Saturday 5 May 2018

110. बैंक राॅबरी- एन. सफी

एक चालाक अपराधी की कहानी।
बैंक राॅबरी- एन. सफी, जासूसी उपन्यास, मध्यम स्तर।

एन सफी का प्रस्तुत उपन्यास एक छोटी सी बैंक राॅबरी से आरम्भ होता है और कई घटनाओं से गुजरता हुआ अंततः अपने अंजाम तक जा पहुंचता है।
    उपन्यास हालांकि लघु कलेवर का ही है लेकिन रोचक है। तात्कालिक समय की दृष्टि से देखें तो यह उपन्यास पाठक को स्वयं में बांधने में सक्षम है।
                 कहानी में कई‌ मोङ आते हैं, जो पाठक को प्रभावित करने में कुछ हद तक सक्षम है। 
          उपन्यास की कहानी की बात करें तो यह आरम्भ होती है एक डैनी नामक व्यक्ति द्वारा एक बैंक की राॅबरी से। बैंक राॅबरी की रकम के साथ डैनी एक नये चेहरे के साथ शहर में एक नयी जिंदगी आरम्भ करता है।
        उसी शहर में एक डांसर सैफाली के साथ शराफत की नयी जिंदगी जीता है। लेकिन चोर चोरी से जाये हेराफेरी से न जाये वाली कहावत डैनी पर लागू होती है। और एक दिन डैनी को अपने कर्मों की सजा मिलती है।
              उपन्यास की कहानी छोटी सी है। कहानी आरम्भ चाहे बैंक राॅबरी से होता है लेकिन कुछ पृष्ठों के पश्चात कहानी पूर्णतः बदल जाती है। 
कहानी को तीन चरणों में विभक्त कर सकते हैं।
1. डैनी द्वारा बैंक राॅबरी
2. डैनी और शैफाली की मुलाकात
3. डैनी के कर्मों की सजा
उपन्यास का आरम्भ जहां कुछ रोचक है वहीं शैफाली और डैनी की मुलाकात वाली कहानी उपन्यास में थोङा धीमापन लाती है। उपन्यास का समापन उपन्यास में पुनः रोचकता व प्रवाह पैदा करता है

     उपन्यास में कई गलतियाँ है जो उपन्यास को बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं।
- वह सुबह से भूखा था। कोई चारा न देखकर उसने माँस को कच्चा ही चबाने की कोशिश की। उसने अपनी तलवार से राजेन्द्र के चेहरे का कच्चा माँस छीलने की कोशिश की। (पृष्ठ-23)
- डैनी ने राजेन्द्र के उस चेहरे की सर्जरी बना कर अपने चेहरे पर फिट कर ली। (पृष्ठ-29)
- यह कैसे संभव है की कोई आदमी किसी के चेहरे से अपने चेहरे पर सर्जरी कर लेगा। यह तो बिलकुल असंभव।
- डैनी जब शहर में राजेन्द्र सिंह बेदी का चेहरा(मास्क) लगाकर घूमता है  उसे राजेन्द्र बेदी के परिचित कहीं क्यों नहीं मिलते और स्वयं डैनी को भी डर होना चाहिए इस बात का।
- राजेन्द्र सिंह बेदी की हत्या हो जाती। लेकिन पुलिस उसकी कहीं कोई जांच नहीं करती।
- राजेन्द्र सिंह बेदी के परिवार वाले भी राजेन्द्र सिंह बेदी की कोई खोजबीन नहीं करते।

- निष्कर्ष
उपन्यास मध्यम स्तर का है। जिसकी कहानी का आरम्भ रोचक तरीके से होता है लेकिन मध्य भाग उपन्यास को कमजोर बना देता है। लेखक ने भी कई जगह अति कल्पना का सहारा लिया है जो की सही नहीं लगता। लेखक की कुछ अतिरिक्त मेहनत से उपन्यास अच्छा बन सकता था।
उपन्यास छोटा सा है एक बार मनोरंजन की दृष्टि से पढा जा सकता है।

उपन्यास के पात्र
डैनी- बैंक राॅबरी कर्ता
राजेन्द्र बेदी- शहर का व्यापारी
इंस्पेक्टर रमेश देव
इंस्पेक्टर अशोक
हवलदार चेतराम
पुलिस कर्मी- साधुराम, छज्जू राम
शैफाली- एक डांसर, डैनी की प्रेमिका
महावीर प्रसाद- उपन्यास का एक पात्र
जगन- एक चोर
कर्नल विनोद- जासूस
हमीद- कर्नल विनोद का साथी
कासिम- कर्नल विनोद-हमीद का साथी, एक हास्य पात्र।

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उपन्यास- बैंक राॅबरी
लेखक- एन. सफी
प्रकाशक- नीलिमा पाॅकेट बुक्स (2238, किनारी बाजार, दिल्ली-6)
पृष्ठ- 12
अनुवादक- वीरेन्द्र लोहचन

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