Wednesday 15 November 2017

80. नीला स्कार्फ- अनु सिंह चौधरी

नीला स्कार्फ, अनु सिंह चौधरी, कहानी संग्रह
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अनु सिंह चौधरी के इस कहानी संग्रह में छोटी-बङी कुल बारह कहानियाँ हैं। सभी कहानियाँ परिवेश, कथ्य और संवेदना के स्तर पर अलग -अलग हैं।
    आपको इनकी कहानियों में गांव भी मिलेगा तो शहर भी मिलेगा, आधुनिकता भी है तो प्राचीन संस्कार भी है, लव इन रिलेशनशिप भी है तो परम्परागत रिश्ते भी हैं।
  हम समग्र रूप से कह सकते हैं की नीला स्कार्फ विविध रंगों का एक गुलदस्ता है।
         इस संग्रह की प्रथम कहानी रूममेंट जहां प्रारंभ में मुझे नीरस सी लगी लेकिन इस कहानी का अंत आंखों में नमी दे गया। और ऐसी ही एक और कहानी है सिगरेट का आखिरी कस
   बिसेसर बो की प्रेमिका एक ग्रामीण परिवेश की वह कहानी है जो पुरुष प्रधान वातावरण को चित्रित करती है। इस के लिए बिसेसर बो का एक कथन ही काफी है, -"मरद जात के गरदन में चाहे जो लटकता रहे, दुनियां को औरत के गले में लटकता हुआ मंगलसूत्तर ही अच्छा लगता है।" (पृष्ठ-44)
      फिल्म दुनिया के सुनहरे पर्दे के पीछे छुपे काले सच को बयान करती है कहानी प्लीज डू नाॅट डिस्टर्ब।
इस संग्रह की कुछ अलग हटकर कहानी है वह है कुछ यूँ होना उसका।
   शिक्षक जीवन में ऐसे कई प्रसंग देखने को मिलते हैं जैसा की इस कहानी में व्यक्त किया गया है। और यह कहानी भी इस संग्रह की वह कहानी है जो सरल शब्दावली में है। न तो इसमें आंचलिक शब्द हैं और न ही अंग्रेजी के।
इस संग्रह की मुख्य कहानी है नीला स्कार्फ। यह वर्तमान हमारी जीवन शैली पर गहरा व्यंग्य है। हम आधुनिकता की दौङ में अप‌ने परिवार तक को भी भूल गये।
  यह एक अच्छी कहानी है लेकिन इस प्रकार की बहुत सी कहानियाँ लघुकथाओं में पढी जा चुकी हैं। कहानी के प्रस्तुतिकरण में कोई नयापन नहीं था। और ऐसी ही कहानी है सहयात्री। जिसे लगभग पाठक पढ चुके होंगे।
हाथ की लकीरें और मर्ज जिंदगी इलाज जिंदगी कहानियाँ कोई विशेष प्रभाव नहीं छोङ पायी।
    ‌प्रस्तुत कहानी संग्रह अच्छा कहानी संग्रह है जिसकी कहानियाँ बहुत रोचक व मन को छू लेने वाली है।
कुछ विशेष संवाद-
मंदिर की सीढियां चढते मन पापी हो सकता है..।(पृष्ठ-35)
- शहर अनजान और अपना नहीं होता। हम उसे अपना या बेगाना बना देते हैं। (पृष्ठ-52)
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पुस्तक- नीला स्कार्फ (कहानी संग्रह)
ISBN: 978-93-81394-85-4
लेखिका- अनु सिंह चौधरी
प्रकाशक- हिंद युग्म
पृष्ठ-160.
मूल्य- 120₹
प्रथम संस्करण- जुलाई 2014
तृतीय संस्करण- सितंबर 2015
लेखिका संपर्क-
www.mainghumantu.blogspot.com
Email- anu2711@gmail.com
 

1 comment:

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...