Tuesday 25 January 2022

505. लाश की वापसी - प्रकाश भारती

जब एक लाश वापस लौट आयी
लाश की वापसी - प्रकाश भारती
अजय सीरीज

लाश की वापसी- प्रकाश भारती
तस्वीर -दिसम्बर-2020
"बताओ न,क्या हुआ?"- कांता ने पूछा।
अजय ने बेचैनी से अपनी कुर्सी में पहलू बदला।
" लाश गुम हो गयी।"
कांता बुरी तरह से चौंकी।
''क्या? "
"इससे पहले कि लाश के बारे में किसी और को पता चले।"- अजय शांत स्वर में बोला-" अगर उस एम्बेसेडर कार का पता लग जाता है, जिसकी डिग्गी में लाश बंद है, और मैं उसे दोबारा हासिल करने में कामयाब हो जाता हूँ तो हम अभी भी बच सकते हैं।"
"साफ-साफ बताओ, बात क्या है?"
"लाश किसी और के कब्जे में पहुँच गयी।"
"यह कैसे हो गया?"
अजय ने गहरी सांस ली।
"यह लम्बी कहानी है। सिर्फ इतना समझ लो अब बचाव की एक ही सूरत है।'
" क्या?"
(उपन्यास अंश)
प्रकाश भारती द्वारा रचित 'अजय सीरीज' का यथार्थ के धरातल को स्पर्श करता हुआ एक मर्डर मिस्ट्री आधारित काल्पनिक उपन्यास है 'लाश की वापसी'।


     Hindi Pulp Fiction में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं प्रकाश भारती। जिन्होंने उपन्यास साहित्य की श्रीवृद्धि में विशेष योगदान दिया है। प्रकाश भारती ने 'विक्रम खन्ना सीरीज', 'प्रशांत सीरीज' 'सुनील सीरीज' 'इंस्पेक्टर बलराज सीरीज', 'सुधीर रंजन' सीरीज के अतिरिक्त काफि थ्रिलर उपन्यास भी लिखे हैं। इनका प्रिय और चर्चित 'अजय सीरीज' रही है।
    प्रस्तुत उपन्यास भी अजय सीरीज का उपन्यास है जो मर्डर मिस्ट्री, डकैती और ब्लैकमेलिंग जैसे विषयों का सुंदर मिश्रण है।
   कहानी विराटनगर के होटल मेघदूत से आरम्भ होती है।  जहाँ एक कत्ल के विषय में एक स्त्री 'थंडर' के रिपोर्टर अजय का याद करती है।
और उसकी जानकारी के मुताबिक अजय क्योंकि पत्थर दिल आदमी नहीं है। इसलिए विकी को बचाने की हर मुमकिन कोशिश वह करेगा। (पृष्ठ-23)
वह फोन पर अजय से संपर्क करती है।
''अजय स्पीकिंग।"- वह जानबूझकर रोबीली आवाज में बोला।
...........
........
"आप मुझे तो नहीं जानते लेकिन मेरा नाम जरूर सुना होगा।"- चंद क्षणोंपरांत अपेक्षाकृत सामान्य स्वर में कहा गया-"मेरा नाम कांता सबरवाल है। आपके दोस्त मिस्टर ब्रजेश बरुआ मेरे भी बहुत अच्छे दोस्त हैं।"

      इस स्त्री कांता सबरवाल के अनुसार उसकी बेटी विकी सबरवाल की जल्दी विराटनगर में शादी है, पर विकी सबरवाल के हाथों से एक कत्ल हो गया है।
     अजय मदद के लिए तैयार है। वह लाश को होटल से हटाकर कहीं और फेंकना का विचार बनाता है। लेकिन परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बदलती हैं कि अजय एक एक्सीडेंट के केस में फस जाता है  और एक्सीडेंट भी उस कार से होता है जिसकी डिग्गी में लाश थी। और लाश समेत कार अजय के हाथों से निकल जाती है।
       मेघदूत होटल के कंबल में लिपटी लाश अभी शहर में इधर से उधर घूम रही है। एक ऐसी कार की डिग्गी में बंद, जिसके बारे में पुलिस जानती है, मैं उसे ड्राइव कर रहा था। मेरे लिए अभी भी उस लाश को पाना निहायत जरूरी है। मुझे हर कीमत पर वो लाश वापस चाहिए।(पृष्ठ-126)
    फिर चक्कर शुरु होता है लाश को वापस पाने का।
वहीं उपन्यास में इसी कथा का द्वितीय पक्ष भी शुरु हो जाता है, वह है ब्लैकमेलिंग का।  अभी लाश का प्रकरण खत्म भी नहीं हुआ था कि कथित कांता सबरवाल एक ब्लैकमेलर से परेशान होकर फिर अजय को याद करती है।
   उपन्यास में फिर एक और दौर शुरु होता है। एक कत्ल से आरम्भ होकर, ब्लैकमेलिंग से होता हुआ यह दौर एक डकैती से जुड़ जाता है। जहां अजय जैसा तीव्र मस्तिष्क पत्रकार भी उलझ जाता है कि क्या सत्य है और क्या असत्य है।
      उपन्यास की कहानी वास्तव में बहुत रोमांच पैदा करने वाली है‌। पृष्ठ दर पृष्ठ एक नया ट्विस्ट कहानी में‌पैदा होता है और जिज्ञासा तीव्र करता है।
  अजय जब लाश के साथ एक एक्सीडेंट में फंस जाता है और वहाँ से निकलने की जितनी कोशिश करता है वह उतना ही जाता उलझ जाता है। यह दृश्य बहुत ही रोचक है, जहाँ जिज्ञासा का उच्च स्तर पर पहुँच जाती है की आगे क्या होगा।
      वहीं एक और दृश्य है जब अजय का साथी पत्रकार विमल हरबंस लाल के घर जाता है। वहाँ से प्राप्त जानकारी और उससे निकले परिणाम भी रहस्य पैदा करने वाले हैं।
     बात करे उपन्यास के समापन की तो यह एक अच्छे उपन्यास की कसौटी पर खरा उतरने वाला समापन है। पाठक सोच भी नहीं सकता की समापन इस तरह से और इतना रहस्य समेटे होगा।
   उपन्यास का शीर्षक कथा के साथ पूर्णतः न्यायसंगत है और यह भी स्वयं में एक रोमांच पैदा करने वाले ढंग का है।
     'प्रकाश भारती' द्वारा रचित 'लाश की वापसी' एक उच्च श्रेणी का पठनीय उपन्यास है।
उपन्यास - लाश की वापसी
लेखक   -  प्रकाश भारती
पृष्ठ   -       221
# अजय सीरीज
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