Tuesday 21 May 2019

188. हर मोड़ पर हत्या- जोरावर सिंह वर्मा

एक वहशी अपराधी की कथा।
हर मोड़ पर हत्या- जोरावर सिंह वर्मा, जासूसी उपन्यास

पत्रकार मनीष शहर के अमीर सेठ चेतन की पुत्री मोना से प्यार करता था। दोनों अक्सर स्विमिंग पूल पर मिलते थे। एक दिन स्विमिंग पूल से मोना गायब हो गयी।
जब इंस्पेक्टर सुधीर और जासूस 'ओ हिन्द' इस रहस्यपूर्ण केस को सुलझाने निकले तो उन्हें हर मोड़ पर लाश नजर आने लगी।
        जोरावर सिंह वर्मा का मेरे द्वारा पढे जाने वाला यह प्रथम उपन्यास है। उपन्यास आकार में चाहे लघु है लेकिन कथा रोचक और दिलचस्प है। कहानी प्रथम पृष्ठ से ही रोचक बन जाती है और सतत् रोचक बरकरार रहती है।
           उपन्यास की कथा सेठ चेतन की पुत्री मोना के अपहरण/गायब होने से आरम्भ होती है। सेठ का अनुमान है की उसकी पुत्री को खूंखार अपराधी चीतल उठा कर ले गया। मुझे लगता है यह काम भयानक अपराधी चीतल का है। (पृष्ठ-16)
           होटल 'स्काई लार्क' एक तरह से अपराधीवर्ग का ठिकाना है। एक पार्टी के दौरान होटल मालकिन कमला की हत्या हो जाती है वहीं एक सेठ आत्महत्या कर लेता है।
इंस्पेक्टर सुधीर और जासूस 'ओ हिन्द' अभी मोना के केस का रहस्य भी न खोल पाये थे और ये दो हत्यायें केस को और उलझा देती हैं।

           इस कड़ी में एक नाम और जुड़ता है 'लक्की‌ वाईन स्टोर'। स्टोर की  सैल्स गर्ल, जिस पर शक होता है वह भी गायब।
         दूसरी तरफ हत्यारा दो कत्ल और कर देता है। जासूस 'ओ हिन्द' और इंस्पेक्टर सुधीर जिस भी व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करते हैं उसकी हत्या कर दी जाती है।
         शहर में भयानक अपराधी चीतल का आतंक है जो खूबसूरती लड़कियों को हवस पूर्ति के बाद खत्म कर देता है। "उभरे जबड़े वाला आदमी बहुत ही सैक्सी है। हर सुंदर स्त्री के साथ प्यार और तकरार से सोना उसकी आदत बन गयी। (पृष्ठ-88)
         होटल 'स्काईलार्क', 'लक्की वाईन स्टोर' और भयानक अपराधी 'चीतल' के रहस्य से आखिर 'ओ हिन्द' और सुधीर पर्दा उठाते हैं और 'असली अपराधी' को बेनकाब करते हैं।
          यह एक जासूसी उपन्यास है। जासूस 'ओ हिन्द' अपने साथी 'जाॅन, मान, शान', अन्नपूर्णा और इंस्पेक्टर सुधीर की मदद से केस को हल करता है।
            उपन्यास में अपराधी चीतल का जो वर्णन है वह वास्तव में खतरनाक दर्शाया गया है। हर हत्या के पश्चात शक एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे पर घूमता।

           उपन्यास में अगर कुछ कमी है तो वह है कुछ घटनाओं, पात्रों और परिस्थितियों का 'कम वर्णन' करना। कुछ पात्र तो अकस्मात आते हैं उनके बारे में अचानक से कुछ पता ही नहीं चलता। कहीं-कहीं कुछ घटनाओं का वर्णन इतना कम है की उन्हें समझा तो जा सकता है लेकिन एक हल्की सी कमी के साथ।
             उपन्यास वास्तव में रोचक है जो अपने कथानक के दम पर पढा जा सकता है।
उपन्यास को विभिन खण्डों में शीर्षक के साथ विभिक्त किया गया है। जैसे- कमरे से लड़की गायब, रहस्यमयी हत्या और आत्महत्या, उभरे जबड़ों वाला आदमी, भेद खुलते गये।

मुझे पुराने उपन्यास पढने की रूचि है। क्योंकि उनमें से बहुत से अच्छे उपन्यास हैं जो समय की गर्त में खो गये हैं। ऐसे उपन्यासों को ढूंढना मेरी रूचि में शामिल है।
निष्कर्ष-
प्रस्तुत उपन्यास जासूसी उपन्यास है। जो एक हत्या से आरम्भ होकर विभिन्न स्तरों से गुजरता हुआ अंततः मुख्य अपराधी तक पहुंचता है।
उपन्यास में कहीं-कहीं कम शब्दों का अभाव अखरता है। शायद कम पृष्ठ रखने के चक्कर में लेखक न कुछ वर्णन अधूरे से रखे हैं और कुछ पात्रों का अकस्मात सा प्रवेश दिखा दिया।
अगर आप जासूसी उपन्यास पढना पसंद करते हैं तो यह उपन्यास आपको अवश्य पसंद आयेगा।

उपन्यास- एक मोड़ पर हत्या
लेखक-    जोरावर सिंह वर्मा
पृष्ठ-       141
प्रकाशक- सुबोध पॉकेट बुक्स- दिल्ली

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