनों गायब थी। बहुत इंतजार किया, बहुत ढूंढा पर वे दोनों न मिली।
    लोग उनके अतीत को देखते हुए कह रहे थे की दोनों अनिल पंवार को छोङ कर चली गयी। अनिल पंवार को इस बात पर विश्वास नहीं था। उसे लगता था उनके साथ साजिश हो गयी।
     अपनी पत्नी व साली के अतीत से अनजान अनिल पंवार उन्हें ढूंढने निकला तो उनके काले अतीत का एक भयावह सच सामने आ गया। जब अनिल पंवार ने इस काले सच को पार करना चाहा तो उसके रास्ते में कई लाशें बिछ गयी।
  - क्या अनिल पंवार की पत्नी व साली सच में गायब हो गयी थी?
- क्या उनके साथ साजिश रची गयी थी?
- क्या था उनके अतीत का सच?
- क्या अनिल उन्हें वापस पा सका?
ऐसे असंख्य प्रश्नों के उत्तर तो सुरेन्द्र मोहन पाठक के उपन्यास साजिश को पढ कर ही मिल सकते हैं।
  विशेष- इस उपन्यास की कहानी व पात्र इस प्रकार आपस में मिले हुए हैं या एक ऐसा मिश्रण है की किसी भी पात्र का वर्णन करने का अर्थ होगा कहानी का रोमांच खत्म करना।
   एक तेज रफ्तार उपन्यास जो किसी भी पाठक को सम्मोहित करने की क्षमता रखता है।
-------
उपन्यास- साजिश
लेखक- सुरेन्द्र मोहन पाठक

No comments:

Post a Comment

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...