Sunday 14 July 2024

विनाशदूत विकास- वेदप्रकाश शर्मा

 विश्व के लिए खतरा बना विकास
विनाशदूत विकास- वेदप्रकाश शर्मा , तृतीय भाग
अमेरिका के जलील हुक्मरानो, कान खोलकर सुनो, मुझे मंगल-सम्राट कहो या विनाशदूत, मैं तुमसे मुखातिब हूं और कहना ये चाहता हूं कि तुम लोगों ने अपने देश के शहरों में होता हुआ विनाश तो देख ही लिया होगा। मेरे पास इतनी शक्ति है कि दस मिनट के अंदर पूरे अमेरिका को तबाह कर सकता हूं, लेकिन मेरा सिद्धांत तुम्हारे सिद्धांत की तरह नीच नहीं है। विश्व के पर्दे से किसी भी देश का नामो-निशान मिटाना मैं उचित नहीं समझता। विकास अब भी तुम्हें मौका देता है कुत्तों, मेरे देश से यह भयानक जाल हटा लो। मेरी तरफ से इसके लिए पैंतालीस दिन निश्चित हैं। याद रखना, अगर पैंतालीस दिन के अंदर मेरे देश से सी.आई.ए. का जाल नहीं हटवाया तो अमेरिका का एक भी बच्चा छियालिसवें दिन का सूरज नहीं देख सकेगा।
  वेदप्रकाश शर्मा 'विजय-विकास' सीरीज के अंतर्गत महत्वपूर्ण खण्ड में से हमारे पास है चार उपन्यासों में फैली एक विस्तृत कहानी । जिसके दो भाग 'अपराधी विकास' और 'मंगल सम्राट विकास' पर हम चर्चा कर चुके हैं। अब बात करते हैं इस कहानी के तृतीय भाग 'विनाशदूत विकास' की।
  रियाब्लो यान के एक भाग को अलग कर विकास अपने साथी टुम्बकटू और धनुषटंकार के साथ जा पहुंचता है मंगल ग्रह पर और वह सिंगही की जगह स्वयं को सम्राट स्थापित कर लेता है। 
विकास मंगल-सम्राट के रूप में हीरे जड़ित सिंहासन पर विराजमान था। धनुषटंकार उसकी गोद में बैठा दनादन शराब पी रहा था और टुम्बकटू सिंहासन के दाईं ओर लहरा रहा था। वह अपनी विचित्र सिगरेट का आनंद ले रहा था। विकास के सुंदर जिस्म पर हीरे-जवाहरातों से जड़ा हुआ चमचमाता लिबास था। गोरे मस्तक पर एक मुकुट था ।
 यहाँ विकास की मुलाकात मंगलग्रह के वास्तविक लोगों से होती है। इन लोगों से ही सिंगही से मंगल की सत्ता छीनी थी। मंगलग्रह के पूर्व सम्राट के भाई जाम्बू की मदद से विकास अपना कार्य आगे बढाता है।
वहीं सिंगही के हैडक्वार्टर पर उसकी मुलाकात तुंगलामा से होती है। (विजय-विकास और अंतरराष्ट्रीय जासूस 'मैकाबर सीरीज' में तुंगलामा को पराजित कर चुके हैं।)
तुंगलामा एक महानी वैज्ञानिक है और उसके सहयोग से विकास अमेरिका पर आतंक फैलाना आरम्भ करता है।
संपूर्ण अमेरिका चौंक पड़ा।
न केवल चौंक पड़ा बल्कि कांप उठा। घटना ही ऐसी थी। न्यूयार्क! अमेरिका की भूतपूर्व राजधानी। घटना वहां की है। अमेरिका की सर्वोत्तम जासूसी संस्था सी.आई.ए.। इसी संस्था के चीफ का नाम था-फ्रिदतोफ नार्वे । सर्वविदित, सर्वविख्यात । सभी जानते थे कि फ्रिदतोफ नार्वे सी.आई.ए. का चीफ था, लेकिन इस व्यक्ति के साथ बड़ी अजीब-सी घटना पेश आई। ऐसी अजीब कि सरकारी मशीनरी हिलकर रह गई। फ्रिदतोफ नार्वे को देखते ही प्रत्येक व्यक्ति पहले कहकहा लगाता, फिर भयभीत होता और फिर आतंकित हो उठाता।
सी.आई.ए. के चीफ के साथ यह घटना हुई और सी.आई. ए. कुछ कर भी न सकी।
   दर असल तुंगलामा के विशेष प्रयोग की‌मदद से एक ऐसा इंजेक्शन तैयार करता है, जिसके‌लगाने से व्यक्ति स्वयं को बिल्ली महसूस करता है और बिल्ली जैसी ही हरकते करता है।
  अमेरिका में हर रोज बिल्ली बनने वालों की संख्या बढती जाती है। 
दूसरी तरफ यान का द्वितीय भाग भी मंगलग्रह की ओर बढ रहा था, जिसमें विजय, अलफांसे, प्रिंसेज जैक्शन, पूजा,वैज्ञानिक सुभ्रांत और उसने सहयोगी थे। इनका एक जी मकसद था किसी भी तरह विकास को अपराधी बनने से रोका जाये। पर विकास कहां रुकने वाला था। वह तो विनाशदूत बनकर अमेरिका को तबाह करने पर तुला था। 
 बादल पुनः गरजे, बिजली फिर चमकी ! इस बार ज्यूरेज के निवासियों के इंसानी जिस्म वृक्ष के सूखे पत्ते की भांति कांप उठे। उठे। रीढ़ की हड्डियों में एक ठंडी लहर दौड़ गई। जिसने आकाश पर गरजती हुई बिजली देखी, उसके मुंह से कांपती हुई आवाज निकली।
-“वि...ना...श...दू...त...वि...का...स!"
तुंगलामा के एक महत्वपूर्ण प्रयोग के द्वारा विकास अमेरिका के शहरों पर काला धुंआ और बिजली की चमक पैदा करता और फिर उस शहर को तबाह।
विकास ने अमेरिका को पैंतालीस दिन दिये थे कि वह पैंतालीस दिनों में भारत से सी. आई. ए. का जाल हटा ले या फिर स्वयं को बर्बाद होने के लिये तैयार कर लें।
लेकिन यह भी अमेरिका था इतनी आसान से हार नहीं मानने वाला था।
तुरंत सारे विश्व के प्रमुख देशों की सीक्रेट सर्विस से संबंध स्थापित किए गए।
परिणामातुर न्यूयार्क। एक गुप्त स्थान पर अंतर्राष्ट्रीय जासूसों की एक मीटिंग हो रही थी। मीटिंग में प्रमुख जासूस थे।
अमेरिका से माइक, इंग्लैंड से ग्रीफित, रूस से बागारोफ, पाकिस्तान से चंगेज खां, काहिरा से अख्तर, जर्मन से हैम्बलर, चीन से फांगसान, बांग्लादेश से रहमान, फ्रांस से निवजलिंग, आस्ट्रेलिया से क्लार्क रॉबर्ट और भारत से पहुंचा था सीक्रेट सर्विस का चीफ पवन यानी ब्लैक ब्वॉय। यूं कोई जानता नहीं था कि ब्लैक ब्वॉय भारतीय सीक्रेट सर्विस का चीफ है। वह सीक्रेट सर्विस के एक एजेंट के रूप में ही गृह मंत्रालय से विशेष परमिशन के बाद आया था।
 और फिर सभी जासूस एकमत होकर चल पड़े मंगलग्रह पर विनाशदूत विकास को रोकने।
यानी जैकी आर्मस्ट्रांग। विकास का चौथा गुरु। विजय का भी गुरु। उसे जासूसों का देवता कहा जाता था। जैकी एक अखबार का क्राइम रिपोर्टर था। वह भी बुरी तरह बौखलाया हुआ था। वह क्या जानता था कि जिस लड़के को उसने स्वयं जासूसी के अनेक पैतरे सिखाए हैं, वही एक दिन अमेरिका के लिए काल बन जाएगा। वह जानता था कि विकास अपरिमित शक्ति और विलक्षण बुद्धि का मालिक है। उसे आज भी वे दिन याद हैं जब विकास उसके पास ट्रेनिंग ले रहा था और अचानक वह माफिया के विरुद्ध भड़क गया था। तब उसके मना करने पर भी यह लड़का माफिया से टकरा गया था। (पृष्ठ62)
जैकी और मारिया का पुत्र हैरी, जो की विकास का अच्छा दोस्त है और दोनों 'प्रलयंकारी विकास' केस में अमेरिकन माफिया को पराजित कर चुके हैं।
और एक दिन हैरी अपने घर, अपने कमरे में बिल्ली बना पाया गया।
   दोस्तो, यह था 'विनाशदूत विकास' उपन्यास का संक्षिप्त सार। हालांकि उपन्यास की कहानी इसके चतुर्थ भाग 'विकास की वापसी' में खत्म होगी।
  जहाँ एक तरफ विकास अपराधी बन चुका है। वह अमेरिका के शहरों को तबाह कर रहा है। विजय-अलफांसे के अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय जासूस भी विकास को रोकने हेतु मंगलग्रह की ओर रवाना हो चुके हैं।
अब सफलता किसे मिलेगी और क्या विकास की वापसी इतनी आसानी से हो जायेगी।
वैसे वेदप्रकाश शर्मा जी के उपन्यासों में विजय-विकास नारी से दूर ही रहते हैं लेकिन यहाँ तो विकास पूजा को मंगलग्रह तक साथ ले आया और पूजा विकास से अथाह प्रेम करती है।
क्या परिणाम निकला इस प्रेम कहानी का?
 यह सब बाते तो उपन्यास को पढकर जाने तो ज्यादा सही रहेगा।
  उपन्यास रोचक है और जासूस वर्ग के कारनामे पसंद करने वाले पाठकों के लिए अच्छा मनोरंजन भी, क्योंकि यहाँ रूस का प्रसिद्ध जासूस बागारोफ भी है। 
  वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा रचित 'विनाशदूत विकास' इस शृंखला का तृतीय उपन्यास है। जो मंगलग्रह की धरा से संबंधित है।
एक्शन और रोमांच से भरपूर कथानक है।
उपन्यास-    विनाशदूत विकास
लेखक-        वेदप्रकाश शर्मा
इस शृंखला के अन्य उपन्यास - लिंक
अपराधी विकास-       प्रथम भाग
मंगल सम्राट विकास- द्वितीय भाग
विनाशदूत विकास-    तृतीय भाग
विकास की वापसी  -  चतुर्थ भाग

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