Thursday, 30 January 2025

दस बाल पुस्तकें

बाल साहित्य और हम 
बाल साहित्य की दस किताबों पर समीक्षा

मेरे विद्यालय 'राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- 6LC' मॆं पुस्तकालय अभी शिशु अवस्था में है । यहां लगभग एक हजार किताबें हैं। उनमें से अशिकतर किताबें बाल साहित्य या कम पृष्ठ की लघु रचनाएं हैं। 
इनमें से कुछ रचनाएं जो मुझे अच्छी लगी उनके विषय में हम यहां चर्चा करेंगे । इस माह मैंने बाल साहित्य पर ध्यान केन्द्रित किया है । और इस पोस्ट में मैंने बाल साहित्य की दस लघु रचनाओं को एक साथ समाहित किया है।

01. महाराजा रणजीत सिंह - प्रीतम‌ सिंह
   

पंजाब के इतिहास में महाराजा रणजीत का नाम बहुत ही मान- सम्मान से लिया जाता है। कहां जाता है उनका शासन एक आदर्श शासन रहा है और महाराजा रणजीत सिंह एक जनप्रिय शासक रहे हैं।
  प्रस्तुत रचना में एक नानी अपने बच्चों को बहुत ही रोचक ढंग से महाराजा रणजीत की कहानी सुनाती है। 
इस लघु रचना की बड़ी विशेषता है इसका प्रस्तुतीकरण, कहानी कहने की कला । रचनाकार ने पुस्तक को कहीं भी ज्यादा तथ्यात्मक, आंकड़े युक्त बनाने का प्रयास नहीं किया है। इसे एक कहानी के रूप में दर्शाया गया है और वह भी छोटे बच्चों के स्तर अनुसार ।
   ऐसे प्रयास बच्चों में महापुरुषों के विषय में जानकारी प्रदान करने में सफल भी होते हैं। और कुछ वाक्य बच्चों में प्रेरणा प्रदान करने वाले भी नजर आते हैं।
पुस्तक- महाराजा रणजीत सिंह
पृष्ठ-     32
अनुवाद- रमेश बक्षी
चित्रांकन- नीता गंगोपाध्याय
मूल्य- 35₹
प्रस्तुत संस्करण- 2022

 

2. धरती से सागर तक- विनीता सिंघल
बाल साहित्य के अंतर्गत पढें एक रोचक और ज्ञानवर्धक पुस्तक ।

इतवार का दिन था और हर इतवार की तरह आज भी अंशु अपने दादा जी के साथ समुद्र के किनारे सैर करने आया था। उसे दूर-दूर तक फैला नीला सागर और उसमें उठती ऊंची लहरें आकर्षित करती थीं। समुद्र की लहरें जब किनारे को छूकर वापस लौटतीं तो पीछे छोड़ जाती थीं ढेर सारे शंख और सीपियां, जिन्हें इकट्ठा करना अंशु को बहुत अच्छा लगता था। उसने शंख और सीपियों का ढेर-सा खजाना इकट्ठा कर लिया था ।
  नमस्ते पाठक मित्रो,
आज प्रस्तुत है बाल साहित्य के अंतर्गत NBT द्वारा प्रकाशित एक छोटी सी पुस्तिका । यह छोटी सी रचना छोटे बच्चों पर आधारित है और छोटे बच्चों के लिए ही है ।
इसमें  हम जानेंगे धरती से लेकर सागर तक और सागर से लेकर धरती की अथाह गहराइयों तक ।
कहानी है अंशु नामक एक छोटे बच्चे की जो अपने दादा के साथ समुद्र किनारे शंख और सिपियां एकत्र कर रहा है । अंशु एक जिज्ञासु बालक है औ उसके दादा उसकी हर बात को ध्यान से सुनते हैं और उसके प्रश्नों का ज्ञानवर्धक उत्तर भी देते हैं।
  
"अच्छा मान लीजिए दादा जी, अगर सब जगह समुद्र ही समुद्र होते तो...?"
"तो न हम होते, न तुम होते...।"
"वह क्यों ?"
"जीवन के लिए पांच तत्व जरूरी होते हैं वायु, अग्नि, जल, प्रकाश और पृथ्वी । अगर इनमें से एक भी तत्व का अभाव हो तो जीवन संभव नहीं।"

   अंशु अपने मम्मी- पापा और बहन गीतू के साथ अण्डमान निकोबार घूमने जाता है जहां उनकी मुलाकात डाक्टर मित्रा से होती है जो बच्चों को वहां के भूगोल की अच्छी जानकारी देते हैं।
दोनों बच्चे जिज्ञासु हैं और डाक्टर मित्रा उनके प्रश्नों के उत्तर देते हैं। यहां ज्वालामुखी, पृथ्वी निर्माण आदि पर रोचक जानकारी मिलती है।
  वहीं नाव की यात्रा के मध्य भी समुद्र, जलीय जीव आदि पर दोनों प्रश्नों के माध्यम से उत्तर प्राप्त करते हैं।
दोनों बच्चों का जिज्ञासु मन न सिर्फ पाठक को उत्तर देता है बल्कि उत्तर के साथ रोचक भी प्रदान करता है।
  यह रचना जहाँ छोटे बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक है वहीं वयस्कों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
   अगर आप अपने बच्चों को अच्छा साहित्य देना चाहते हैं, उनके ज्ञानवर्धक में सार्थक वृद्धि करना चाहते हैं तो यह रचना अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है।
पुस्तक में रंगीन चित्र, उच्च गुणवता के पृष्ठ इसको और अच्छा बनाते हैं।

  National Book Trust की किताबों में शाब्दिक गलतियाँ होती नहीं पर इसमें तीन जगह शाब्दिक त्रृटियां नजर आयी ।
किताब- धरती से सागर तक
पृष्ठ-      36+2
मूल्य-    70₹
चित्राकंन- बिनय सिन्हा

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