Wednesday 11 November 2020

397. साँप की बेटी- कर्नल रंजीत

कर्नल रंजीत की अजमेर यात्रा
साँप की बेटी- कर्नल रंजीत

धरती के सीने में छिपी एक रहस्यमयी बस्ती और उसमें होने वाले गैरकानूनी कारनामों के बाद भयानक हत्याओं और खौफनाक घटनाओं से भरपूर कर्नल रंजीत का सनसनीखेज जासूसी उपन्यास- 'सांप की बेटी' । इसे पढ़ना आरम्भ करते ही आप घटनाओं के रहस्यमय ताने-बाने में खो जाएंगे और उपन्यास को पूरा किए बिना चैन नहीं लेंगे। (उपन्यास आवरण पृष्ठ से)
    हिंदी लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में कर्नल रंजीत का नाम शिखर पर रहा है। हालांकि यह भी एक रहस्य है कि कर्नल रंजीत नाम‌ के पीछे कौन था? लेकिन कर्नल रंजीत द्वारा सृजित पात्र मेजर बलवंत उपन्यास साहित्य में अत्यंत प्रसिद्ध रहा है। कभी हिंदी पॉकेट में चर्चित यह पात्र मनोज पॉकेट बुक्स के पास आ गया।
 मेजर बलवंत ने लॉ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी और विधि-विशेषज्ञ बनने की खुशी में उसने अपने सहकर्मियों को शिकार का निमन्त्रण दिया था। मेजर बलवंत अपने सहयोगी सोनिया, विनोद मल्होत्रा और अशोक के साथ राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद के जंगलों में शिकार खेलने आया था। लेकिन मौजमस्ती और शिकार का आनंद तब खत्म हो गया जब उन्हें जंगल में एक लाश मिली। उस लाश के पास एक बुजुर्ग व्यक्ति भी बेहोश अवस्था में मिला था।    होश में आने पर उस बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी व्यथा मेजर बलवंत को कुछ यूं सुनाई - "मैं डॉ. जगदीश राय हूं। मुझे आशा नहीं थी कि मेरा मित्र आज मुझे इस जंगल में मिलेगा और इस हालत में मिलेगा। इस दुनिया में केवल सत्यनारायण ही मेरा मित्र था मेरा हमदर्द और मेरे सुख-दुःख का साथी मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं इस सदमे को कैसे सहन कर पाया हूँ।"
     डॉक्टर जगदीश राय ने मेजर बलवंत से अपने मित्र सत्यनारायण की हत्या के केस को हल करने की अपील की- “मैं आपको तब तक नहीं जाने दूंगा जब तक कि आप मेरे मित्र की हत्या के रहस्य को स्पष्ट नहीं कर देंगे।”
      मेजर बलवंत ने भी यह तय कर लिया की वह सेठ सत्यनारायण की जंगल में हुयी इस हत्या के रहस्य को अवश्य सुलझायेगा।
      जब मेजर बलवंत इस हत्या के केस को हल करने निकलता है तो  दो और कत्ल हो जाते हैं। डॉक्टर जगदीश को कहना पड़ता है-  “ऐसे हत्यारे से वास्ता पड़ा है जो रहम करना या तरस खाना बिल्कुल नहीं जानता उसने पहले सेठ सत्यनारायण की हत्या की और फिर उस हत्या के राजदार को मार डाला।" 
वहीं मेजर बलवंत के सामने कई ऐसे तथ्य आते है जो कातिल की तरफ इशारा करते हैं।  
सेठ सत्यनारायण एक बैंक के मालिक हैं और उन्होंने अपने मित्र गिफ्ट वाॅच कम्पनी के मालिक रघुनाथ को बिना किसी लिखित के काफी रुपये उधार दे रखें हैं।
 वहीं सेठ सत्यनारायण की पुत्री का मंगेतर वकील योगध्यान को सेठ जी कुछ बातों में पसंद न थे, इसलिए वह योगध्यान से मिलना भी पसंद न करते थे।
      यह तो है कहानी का मुख्य आधार। इसके साथ-साथ अन्य और बहुत सी कहानियाँ भी चलती हैं जो कथा को विस्तृत करती हैं, हालांकि उनका मुख्य कथा से कोई सीधा संबंध नहीं है।
   वहीं राव रणवीर सिंह की पत्नी एक अय्याश महिला है जिसका चरित्र काफी संदिग्ध है। गिफ्ट वाच कम्पनी के मालिक और नौकरों का वहाँ आना-जाना रहता है। 
  जंगल के चौकीदार मंगल और उसका भाई कुछ संदिग्ध परिस्थितियों में मारे जाते हैं। मेजर बलवंत का  मानना है की दोनों भाई सेठ सत्यनारायण के हत्यारे के विषय में कुछ न कुछ जानते हैं।
 वहीं मेजर बलवंत पर भी दो बार जान लेवा हमला होता है। वह हमला मेजर बलवंत को यह दर्शा जाता है की उसकी खोज सही रास्ते पर जा रही है। 
  मेजर बलवंत का प्रशिक्षित कुत्ता क्रोकोडायल- उपन्यास के आरम्भ में नहीं होता। वह बीमार होने के कारण साथ न था। उपन्यास के अंत में वह क्रोकोडायल उपस्थित हो जाता है और जंगल में जमीन के अंदर स्थापित एक बस्ती का रास्ता खोज लेता है, मेजर के सहयोग से। मेजर होंठ गोलकर सीटी बजाता है तथ्यों को विश्लेषण कर लेता है और फिर मेजर, पुलिस और अन्य साथीगण जा पहुंचते हैं एक खतरनाक अपराधी तक।
     उपन्यास में बहुत सी रहस्यमयी घटनाएं दर्शाती गयी हैं। जैसे जाली नोट, साँप की बेटी, रहस्यमयी सिगरेट वाली औरत। इन सब घटनाओं को अंत में मेजर बलवंत एक कहानी में गूँधकर सुनाता है। हालांकि बहुत सी घटनाएं तर्कसंगत प्रतीत ही नहीं होती। जैसे मेजर बलवंत के अनुसार जंगल का चौकीदार से से सेठ सत्यनारायण को नकली नोट देता है। वह नोट क्यों देता है, किसी स्पष्ट ही नहीं ।
  पन्द्रह तारीख के अखबार का पुरानी खण्डहर हवेली में मिलना। कोई तार्किक तथ्य नहीं है। 
ऐसे और भी कई तथ्य हैं जो आरम्भ में उपन्यास को कौतूहलपूर्ण बनाने के लिए रच दिये गये पर अंत में कोई सार्थक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
     
साँप की बेटी- उपन्यास साहित्य का एक समय था जब उपन्यासों में रहस्यमयी घटनाएं, शीर्षक आदि पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था।
  यहाँ उपन्यास का शीर्षक देखे तो एक व्यक्ति मरते समय यह कहता है की साँप की बेटी से बचो। बाद में उसी कथन को सत्य दर्शाने के लिए एक पात्र विशेष के गले में अजगर लिपटा दिखा दिया गया। 
 शीर्षक को तर्कसंगत नहीं है।
योगध्यान द्वारा मेजर बलवंत को दी गयी उपाधि बहुत रोचक लगी। योगध्यान कहता है- आप मनुष्यों की आत्माओं के इंजीनियर भी हैं। 
उपन्यास के महत्वपूर्ण पात्र
  उपन्यास के कुछ महत्वपूर्ण पात्रों का संक्षिप्त परिचय यहाँ प्रस्तुत है। उपन्यास में पात्रों की संख्या काफी ज्यादा है। हालांकि मुख्य कहानी से संबंधित पात्र कम हैं।
सेठ सत्यनारायण- मृतक
कमलेश- सेठ सत्यनारायण की पत्नी
सुमन- सेठ सत्यनारायण की पुत्री
योगध्यान- सुमन का मंगेतर, एक वकील
रघुनाथ- गिफ्ट वाच कम्पनी का मालिक
अमरजीत-गिफ्ट वाच कम्पनी का पुराना कर्मचारी
ब्रजमोहन-गिफ्ट वाच कम्पनी का वर्तमान कर्मचारी
विद्यासागर- इंस्पेक्टर
मिस्टर सहाय- डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल
मेजर बलवंत - कथा नायक, जासूस
सोनिया- मेजर बलवंत की साथी, प्रेयसी
विनोद मल्होत्रा - मेजर बलवंत का साथी 
अशोक- मेजर बलवंत का साथी
क्रोकोडायल- मेजर बलवंत का कुत्ता
मंगल - जंगल का चौकीदार
गोपाल - मंगल का भाई
डॉक्टर जगदीश - मृतक सत्यनारायण का दोस्त
रक्षा- डॉक्टर जगदीश की‌ पुत्री
राव रणवीर सिंह- एक धनाढ्य व्यक्ति
विजयरानी- राव रणवीर सिंह की पत्नी
'साँप की बेटी' कर्नल रंजीत द्वारा लिखित एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है।  उपन्यास में कुल तीन कत्ल होते हैं और मेजर बलवंत, उसके साथी और पुलिस  मिलकर कत्ल की पहेली को हल करते हैं।
    उपन्यास काफी रोचक है।
उपन्यास- साँप की बेटी
लेखक-    कर्नल रंजीत
प्रकाशक- मनोज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-     188
मेजर बलवंत के अन्य उपन्यासों की समीक्षा

1 comment:

  1. उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाती समीक्षा। अगर कभी मिला तो पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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