Monday 23 March 2020

280. हिडिम्बा- नरेन्द्र कोहली

भीम और हिडिम्बा की प्रेम कथा
हिडिम्बा- नरेन्द्र कोहली, उपन्यास

     नरेन्द्र कोहली का हिन्दी साहित्य जगह में एक विशेष स्थान है। इन्होंने पौराणिक पात्रों को जिस तरह से प्रस्तुत किया है वह प्रशंसनीय है। वर्तमान में अधिकांश लेखक पौराणिक पात्रों को मनचाहा और कहीं कहीं तो उनके मूल स्वरूप से अलग रूप प्रदान कर उन पात्रों की आत्मा तक खत्म कर रहे हैं। ऐसे समय में नरेन्द्र कोहली जी उन्हीं पात्रों को और भी ससख्त रूप से प्रस्तुत कर उनकी महिमा में श्रीवृद्धि कर रहे हैं।
        नरेन्द्र कोहली जी का एक उपन्यास 'हिडिम्बा' पढा यह महाभारत कालिन एक विशेष पात्र भीम की पत्नी हिडिम्बा पर आधारित है।
        हिडिम्बा एक राक्षसी प्रवृत्ति की थी और भीम एक मनुष्य तब दोनों का संयोग कैसे हुआ की वे दाम्पत्य सूत्र में बंध गये। यह प्रश्न सहज ही मन में आता है। इसी प्रश्न का उत्तर पाने के लिए मैंने यह लघु उपन्यास पढा।
      कथा आरम्भ हिडिम्ब वन से होता है जहाँ का शासक राक्षस हिडिम्ब अपनी बहन हिडिम्बा के साथ रहता है। संयोग से पाण्डव परिवार भी उसी वन में आता है।
"छह मनुष्य"- हिडिम्ब उल्लसित स्वर में बोला, " एक स्त्री है और पांच पुरुष, हष्ट- पुष्ट हैं। शरीर पर भरपूर मांस है। जी भर कर खाना है और तान कर सोना है।"- हिडिम्ब ने कहा।
लेकिन भीम को देखकर हिडिम्बा के मन में विचार अलग आते हैं। उसका राक्षस मन भीम का सामिप्य चाहता है।


     उसकी आँखें मुग्ध होकर, उस चेहरे और शरीर को एकटक निहारती रहना चाहती थी। उसे लगा कि क्षणभर में ही उसके मन में एक उद्दाम आवेग उठा कि इस वक्ष को चीर कर उसका रक्त पीने के स्थान पर, उस पर अपना मस्तक टेक दे..... अपने अधरों से स्थान-स्थान पर इसका चुंबन करे...."
हिडिम्बा की यही भावना उसे भीम के आगे समर्पित कर देती है। उसे भीम अपना भोज्य पदार्थ न दिखाई देकर अपना पति नजर आता है।

"मैंने तुम्हारा अपने पति के रूप में वर कर लिया।"
"किन्तु मैंने तो तुम्हारा वरण नहीं किया।"- भीम‌ बोला।
" तो मुझे ग्रहण करो।"
"सुन्दरी" भीम बोला "इच्छा होने पर भी मैं तुम्हें ग्रहण नहीं कर सकता।"

       हालांकि उपन्यास में मुख्यतः वर्णन भीम और हिडिम्बा का ही है। भीम का शक्तिशाली होना, अपने बल का वर्णन करना सहज ही मुस्कुराने के लिए काफी है।
"मुझ पर भरोसा नहीं है, तुम लोगों को? मैं इस वन के सारे राक्षसों को अकेला ही मार सकता हूँ।"-भीम ने कहा।
वहीं हिडिम्बा का लेखक ने जिस तरह से चित्रण किया है वह उसका एक नया ही रूप प्रस्तुत करता है। एक मासूम सी वनकन्या की तरह। जिसके हृदय में प्रकृतिजनित प्रेम है।
कुंति में जो मातृत्व है वह अपने पुत्रों के साथ-साथ हिडिम्बा के लिए भी समान है।

          एक तरफ यह उपन्यास भीम और हिडिम्बा की कथा कहती है तो वही उपन्यास में आर्य संस्कृति का भी अच्छा चित्रण नजर आता है। वह चाहे शादी, परिवार, धर्म, राज्य या न्याय की बात हो नरेन्द्र कोहली जी बहुत अच्छी तरह से इन सब को परिभाषित किया है।
यह उपन्यास मुझे इसलिए अच्छा लगा की इसमें भीम की कथा के अतिरिक्त बहुत कुछ पढने और समझने को है। यही नरेन्द्र कोहली जी की विशेषता है।

- स्त्री जिससे प्रेम करती है, उसके‌ मित्रों को अपना मित्र और उसके शत्रुओं को अपना शत्रु समझती है। पत्नी के संबंध उसके पति के संबंध से ही निर्धारित होते हैं।"

-स्त्री- पुरुष के संबंधों का धर्मसम्मत सामाजिक विधान है विवाह। विवाह केवल एक स्त्री और एक पुरुष का मात्र देह संबंध नहीं है। यह उनका अपना स्वतंत्र संबंध नहीं है। यह तो एक पूरे परिवार में नये सदस्य का जुड़ना है। नये सदस्य का द्वारा उस पूरे परिवार को अपना सदस्य स्वीकार करना है।

- "मनुष्य समाज में रहता है और अपने साथ दूसरों के अधिकारों को भी मान्यता देता है।"- भीम बोला, "वह अन्य मनुष्यों को अपना भोजन नहीं मानता; उनसे प्रेम करता है, उनके सुख के लिए वह स्वयं कष्ट सहने को तत्पर रहता है।"

- "अपनी वर्तमान बुद्धि को सृष्टि का अंतिम सत्य मत मानो। उसका विकास और संस्कार करने का प्रयत्न करो। अपनी बुद्धि को इन्द्रियों का दास मत बनने दो।"- मुनि ने कहा।



पाण्डव परिवार हिडिम्ब वन कैसे पहुंचा?
क्या हुआ भीम और हिडिम्बा की शादी क्यों हुयी?
राक्षस हिडिम्ब का क्या हुआ?
शालिहोत्र आश्रम के ऋषि ?
घटोत्कच का जन्म।
हिडिम्बा औ भीम का दाम्पत्य जीवन।

आदि प्रश्नो/ बिन्दुओं के उत्तर इस उपन्यास को पढने पर ही मिलेंगे।

नरेन्द्र कोहली जी का मेरे द्वारा पढा गया यह पहला उपन्यास है। उपन्यास मुझे रुचिकर लगा। पाण्डव परिवार की परिस्थितियाँ, हिडिम्बा का स्वभाव आदि के साथ-साथ और भी बहुत से विषयों और घटनाओं पर पढने को मिलता है।
  अगर आप भीम और हिडिम्बा के बारे में जानना चाहते है तो यह उपन्यास काफी उपयोगी है।
पौराणिक पात्रों के विषय पर अच्छी जानकारी प्रदत यह उपन्यास पठनीय है।

उपन्यास- हिडिम्बा
लेखक- नरेन्द्र कोहली
प्रकाशक-  वाणी प्रकाशन
पृष्ठ- 83

अमेजन लिंक-  हिडिम्बा- नरेन्द्र कोहली

1 comment:

  1. उपन्यास की कथावस्तु उपन्यास के प्रति रुचि जगाती है। मौका मिलते ही पढूँगा।

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