नन्हें रस्टी की कुछ रोचक शरारतें
रस्टी के कारनामे- रस्कीन बाॅण्ड
रस्किन बॉण्ड का नाम बाल साहित्य में अद्वितीय स्थान रखता है। रस्किन बॉण्ड मूलतः अंग्रेजी के लेखक हैं। उनका साहित्य जितना अंग्रेजी में प्रसिद्ध है उतना ही लोकप्रिय हिंदी में भी है।
रस्किन बॉण्ड का जितना साहित्य मैंने पढा है, उसमें मुख्य पात्र रस्टी नामक एक बच्चा होता है, या यूं कह सकते हैं वह पात्र रस्किन बॉण्ड के बचपन का प्रतिनिधित्व करता है। 'रस्टी के कारनामे' रस्कीन बॉण्ड की कुछ चर्चित कहानियों का संकलन है। यह दो भागों में विभक्त है।
प्रथम भाग 'केन काका' शीर्षक से है और द्वितीय भाग 'स्कूल से भागना' शीर्षक से है।
प्रथम भाग में रस्टी, केन काका और दादी के जीवन के कुछ रोचक प्रसंग यहाँ दिये गये हैं। जिनमें मुख्य केन काका के जीवन से संबंधित घटनाएं हैं।
केन काका एक आलसी किस्म के आदमी हैं। उसका अधिकांश समय रस्टी की दादा के साथ ही बीतता है। काका कोई काम नहीं करते और अगर कहीं कोई कम मिल जाये तो ज्यादा समय तक वहाँ टिकते नहीं।
प्रथम खण्ड में हालांकि काफी रोचक कहानियाँ है पर मुझे विशेष लगी 'केन काका की नौकरी।'
केन काका की नौकरी एक महाराजा के यहाँ हो गयी। और महाराजा को टेनिस का बहुत शौक था।
महाराजा इतना खराब टेनिस खेलते थे कि वह यह जान कर प्रसन्न हुये की कोई उनसे भी खराब खेल सकता है। सो, केन काका महाराजा के 'डबल्स' में पार्टनर होने के बजाय 'सिंगल्स' में उनके चहेते विरोधी बन गये। जब तक वह महाराजा से हारते रहेंगे, उनकी नौकरी बनी रहेगी।
लेकिन यह हार ज्यादा दिन न चली और न यह नौकरी।
"आज जल्दी आ गया तू?"- दादी ने पूछा।
" उन्हें अब मेरी जरूरत नहीं रही।" - केन काका बोले।
इसी से संबंध रखती अगली कहानी है 'केन काका ने कार चलायी'।
संयोग कहे या दुर्योग केन काका की कार दीवार तोड़ कर महाराजा के घर में घुस गयी। इस कहानी का अंत बहुत रोचक है।
'केन काका क्रिकेट खेले' यह कहानी तो सबसे हास्यजनक है। जहाँ एक तरफ यह कहानी हास्य पैदा करती है वहीं एक व्यंग्य भी है उन लोगों पर जो बिना जाने ही किसी की प्रशंसा करते जाते हैं।
केन काका को जब कुछ लोग प्रसिद्ध इंग्लिश क्रिकेट खिलाड़ी ब्रूस हैलन समझ कर एक चैरिटी मैच खिलाते हैं।
इस कहानी संग्रह का द्वितीय खण्ड है 'स्कूल से भागना'
रस्टी और उसका दोस्त दलजीत स्कूल से भाग कर जामनगर (गुजरात) पहुंचना चाहते हैं, क्योंकि वहाँ रस्टी के अंकल का जलयान खड़ा है और दोनों उस जलयान द्वारा विदेश भ्रमण करना चाहते हैं।
शिमला के स्कूल से जामनगर का सफर बहुत लंबा है। चोरी से स्कूल से भागना, पैसों का अभाव,रास्ते की मुश्किलें इत्यादि कहानी को रोचक बनाती हैं।
दोनों दोस्त स्कूल से तो भाग आते हैं लेकिन रास्ते में आने वाली मुश्किलों से अनजान हैं।
कैसे वह ट्रक में बैठ कर सफर करते हैं और ट्रक ड्राइवर की बातूनी आदतों से परेशान होते हैं। एक जगह तो डाकू इनका सारा सामान छीन लेते हैं लेकिन दोनों मित्र हार नहीं मानते। हार तो वह तब भी नहीं मानते,जब एक नदी में नहाने के दौरान कुछ शरारती लड़के इनके वस्त्र उठा कर भाग जाते हैं।
अब बिना वस्त्रों के आगे की यात्रा कैसे करें। लेकिन दोनों नन्हें शैतान हर समस्या का कोई न कोई हल निकाल ही लेते हैं। जैसे अंत में पैसे न होने पर भी एक टट्टू की यात्रा की।
हालांकि पैसे तो उनके रास्ते में ही खत्म हो गये थे। पर अपने बुद्धि कौशल से इनकी यात्रा जारी रहती है।
रस्टी के कारनामे कथा संग्रह न केवल छोटे बच्चों के किए अपितु वयस्कों के लिए भी रोचक है।
पाठक मित्रो, अगर आपको बाल साहित्य पसंद है तो आप रस्किन बॉण्ड को एक बार अवश्य पढें।
'रा. उच्च माध्य. विद्यालय- आबू पर्वत (माउंट आबू) के विशाल पुस्तकालय में असंख्य पुस्तकों का संग्रह है। यह पुस्तक इसी विद्यालय के 'सरस्वती पुस्तकालय' से पढी थी।
शीर्षक- रस्टी के कारनामें
लेखक - रस्कीन बॉण्ड
अनुवादक- द्रोणवीर कोहली
चित्रांकन- शुद्धसत्व वसु
प्रकाशन- नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली
पृष्ठ- 96
मूल्य- 25₹
'रा. उच्च माध्य. विद्यालय- आबू पर्वत (माउंट आबू) के विशाल पुस्तकालय में असंख्य पुस्तकों का संग्रह है। यह पुस्तक इसी विद्यालय के 'सरस्वती पुस्तकालय' से पढी थी।
शीर्षक- रस्टी के कारनामें
लेखक - रस्कीन बॉण्ड
अनुवादक- द्रोणवीर कोहली
चित्रांकन- शुद्धसत्व वसु
प्रकाशन- नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली
पृष्ठ- 96
मूल्य- 25₹
रस्किन बांड को पढ़ना हमेशा से ही भाता है। इन कहानियों पर बनी टीवी सीरीज मैंने देखी है। जल्द ही इन्हें पढ़ने की कोशिश रहेगी।
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