Sunday 5 November 2017

78. दौलत सबकी दुश्मन- अरुण अंबानी

रंजन दूबे और शोभराज चार्ल्स की प्रेयसी सुनीता वर्मा का कारनामा
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दौलत सबकी दुश्मन, थ्रिलर उपन्यास, पठनीय।
  सांप पर विश्वास कर लेने वाला तो एक बार जिंदा बच भी सकता है- लेकिन जिसने रंजन दूबे पर विश्वास किया, वह तो गया ही गया। ( उपन्यास के अंदरूनी कंवर पृष्ठ से)
    अरुण अंबानी की कलम से निकला एक जबरदस्त उपन्यास है ' दौलत सबकी दुश्मन'।
  शोभराज चार्ल्स की पूर्व प्रेमिका सुनीता वर्मा शहर के बदमाश रंजन दूबे के साथ मिलकर एक ज्वैलर्स शाॅप को लूटने का प्लान बनाती है।
   लूट के बाद रंजन दूबे जैसा महाहरामी गद्दारी पर उतर आता है। और सुनीता वर्मा जैसी अंतर्राष्ट्रीय शातिर से चालाकी कर बैठता है।
   दूसरी तरफ रंजन दूबे के साथी एक- एक कर मौत को प्राप्त होते हैं वह भी तब जब सुनीता वर्मा पुलिस की गिरफ्त में है।
  स्वयं रंजन दूबे भी तब हैरान रह जाता है जब डकैती के दौरान एक मददगार की लाश उसके सामने पङी होती है, वह मददगार जिसके हत्या रंजन दूबे के साथियों ने की थी।
      क्या रंजन दूबे अंतर्राष्ट्रीय शातिर सुनीता वर्मा के सामने सफल हो पाया?
   - क्या सुनीता वर्मा पुलिस की पकङ से बच पायी?
   - रंजन दूबे के साथियों का हत्यारा कौन था?
   - मददगार की लाश बाहर कैसे निकल आयी?
ऐसे एक नहीं अनेक प्रश्नों के उत्तर अरुण अंबानी के उपन्यास ' दौलत सबकी दुश्मन' पढकर ही मिलेंगे। 

सच है दौलत ऐसी दुश्मन होती है जो लालच करने वाले को अंततः खा जाती है, ठीक यही हुआ था इस उपन्यास के पात्रों के साथ। सब एक-एक कर अकाल मृत्यु को प्राप्त होते गये।
संवाद-
उपन्यास में संवाद सामान्य है, फिर भी कुछ कथन पठनीय है
" अपने दिमाग में ठूंस- ठूंस कर  यह बात भर लो सुनीता वर्मा, रंजन दूबे के साथ हरामीपन करने वाला खुद को पाताल में भी नहीं बचा सकता। महाहरामी हूँ मैं, महाहरामी।"- (पृष्ठ 63)
" इस देश में असली आजादी तब तक नहीं आने वाली जब तक वोटों की सौदागरी खत्म नहीं हो जाती।"-(पृष्ठ181)
हिंदी लोकप्रिय उपन्यास जगत में अगर एक फार्मूला चल पङा तो सब लेखक उसी को भूनाने की कोशिश करते हैं। जैसी की डकैती जैसा विषय जिस पर बहुत लेखकों ने लिखा है।
   प्रस्तुत उपन्यास में एक अच्छा प्रयोग है, वह है शोभराज चार्ल्स की प्रेमिका की भूमिका। हालांकि उपन्यास में स्वयं शोभराज चार्ल्स कहीं भी  उपस्थिति नहीं है पर उसका अहसास पूरे उपन्यास में उपस्थित रहता है।
   इस उपन्यास के पश्चात यह भी इच्छा जगी है की कहीं से शोभराज चार्ल्स या नटवर लाल जैसे शातिरों पर लिखा उपन्यास  मिल जाये तो पढने का आनंद बढ जाये।
अगर किसी पाठक को ऐसे किसी उपन्यास की जानकारी हो तो अवश्य बतायें‌।
     उपन्यास की कहानी एक ज्वैलरी शाॅप की डकैती पर आधारित सामान्य कहानी है, जिसमें लेखक ने अतिरिक्त कुछ भी सस्पेंश, रोमांच डालने की कोशिश नहीं की। लेकिन फिर भी कहानी किसी भी स्तर पर पाठक को निराश नहीं करती। अगर उपन्यास पाठक को एक बैठक में पढने के लिए मजबूर नहीं करती तो बीच में स्वयं को छोङने के लिए विवश भी नहीं करती।
  लेखक का प्रयास अच्छा है।
   उपन्यास पठनीय है जो पाठक को निराश नहीं करेगी।
लेखक-
अरुण अंबानी
339/12, बापू पुरवा , श्रमिक बस्ती 
किदवई नगर,
कानपुर- 208011
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उपन्यास- दौलत सबकी दुश्मन
लेखक- अरुण अंबानी
प्रकाशक- सूर्या पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 20
मूल्य- 239₹

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