Tuesday 6 March 2018

101. चालीसा का रहस्य- डाॅ. रुनझुन सक्सेना

हनुमान चालीसा और मर्डर मिस्ट्री का अनोखा संयोग।
चालीसा का रहस्य- रुनझुन सक्सेना, जासूसी उपन्यास, रोचक, पठनीय।
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  लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में जहां परम्परागत आधार पर उपन्यास लेखन की अंधानुकरण परम्परा रही है, वहीं कुछ लेखकों ने नये प्रयोग भी किये हैं। हालांकि ऐसे प्रयोग बहुत कम देखने को मिलते हैं । ऐसा ही एक प्रयोग किया है डाॅ. रुनझुन सक्सेना शुभानंद ने अपने प्रथम उपन्यास 'चालीसा का रहस्य' में। 
      उपन्यास में हनुमान चालीसा को आधार बना कर कैसे एक रहस्य को सुलझाया जाता है यह वास्तव में पठनीय है। लेखिका का यह प्रयोग कामयाब भी रहा है। हनुमान चालीसा के छंदों को एक नये रूप में प्रस्तुत करना प्रशंसनीय कार्य है।
               डाॅ. अंजना एक मशहूर शोधकर्ता होने ले साथ -साथ एक सुशिक्षित प्रोफेसर एवं अत्यंत प्रतिभाशाली गाइड भी थी। (पृष्ठ-5) और एक दिन दिल का दौरा पङा और उसके कुछ दिन उनकी मृत्यु हो गयी। सभी को डाॅ. अंजना की मृत्यु संदिग्ध लगी।
      डाॅ. अंजना का एक सुयोग्य शिष्य संजीव जो की डाॅ. अंजना के सानिध्य में P.HD. कर रहा होता है। जब संजीव डाॅ. अंजना की मृत्यु के पश्चात अपने थीसिस के पेपर लेने अंजना के घर जाता है वहाँ से उसे एक रहस्यम बक्सा मिलता है और उस बक्से के साथ एक हनुमान चालीसा की छोटी सी पत्रिका।
       लेकिन न तो वह बक्सा कोई सामान्य था और न वह हनुमान चालीसा। वह कोई साधारण बक्सा न था। वह एक विशेष पद्धति से खुलने वाला एक बक्सा था। 
और जब वह बक्सा खुला तो कई रहस्य सामने आये।

- क्या डाॅ. अंजना की मृत्यु स्वाभाविक थी या अस्वाभाविक?
- क्या था उस बक्से में?
- वह बक्सा कैसे खुला? (उपन्यास का यह एक सस्पेंश भाग है)
- संजीव की थीसिस का क्या हुआ?
- डाॅ. अंजना के कातिल कौन थे?
- डाॅ. अंजना की हत्या क्यों हुयी, कैसे हुयी?
- हत्यारा कैसे पकङा गया?
- क्या रहस्य था हनुमान चालीसा में?
    ऐसे एक नहीं अनेक प्रश्नों के उत्तर डाॅ. रुनझुन सक्सेना शुभानंद द्वारा लिखे गये उपन्यास 'हनुमान चालीसा' को पढकर ही‌ मिलेंगे।
         
          उपन्यास कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। जहाँ एक तरफ यह उपन्यास मर्डर मिस्ट्री है और उस मर्डर मिस्ट्री को हल करने वाले युवा हैं, वहीं उपन्यास में मेडिकल क्षेत्र की बहुत सी जानकारी भी उपन्यास में उपलब्ध है। इनके साथ-साथ हनुमान चालीसा की व्याख्या भी बहुत सुंदर ढंग से दी गयी।
           अगर बात सिर्फ हनुमान चालीसा की व्याख्या की करें तो यह व्याख्या मात्र धार्मिक दृष्टिकोण से न देकर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दी गयी है। इसमें राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि को प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
उदाहरण देखें- "...नायक भगवान राम हैं। वह शरीर है, जो कि तुम हो।.....माँ सीता ' आत्मा' है जो तुम्हारे सुक्ष्म शरीर (Astral body) का प्राण है.........इसी तरह लक्ष्मण तुम्हारी 'चेतना' या यूँ कहो कि 'विवेक' और 'इच्छा शक्ति' का रूप है।..।" (पृष्ठ-45)
          इसी प्रकार हनुमान चालीसा भी एक सामान्य पत्रिका न होकर हमारे मन को जानने का एक रास्ता है।
- हनुमान चालीसा तुम्हे तुम्हारे अंतस को जानने का रास्ता दिखाती है और हमारे सभी प्रश्नों के उत्तर भी वहीं छिपे होते हैं। बस जरूरत  सिर्फ यह जानने की है कि कैसे कोई अपने अंतस को पहचानकर उसके भीतर गहरे में छिपे गूढ ज्ञान को जानकर सारे उत्तर ढूँढने में सफल हो सकता है।"-(पृष्ठ-42)

गलती-
पवन अब खुद को शून्य में तैरता उतरता महसूस कर रहा था। (पृष्ठ-39)
यहाँ पवन की जगह संजीव शब्द आना था।

अनुवादक
      चालीसा का रहस्य उपन्यास मूलतः अंग्रेजी उपन्यास the secret of chaleesa का हिंदी अनुवाद है। यह अनुवाद किया है अनुवादक सबा खान जी ने।
      उपन्यास का अनुवाद बहुत अच्छा किया गया है। शब्दों और भावों का उचित अनुपात उपन्यास में उपलब्ध है। 
अच्छे अनुवाद के लिए सबा खान जी को धन्यवाद।


निष्कर्ष
प्रस्तुत उपन्यास एक बहुत ही अच्छा और पठनीय उपन्यास है। जहाँ एक तरफ पाठक को अच्छी मर्डर मिस्ट्री और सस्पेंश पढने को मिलेगा वहीं दूसरी तरफ हनुमान चालीसा की अच्छी व्याख्या भी इसमें उपस्थित है। और दोनों की एक साथ प्रस्तुति उपन्यास को बहुत रोचक बना देती है।
    उपन्यास पठनीय है, अवश्य पढें।
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उपन्यास- चालीसा का रहस्य (The secret of chaleesa)
लेखिका- डाॅ. रुनझुन सक्सेना शुभानंद
अनुवादक- सबा खान
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स
ISBN-978-1-944820-73-2
वर्ष-फरवरी 2017
पृष्ठ-194
मूल्य-150₹
संपर्क- 
Email- soorjpocketbooks@gmail.com

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