Tuesday 25 February 2020

270. शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द जी के शिक्षा के प्रति विचार

    विद्यालय के पुस्तकालय में एक छोटी सी किताब मिली। जिसका शीर्षक था 'शिक्षा'। यह स्वामी विवेकानन्द जी के शिक्षा के प्रति विचारों का एक छोटा सा संग्रह है। इससे पूर्व (एक दिन पहले) राम पुजारी जी द्वारा लिखित एक बाल साहित्य की किताब 'अन्नु और स्वामी विवेकानन्द' पढी थी जो विवेकानन्द जी की जीवनी थी और यह पुस्तक (शिक्षा) उनके विचारों का संग्रह है।
मैंने विवेकानन्द जी से संबंधित अब तक जो साहित्य पढा है उनमें से यह लघु रचना मुझे श्रेष्ठ लगी।

       शिक्षा कैसी होनी चाहिए इस विषय पर विभिन्न संदर्भों के माध्यम से विचार किया गया है। शिक्षा की मनुष्य  को क्या आवश्यकता है, शिक्षा के तत्व, धार्मिक शिक्षा या स्त्री-शिक्षा सभी पर विवेकानन्द जी ने बहुत सारगर्भित बाते कही हैं।
स्वामी जी कहते हैं की वर्तमान हमारी शिक्षा हमें बौद्धिक दृष्टि से सक्षम बना रही है लेकिन हृदय के स्तर पर हम शून्य होते जा रहे हैं। 
हमें तो ऐसी शिक्षा चाहिये कि जिससे चरित्रगठन हो, मानसिक वीर्य बढे, बुद्धि का विकास हो और उससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। (पृष्ठ-04)

         धर्म के विषय पर स्वामी जी के विचार मुझे बहुत प्रभावित करते हैं। आज हम धर्म को किस दृष्टि से देखते हैं और स्वामी जी किस दृष्टि से देखते हैं यह इस किताब से पता चलता है।
- हमें मनुष्य का निर्माण करने वाला धर्म चाहिए। हमें आवश्यकता है 'मनुष्य बनाने वाले सिद्धांतों की। हमें चाहिए ऐसी शिक्षा, जो हर तरह से हमें मनुष्य बना सके। (पृष्ठ-05)
धार्मिक शिक्षा अध्याय में लिखते है की 'नये धर्म का कहना है कि जो अपने में विश्वास नहीं रखता वह नास्तिक है।'(पृष्ठ-35)

स्री शिक्षा अध्याय में औरतों की दशा पर विचार करते हुए कहते हैं की "यह समझना बहुत कठिन है कि इस देश में पुरुषों और स्त्रियों के बीच इतना भेद क्यों रखा गया है जब कि वेदांत की यह घोषणा है कि सभी प्राणियों में वही एक आत्मा विराजमान है।" (पृष्ठ-43)

कुछ और विशेष विचार जो मुझे अच्छे लगे।
-ज्ञान प्राप्ति के लिए केवल एक ही मार्ग है और वह है एकाग्रता। (पृष्ठ-13)
- जिस अभ्यास के द्वारा मनुष्य की इच्छाशक्ति का प्रवाह और आविष्कार संयमित होकर फलदायी बन सके, उसी का नाम है शिक्षा। (पृष्ठ-05)
- मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।


प्रस्तुत किताब 'शिक्षा' एक पठनीय और विचारणीय रचना है। अगर स्वामी विवेकानन्द जी को समझना है तो यह किताब अवश्य पढें और पढायें। यह किताब हमारे विचारों को परिपक्व करती है और एक नयी दृष्टि देती है। 
किताब-   शिक्षा     
विचारक- स्वामी विवेकानन्द
पृष्ठ-      50
प्रकाशन- 

लिंक- शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द

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