Monday 17 January 2022

501. ऑप्रेशन ब्लू स्टार का सच- लेफ्टिनेंट जनरल के.एस. बराड़

अमृतसर Golden Temple आतंकवादी-सेना संघर्ष कथा
ऑप्रेशन ब्लू स्टार का सच- लेफ्टिनेंट जनरल के.एस. बराड़

वह मेरा बचपन था, जब मैं पंजाब में आतंकवादी घटनाओं को सुना करता था। पंजाब‌ की जनता दहशत के साये में जी रही थी, और बाहर के लोग पंजाब में जाने अए कतराते थे। क्योंकि वहाँ  आतंकवाद का साम्राज्य था।
हरमंदिर साहिब- अमृतसर
  और यह मेरे परिवार का वातावरण था जिसने मुझे यह सिखाया की आतंकवाद किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता। फिर भी असंख्य लोग, गुमराह लोग, धर्म भीरू, धर्म में अंधता लिये (मेरे विचार से ऐसे लोग धर्म का वास्तविक स्वरूप नहीं पहचानते) लिए लोग आतंक का समर्थन करने लगे।
     मुझे महात्मा गाँधी जी का एक कथन स्मरण है -'पवित्र साध्य के लिए पवित्र साधन आवश्यक है।' 
90 का दशक पंजाब के वातावरण के लिए बहुत भी भयानक रहा। जब पंजाब के फलक पर एक कट्टर धार्मिक नेता 'जरनैल सिंह भिण्डरावाले' का उदय हुआ। जिसका संघर्ष एक अन्य धार्मिक संघ से हुआ और यह विवाद शीघ्र ही एक खूनी खेल में बदल गया।
    जरनैल सिंह भिण्डरावाले के सिर पर कुछ सत्ता और कुछ धर्म के लोगों का हाथ था। एक तरफ धर्म के अंध भगतों का समर्थन, पाकिस्तान का हौंलसा और निकृष्ट सत्ता का सहयोग भिण्डरावाले के मन में यह भाव बैठा गया की वह सर्वशक्तिमान है।
    और इसी भूल के चक्कर में वह धार्मिक आतंकवादी बन बैठा। उसने सरकार के सामने ऐसे -ऐसे मांगे रखी हो किसी भी तरह से स्वीकृत नहीं हो सकती थी। हालांकि कुछ मांगे सरकार ने मानी तो भिण्डरावाले की मांगे बढती गयी।
वहीं उसका खूनी खेल निरंतर बढता गया। स्वर्णमंदिर के आस-पास के क्षेत्र में निरंतर लाशॊं का मिलना सामान्य बात हो गयी थी‌। वही  स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने के निकलने वाले पुलिस विभाग के सदस्यों को भी नहीं छोड़ा।
पवित्र अमृतसर को एक खूनी शहर में बदल दिया था एक अंध कट्टर व्यक्ति ने। अमृतसर ही नहीं पंजाब भी सहमा सा जी रहा था।
    लेकिन यह सब केन्द्र सरकार से छिपा न था‌। लेकिन पंजाब मूक बन कर बैठी थी। पंजाब सरकार ही नहीं पंजाब के धार्मिक और बुद्धिजीवी भी खामोश थे। इसके दो कारण थथा। एक तो यह की अधिकांश लोग धार्मिक कारण से चुप थे, क्योंकि अधिकांश लोग भिण्डरावाले का विरोध अर्थ धर्मा का विरोध मानते थे। दूसरा कारण भिण्डरावाले ने अपने हर विरोधी को बंदूक के दम पर चुप करवा दिया था‌। जिसके उदाहरण है पंजाब केसर के संपादक लाला जगतनारायण और क्रांतिकारी लेखक पाश।
     जब जरनैल सिंह का आतंकवाद अतिपार कर गया मजबूर होकर केन्द्र सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। वहीं समय को देखते हुये जरनैल सिंह भिण्डरावाले ने अमृतसर के पवित्र गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब में पनाह ली। यह अफसोस की बात है तात्कालिक गुरुद्वारा प्रबंधक कमटी (SGPC) खामोश बैठी रही। उसने एक आतंकवादी को गुरुद्वारा में आश्रय देकर पवित्र गुरुद्वारा को अपवित्र किया। हरिमंदिर को ठीक उन्हीं लोगों ने, जो धर्म के रक्षक कहलाते थे, एक पूरे जंग के मैदान में बदल दिया था। (पृष्ठ-110)
हालांकि कुछ लोगों ने विरोध किया लेकिन बंदूक के सामने सब खामोश थे।
     तब मजबूर होकर केन्द्र सरकार को एक कठोर निर्णय लेना पड़ा। एक पवित्र गुरुद्वारे को एक अपवित्र आदमी, एक आतंकवाद से मुक्त करवाने के लिए यह कदम अतिआवश्यक भी था।
  प्रस्तुत रचना ऑप्रेशन ब्लू स्टार का सच' इसी संघर्ष की कहानी। इस प्रकार के पुस्तक की असली परीक्षा भी यही है कि यह विवाद तथा अंत:परीक्षण की प्रक्रिया आरम्भ करे, पर स्वस्थ व ईमानदारी भरी धीमी, न कि तीखी व कटाक्ष भरी।
    सेना ने सोचा भी न था की एक पवित्र गुरुद्वारा एक शस्त्र भण्डार बन जायेगा। जब सेना ने अपना ऑप्रेशन आरम्भ किया तो सेना की सोच के विपरीत वहाँ आधुनिक टेक्नोलॉजी के हथियारों से युक्त अतिवादी सेना के सामने खड़े थे। जहाँ सेना को अतिवादियों से मुकाबला करना था, स्वर्ण मंदिर और वहाँ के श्रद्धालुओं का ध्यान रखना था वहीं आतंकवादियों पर कोई नियम लागू नहीं होता था।
पांच जून 1984 की रात को चला यह ऑप्रेशन सेना के उम्मीद से लम्बा चला। लेकिन अंतत: सेना को अपने लक्ष्य में सफलता मिली। और एक आतंकवादी का अंत हुआ, और पवित्र स्थल एक अपवित्रता से मुक्त हुआ।
लेकिन कुछ प्रश्न आज भी क्या पंजाब उस विचारधारा से मुक्त हुआ? यह प्रश्न आज भी ज्वलंत हैं और पंजाब कॊ युवावर्ग को इस स्थिति को समझना चाहिए।
सेना के ऑप्रेशन पर लोगों ने आरोप भी लगाये लेकिन एक व्यक्ति द्वारा गुरुद्वारा को हथियारों का अड्डा बना देने वाले पर कोई प्रश्न कोई नहीं उठाता। असंख्य लोगों की हत्या करने वाला, पंजाब को दहशत के साये में ले जाने वाले पर कोई प्रश्न नहीं करता। वहाँ जुबान चुप क्यों हो जाती है। बाबा नानक ना उपदेश वहाँ क्यों बेअसर हो जाता है।
  सिख समाज एक आतंकवादी को उचित कैसे ठहरा सकता है। बाबा नानक के अनुयायी इसे स्वीकार न कर सकेंगे, उनकी दृष्टि में वह एक आतंकवादी था।
ऑप्रेशन ब्लू स्टार का सच' पुस्तक हरमंदिर पर सेना द्वारा किये गये ऑप्रेशन का सजीव वर्णन है। क्योंकि यह रचना इस ऑप्रेशन के संचालक लेफ्टिनेंट जनरल के.एस. बराड़ द्वारा लिखी गयी है इसलिए इसका वर्णन सत्य के बहुत निकट है। वहीं लेखक ने पंजाब में तात्कालिक समय में उपजी आतंकवाद स्थितियों पर चर्चा की है, क्योंकि उन घटनाओं या उस समय की पृष्ठभूमि को समझे बिना इस ऑप्रेशन को समझा थोड़ा कठिन है। 
वहीं लेखक ने उस समय सेना पर लगाये कर आरोप, अफवाहों आदि का खण्डन किया है और वह भी तर्कों के साथ।
      अगर पाठक वर्ग ऑप्रेशन ब्लू स्टार या अमृतसर स्थित गुरुद्वारा हरमंदिर ( Golden Temple) पर 'आतंकवादी- सेना' संघर्ष को पढना चाहता है, निष्पक्ष रूप से स्थिति को समझना चाहता है तो यह रचना उसके किए एक प्रमाणित दस्तावेज है।
   कम से कम उन लोगों को यह रचना अवश्य पढनी चाहिए जो एक आतंकवादी की‌ महिमा मण्डित कर उसे गुरू की उपाधि देते हैं।
अंत में- भारत के लोगों को ऐसी प्रतिज्ञा करने की जरूरत है कि आगे से फिर कभी भी किसी धर्मस्थान को शस्त्र-भंडार नहीं बनने दिन दिया जाएगा, न ही ऐसी पनाहगाह, जिसकी कोख से हिंसा तथा भाईचारा जन्म ले सकें। धार्मिक स्थान सदा ही विश्वास तथा भाईचारे के गढ बने रहने चाहिए, न कि सांप्रदायिक नफरत या एक-दूसरे को मारने के श्रेणीगत जंग के।
कृति-    ऑप्रेशन ब्लू स्टार का सच
लेखक-  लेफ्टिनेंट जनरल के.एस. बराड़
प्रकाशक - प्रभात पैपरबैक्स
पृष्ठ-        184

No comments:

Post a Comment

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...