Monday 14 May 2018

113. कौओं‌ का हमला- अजय सिंह

जब कौवों ने किया हमला...
कौओं का हमला- अजय सिंह, बाल उपन्यास, रोचक, पठनीय।
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'आहट, क्राइम‌ पट्रोल, CID, अगले जन्म मोहे बिटिया ही किजो' जैसे चर्चित धारावाहिक लेखन से अपने पहचान स्थापित कर चुके लेखक अजय सिंह का एक बाल उपन्यास भी इन दिनों खूब चर्चा में हैं।
जहाँ एक तरफ टीवी सीरियल लेखन गंभीर किस्म‌ का है तो वहीं बाल उपन्यास उतना ही सरल और सहज है। लेखन में‌ कहीं भी अतिरिक्त बौद्धिकता नहीं झलकती । एक अच्छे लेखक की यही पहचान होती है की वह कहानी के साथ-साथ सरल भाषा शैली का प्रयोग करे। 'कौओं का हमला' तो है ही बाल उपन्यास तो इसकी भाषा शैली भी बच्चों के अनुकूल है।
लेखक ने विषय बहुत ही रोचक चुना है जो सहज ही पुस्तक पढने को प्रेरित करता है। पाठक के अंदर एक जिज्ञासा उत्पन्न होती है की आखिर कौओं‌ ने‌ किस पर और क्यों हमला किया।
उपन्यास की कहानी बहुत रोचक और धारा प्रवाह है। पाठक के हृदय में‌ निरंतर उत्कण्ठा बनी रहती है की आगे क्या होगा।

उन्नत और आशी भाई- बहन है। सङक पर रहने वाला एक आवारा कुता 'मूलचंद' उनका दोस्त बन जाता है। एक बार एक आंटी‌ को कौओं से बचाने के चक्कर में कौएँ उनके दुश्मन बन जाते हैं। फिर तो कौये पूरी साॅसायटी का जीना मुश्किल कर देते हैं। यहाँ तक की उन्नत और आशी के फ्लैट में घुस कर भी उनके परिवार पर हमला कर देते हैं।
कौये मूलचंद कुत्ते को बहुत तंग करते हैं। उन्नत और आशी अपने प्यारे कुत्ते को बचाना चाहते हैं और घर लाना चाहते हैं‌ लेकिन उनकी‌ मम्मी इस बात की अनुमति नहीं देती।
- आखिर उन्नत और आशी ने अपने परिवार और प्यारे कुत्ते मूलचंद को खतरनाक कौओं से बचाया।
- आखिर कैसे खतरनाक कौओं‌ ने इस परिवार और कुत्ते को छोङा।
- आखिर कौवों की इनसे क्या दुश्मनी थी?
उपन्यास में कई रोचक दृश्य पाठको को आनंदित करने में सक्षम हैं।
पापा ने कुछ नहीं बोला और अपने मौजे को सूँघकर पूछा-
"एक दिन और पहन सकता हूँ ना?"
मम्मी बोली
"सूँघ कर ये कैसे पता चल जाता है?"
हालांकि उपन्यास बहुत रोचक है लेकिन कुछ कमियां रह जाना स्वाभाविक है।
उपन्यास का मुख्य पात्र मूलचंद नामक एक कुत्ता है लेकिन उसका कहीं भी  विशेष शारीरिक वर्णन नहीं किया गया। मात्र एक पंक्ति से काम चला दिया।
- मूलचंद हल्का भूरे रंग का तगड़ा छोटे कद का कुत्ता था।(पृष्ठ-09)
   लेखक थोङा सा इस तरफ ध्यान देता तो कुत्ते का अच्छा शब्द चित्र उपन्यास में पाठक के समक्ष उभरता।
और उन्नत-आशी का भी कहीं ऐसा वर्णन नहीं दिखता।
उपन्यास का समापन अकस्मात हुआ सा लगता है, लेखन समापन को थोङा रोचक बनाता तो अच्छा लगता। हालांकि बच्चों की दृष्टि से समापन ठीक है, लेकिन उसे और रोचक बनाया जा सकता था।
निष्कर्ष-
अजय सिंह जी का बाल उपन्यास 'कौवों का हमला' एक रोचक और पठनीय रचना है। बच्चों के साथ-साथ यह उपन्यास बङों‌ के लिए भी उतना ही रोचक है जितना की बच्चों के लिए।
बच्चों की शरारते, मम्मी-पापा का डांटना, जानवरों से प्रेम, चोरी-छुपे घर से खेलने को भागना जैसे प्रसंग बचपन की याद दिलाने में सक्षम है।
अगर बच्चों में पुस्तक प्रेम पैदा करना है तो यह उपन्यास बच्चों के लिए उपयोगी है।
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पुस्तक- कौओं का हमला (बाल उपन्यास)
लेखक- अजय सिंह
प्रकाशन- online
पृष्ठ-

1 comment:

  1. किताब रोचक लग रही है। पढ़ने की इच्छा है। उम्मीद है जल्दी ही प्रिंट में मिलेगा।

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