Thursday 28 December 2017

88. तूफान के बेटे- कुमार कश्यप

जासूस मित्रों के अपहरण की कहानी ।

तूफान के बेटे- कुमार कश्यप, जासूसी उपन्यास, अपठनीय।
--------------------------------
     कुमार कश्यप के उपन्यास जासूसी और क्राइम‌ पर आधारित होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय कथानक और भारतीय जासूस मंडली द्वारा आने वाली मुसीबतों का निस्तारण करना है।
      एक समय था जब कुमार कश्यप के उपन्यासों की बहुत मांग थी, अपने समय में कुमार कश्यप बहुत चर्चित और लोकप्रिय उपन्यासकार रहें हैं।
            हालांकि प्रस्तुत उपन्यास 'तूफान के बेटे' कोई विशेष उपन्यास नहीं है और यह कोई आवश्यक भी नहीं की किसी भी लेखक का प्रत्येक उपन्यास महान हो।
      'तूफान के बेटे' उपन्यास का आरम्भ जितना जबरदस्त होता है लेकिन उपन्यास उसके बाद उतना जबरदस्त रह नहीं पाता और यह भी बाद में पता चलता है की उपन्यास का आरम्भ भी एक पात्र की भूमिका तैयार करने में ही उपयोगी रहा है। लेकिन जैसे ही उपन्यास में असंख्य जासूस प्रवेश करते हैं वैसे ही उपन्यास अपनी महत्ता खो देता है।
               

         वाशिंगटन।
अमेरिका की राजधानी।
विश्व के ऐसे शक्तिशाली राष्ट्र की राजधानी जिसे दुनिया का चौधरी कहा जाता है। जो दुनिया के अधिकतर राष्ट्रों का सरपंच है। (उपन्यास का प्रथम पृष्ठ, पृष्ठ संख्या-05)

             न्यूयॉर्क में अमेरिका के प्रसिद्ध जासूस हेरल्ड की शादी में विश्व के जासूस एकत्र होते हैं और उस दौरान उनका अपहरण हो जाता है। हालांकि अपहरणकर्ता विक्रांत का अपहरण करना चाहता है लेकिन विक्रांत का अपहरण करने में असफल रहता है।
     जब विक्रांत को इस अपने जासूस मित्रों के अपहरण का पता चलता है तो वह अपने कुछ साथियों के साथ एक टापू से कैद अपने मित्रों को बचा लेता है।
         
          उपन्यास में अनावश्यक वर्णन बहुत ज्यादा है। पाठक को पता भी नहीं चल पाता की कौनसा अंश उपन्यास से वास्तव में संबंध रखता है। आरम्भ लगभग पचास पृष्ठ तो एक पात्र की भूमिका से भरे गये हैं। इसके अलावा भी उपन्यास में अनावश्यक पृष्ठ उपन्यास का स्वाद खराब करते हैं।
          उपन्यास किसी भी दृष्टि से पठनीय नहीं है बस समय की बर्बादी है।
        कुमार कश्यप अपने समय के चर्चित जासूसी उपन्यासकार रहें हैं लेकिन प्रस्तुत उपन्यास 'तूफान के बेटे' उनकी लेखनी का अच्छा परिचय न दे सका।

---------
उपन्यास - तूफान के बेटे
लेखक- कुमार कश्यप
     

No comments:

Post a Comment

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...