Tuesday 17 November 2020

398. सफेद चूहा- वेदप्रकाश शर्मा

कहानी चमगादड़ की
सफेद चूहा- वेदप्रकाश शर्मा
किस्सा अफ्रीका के जंगलों में मौजूद जाकिर नामक एक कबीले से शुरू हुआ गुरु। इस कबीले के लोग चमगादड़ के पुजारी हैं। जो चमगादड़ उनके पास था वह पुरातत्व दुनिया के लिए एक भेद है । अफ्रीकी सरकार ने संग्राम को उस चमगादड़ की खोज में लगाया था। जैकसन आदि पहले ही उस चमगादड़ के चक्कर में थी।
        वह एक चमगादड़ था जिसे हर कोई प्राप्त करना चाहता था। अफ्रीका से अमेरिका और भारत तक के लोग इस चमगादड़ के लिए संघर्ष कर रहे थे।
 
लोकप्रिय साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा सस्पेंश के बादशाह माने जाते हैं‌। उनका एक विशाल पाठकवर्ग है। वेद जी का नाम लोकप्रिय साहित्य में सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक के रूप में जाना जाता है।             वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक उपन्यास घटनाप्रधान होते थे, जिनमें कहानी पर विशेष ध्यान न देकर पात्रों के कारनामों का वर्णन किया जाता था। यह मात्र वेदप्रकाश शर्मा जी के ही उपन्यासों में नहीं बल्कि तात्कालिक लेखकों के उपन्यासों में भी देखा जा सकता है। वह समय ही ऐसा था, जिसमें जो लेखक जितने आश्चर्यजनक कारनामे दिखा सकता था वह श्रेष्ठ था।
                इन दिनों वेदप्रकाश शर्मा जी का उपन्यास 'सफेद चूहा' पढा, यह एक घटनाप्रधान उपन्यास है। जिसमें मुख्य पात्र विजय-विकास, अलफांसे, प्रिंसेज जैक्शन के अतिरिक्त संग्राम और ड्रोमांड।
कहानी आरम्भ अलफांसे से होता है जो दक्षिणी अफ्रीका के एक देश नैरोबी में उपस्थिति था।
अलफांसे
अन्तरराष्ट्रीय अपराधी
बड़े से बड़ा राष्ट्र उसके नाम मात्र से ही डरता है जिस राष्ट्र को भी यह सूचना मिल जाती है कि अलफांसे उसकी सर- हद में है तो उस देश के धुरन्धर जासूसों की निगाह उस पर लग जाया करती है। अलफांसे का ज्यादा परिचय देना हम ठीक नहीं समझते ज्यादातर लोग उसे जानते हैं। जानने वाले तो ये भी जानते हैं कि अलफांसे के पैर में चक्र है कहीं भी वह टिक कर नहीं रहता। पूरी दुनिया में घूमते रहना और विभिन्न राष्ट्रों में तरह-तरह के अपराध करके दौलत बटोरना उसका मुख्य धन्धा है।
तभी तो उसके बारे में प्रसिद्ध है कि उसे कब कहां देखा जाए कोई नहीं जानता ।
दुनिया के हर शहर में अपराध जगत है और हर शहर में ही उसके चेले चपाटे मौजूद हैं। (उपन्यास अंश)
  इस वक्त नैरोबी में अलफांसे अपने शिष्य ड्रोमांड के अड्डे पर था। ड्रोमांड के प्रतिद्वंद्वी संग्राम से अलफांसे की खतरनाक भिड़ंत होती है और संग्राम से हुआ यह संघर्ष अंत तक चलता है।
   यहाँ नैरोबी के एक जंगली कबीले में एक विशिष्ट धातु से निर्मित एक विशेष चमगादड़ प्राप्त होता है। जिसे पाने के लिए ब्रह्माण्ड सुंदरी प्रिंसेज जैक्सन, अंतरराष्ट्रीय अलफांसे और स्थानीय गुण्डा संग्राम।
              कहानी नैरोबी से भारत पहुँच जाती है। सिर्फ कहानी ही नहीं वह विशिष्ट चमगादड़ भी भारत पहुँच जाता है और उसे प्राप्त करने वालों की संख्या में एक देश और शामिल हो जाता है।
  यहाँ भारतीय जासूस विजय-विकास सक्रिय हैं। जहाँ विजय अलफांसे को गिरफ्तार करना चाहता है वहीं विकास अलफांसे का सहायक बनता है।
      उपन्यास के कथानक को मुख्यतः दो भागों में विभक्त कर सकते हैं। एक भूतिया जंगल से पूर्व और द्वितीय भूतिया जंगल में।
         भारत में कहानी भूतिया जंगल की तरफ घूम जाती है। किस्सा यहाँ भी उसी चमगादड़ को प्राप्त करने का है। उपन्यास का यह भाग पाठक को तिलस्मी उपन्यास जैसा प्रतीत होता है। यहाँ घुड़सवार, भयानक दानव, खतरनाक जंगल, रहस्यमयी औरत और अजगर उपस्थित हैं।
  इस भूतिया जंगल में अंत में प्रिंसेज जैक्सन,अंतरराष्ट्रीय अपराधी, विजय-विकास और संग्राम के मध्य खतरनाक संघर्ष होता है और उपन्यास एक दल को चमगादड़ प्राप्त होता है और उपन्यास समाप्त।
   उपन्यास में अलफांसे कुछ समय तक विजय की कस्टडी में जेल में बंद रहता है और साथ ही वह विजय को यह भी कहता  - असफांसे को दुनिया की कोई भी शक्ति कैद नहीं कर सकती।
    अलफांसे जेल से कैसे निकला यह पठनीय प्रसंग है।
प्रिंसेज जैक्सन का किरदार भी बहुत कम है और वह इस उपन्यास में अपनी वैज्ञानिक शक्तियों से विहीन है।
         संग्राम का किरदार बहुत प्रभावशाली है वह अलफांसे तक को चकमा दे देता है। विजय भी संग्राम से प्रभावित होता है।
उपन्यास शीर्षक- उपन्यास का शीर्षक 'सफेद चूहा' है। पाठक के मस्तिष्क में पहला प्रश्न यह आता है की यह शीर्षक क्यों?
जैसा की पहले ही चर्चा हो चुकी है यह उपन्यास घटनाप्रधान है तो यह शीर्षक इस बात की‌ पुष्टि करता है। उपन्यास में 'सफेद चूहा' एक मददगार की तरह आता है और एक पात्र विशेष की विशेष मदद करता है।
    उसी घटना के आधार पर उपन्यास का नाम सफेद चूहा रखा गया है। उपन्यास का कथानक एक चमगादड़ से संबंधित है। लेखक महोदय चाहते तो चमगादड़ को सफेद दिखा कर उपन्यास का नाम 'सफेद चमगादड़' रख सकते थे जो कि सफेद चूहा शीर्षक की बजाय ज्यादा तर्कसंगत होता।
डायलॉग
          सारी दुनिया को अलफांसे की मदद की जरूरत पड़ सकती है, अलफांसे को किसी की नही।

उपन्यास में जानवरों की भूमिका-

उपन्यास का शीर्षक ही एक जानवर से संबंधित है। यहाँ अन्य भी बहुत से जानवर हैं जो उपन्यास को आगे बढाते हैं और उनके प्रसंग काफी रोचक हैं।
सर्वप्रथम बात करें उपन्यास शीर्षक की तो उपन्यास का शीर्षक है 'सफेद चूहा'। हालांकि चूहे का किरदार बहुत कम है लेकिन जहाँ है वहाँ महत्वपूर्ण है।
     उपन्यास में एक टार्की नामक कबूतर भी है। इसका एक दृश्य है। लेकिन वह मार्मिक है।
   एक खतरनाक अजगर भी उपन्यास में है और एक भयानक दानव भी उपस्थित है जिसके साथ विजय और अलफांसे का संघर्ष होता है। 
दानव के दायें हाथ की मुट्ठी में विजय था और पहले यही हाथ मुंह की तरफ बढ़ रहा था। विजय के लिए अत्यन्त खतरनाक क्षण थे। साक्षात मौत उसे अपने मुंह में रखना चाहती थी।  (उपन्यास अंश)
कुछ दमदार और समझदार घोड़े भी हैं।
उपन्यास का कथानक भी एक चमगादड़ से संबंधित है।
    
वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'सफेद चूहा' एक घटनाप्रधान उपन्यास है। जिसमें एक विशेष धातु से निर्मित और अफ्रीका के जंगलों से प्राप्त एक रहस्यमय चमगादड़ की कहानी है। जिसे विभिन्न लोग प्राप्त करना चाहते हैं और इसकी प्राप्ति हेतु संघर्ष करते नजर आते हैं।
    यह पूर्णतः एक्शन प्रधान उपन्यास है। कथा स्तर पर न्यूनतम है। रोमांच के लिए पढा जा सकता है।
उपन्यास-  सफेद चूहा
लेखक-     वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक-   राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ-          235

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