Friday 4 January 2019

162. मैं जल्लाद हूँ- एन. सफी

मेजर राजन और राजेश का खतरनाक सफर....

मैं जल्लाद हूँ- एन. सफी, जासूसी उपन्यास, एक्श‌न, रोचक

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     एन. सफी का कोई भी उपन्यास मैंने पहली बार पढा है। उस उपन्यास से एन. सफी के विषय में कहीं से कोई भी जानकारी तो उपलब्ध नहीं होती। बस फेसबुक से उनके कुछ उपन्यासों की जानकारी उपलब्ध होती है। वह जानकारी आप यहाँ देख सकते हैं- एन. सफी, साहित्य देश

              प्रस्तुत उपन्यास 'मैं जल्लाद हूँ' एन. सफी का एक एक्शन प्रधान उपन्यास है। जो आदि से अंत तक एक्शन से भरपूर है, उपन्यास में सिर्फ एक्शन ही नहीं रोमांच भी भरपूर है। 

          एक विशाल जहाज तेजी से आगे बढ रहा था। चारों ओर खिली हुयी चांदनी का साम्राज्य फैला हुआ था। उस चांदनी रात में सभी लोग अपनी-अपनी मस्ती में खोये वातावरण का आनंद ले रहे थे। (प्रथम पृष्ठ से) 

            यहाँ से उपन्यास का आरम्भ होता है। इस जहाज में मेजर राजन और राजेश भी सफर कर रहे हैं। इस समय मेजर राजन इंग्लैंड अपने पिता की अथाह संपति की वसीयतनामे के सिलसिले में यात्रा कर रहे थे। (पृष्ठ-04)

            उपन्यास में कुछ ट्विस्ट आते हैं, एक ट्विस्ट खत्म होता है और दूसरा आरम्भ हो जाता है। उपन्यास अंत में स्वयं एक ट्विस्ट बन कर पाठक को सोचने को मजबूर करते हुए खत्म हो जाता है।

            उपन्यास को कुल तीन भागों में बांटा जा सकता है।

प्रथम- तूफान और जहान का पतन

             अगर उपन्यास को तीन भागों में विभक्त करें तो उपन्यास का आरम्भ जलयान से ही होता है। कुछ पृष्ठों के पश्चात ही जलयान जलमग्न हो जाता है। यहीं से राजन और राजेश अलग- अलग हो जाते हैं।

             कुछ क्षण पश्चात वहां जहाज का नामोनिशान न था। अथाह जल राशि चारों तरफ थी। विशाल सागर अपना सीना गर्व से फैलाये हुये था। (पृष्ठ-11) 

द्वितीय-  कैप्टन माइकल का जहाज

              'आप निश्चित रहें आप इस समय एक मछली मार विशेष जलयान पर यात्रा कर रहे हैं।'(पृष्ठ-12)

              प्रथम जहाज के जलमग्न होने के बाद राजेश किसी तरह बच कर, सात दिन बेहोश रहने के बाद, होश में आता है तो स्वयं को एक और जहाज में पाता है। 

              उपन्यास का यह भाग काफी रोचक है। इसमें खतरनाक विलेन और कुछ नये साथी भी हैं और एक दिन उसे राजन भी मिल जाता है। 

              कैप्टन माइकल जो एक इस जहाज का मालिक और खतरनाक स्मगलर भी है। जो लोगों को गुलाम बनाकर अपने जहाज पर काम करवाता है। राजेश और राजन को भी वह गुलाम बनाना चाहता है।

              उपन्यास का यह भाग गजब और रोचक है। कैप्टन माइकल और राजेश का द्वंद भी चलता है और अन्य जलदस्यु के साथ मुकाबला करने पर दोनों एक साथ भी हैं।

              एक दिन यह जहाज भी खत्म हो जाता है। जहाज एक भयंकर आवाज के साथ समुद्र में जल समाधि बन गया था। (पृष्ठ-70)

              किसी तरह राजन और राजेश बच जाते हैं। लेकिन एक नयी मुसीबत में फंस जाते हैं।         

तृतीय- राजन और राजेश महारानी महामाया की कैद में।

            महारानी महामाया एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी है। उसकी राजेश और राजन से पहले भी भिड़ंत हो चुकी है। 

            समुद्र से किसी तरह बच कर राजन और राजेश निकल आते हैं लेकिन महारानी महामाया के जाल में फंस जाते हैं।

- जहाज पानी में कैसे डूब गये?

- राजन और राजेश अलग-अलग कैसे हुए?

- समुद्र में राजन और राकेश कैसे मिले?

- महामाया की राजन और राजेश से क्या दुश्मनी थी?

- राजन और राजेश भारत कैसे पहुंचे?

          राजन और राजेश का यह खतरनाक सफर कैसा रहा? यह जानने के लिए इस उपन्यास को पढना पढेगा।

    उपन्यास की कहानी में कहीं तारतम्य ‌नहीं है। ऐसा कहां जा सकता है राजेश और राज‌न के सफर के दौरान कुछ खतरनाक घटनाएं घटी और उन्हीं घटनाओं को यह उपन्यास रोचक तरीके से प्रस्तुत करता है।

    लेखक की विशेषता यह रही की उपन्यास को दिलचस्प बना कर रखा है। उपन्यास में घटनाओं का प्रवाह तीव्र है जो कहीं बोरियत महसूस नहीं होने देता।

उपन्यास का शीर्षक 'मैं जल्लाद हूँ' कहीं कुछ स्पष्ट नहीं होता। पता नहीं कौन जल्लाद है।

निष्कर्ष-

            एन. सफी का प्रस्तुत उपन्यास 'मैं जल्लाद हूँ' एक एक्शन उपन्यास है। जिसमें घटनाएं तो बहुत है लेकिन कोई कहानी नहीं है। अगर यात्रा को एक कहानी मानकर चले तो भी उसमें कुछ बातें तर्कसंगत नहीं है।

            मनोरंजन की दृष्टि से यह उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।

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उपन्यास-  मैं जल्लाद हूँ

लेखक -   एन. सफी

प्रकाशक- कंचन पॉकेट बुक्स- मेरठ

प्रकाशन- ....

पृष्ठ- 138

मूल्य-

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