Wednesday 28 September 2022

535. तरकीब - आलोक सिंह खालौरी

एक भ्रष्ट नेता की रोचक कथा
तरकीब- आलोक सिंह खालौरी
   एक अकेली लड़की बदला लेना चाहती है अपने उस सौतेले बाप से जिसने ना सिर्फ उसके बाप और माँ की हत्या की थी वरन उसके ऊपर भी जुल्म ढाया था और एक अरबपति बाप की इकलौती बेटी को दरबदर भटकने के लिए मजबूर कर दिया था। एक वकील, जिसे जीने के लिए कोई काम करने की जरूरत ही नहीं थी, मगर अपने बल बूते पर अपनी हैसियत बनाने का वो पुरजोर तमन्नाई था। एक साधारण से केस में हाथ डालने के बाद हालात जिस तेजी से करवट बदले, उसे पता ही नहीं चला। एक सांसद, माफिया, धन कुबेर व्यापारी, जिसकी ताकत का कोई ओर छोर नहीं। राजनीतिक पैंतरों में सिद्धहस्त सारे दाँव-पेंच अपनाकर सरकार को भी बैक फुट पर ले जाने वाला बाहुबली नेता, जिस पर पलटवार करने के लिए सरकार की ओर से नियुक्त एन. सी. बी. और आई. बी. की संयुक्त टीम के भी पसीने छूट जाते हैं। सांझा मंजिल के लिए अलग-अलग रास्तों पर चले जब कई मुसाफिर एक ही पड़ाव पर आकर मिले, तो उनके सामने एक ही चुनौती थी किस तरह उस माफिया का अंत हो सके। और फिर निकाली गई एक -तरकीब..
आलोक सिंह खालौरी जी के साथ, मेरठ- 17.09.2022

Saturday 24 September 2022

534. दरिंदा- वेदप्रकाश शर्मा

आखिर क्यों बना विकास दरिंदा
दरिंदा- वेदप्रकाश शर्मा

एक तरफ सिंगही का शिष्य वतन था, दूसरी तरफ विजय और अलफांसे का शिष्य विकास। दोनों के टकराव की महागाथा है यह उपन्यास और यह उपन्यास भी यही है जिसमें बताया गया है कि विकास को दरिंदा क्यों जाने लगा।
 वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा रचित उपन्यास 'हिंसक' का द्वितीय भाग है 'दरिंदा। दोनों उपन्यासों की संयुक्त कथा ब्रह्माण्ड के अपराधी सिंगही से संबंधित है। सिंगही विश्व विजेता बनने के लिए एक वैज्ञानिक एडिसन के साथ मिलकर एक घातक योजना के साथ अपनी चाल चलता है और बना देता है एक हिंसक और एक दरिंदा।
  नमस्कार पाठक मित्रो,
     आज 'स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय' ब्लाग में प्रस्तुत है उपन्यास साहित्य के सितारे वेदप्रकाश शर्मा जी के एक्शन उपन्यास 'दरिंदा' की समीक्षा।

Wednesday 14 September 2022

533. हिंसक - वेदप्रकाश शर्मा

 जब टकराये विकास और वतन
हिंसक - वेदप्रकाश शर्मा
हिंदी लोकप्रिय जासूसी कथा साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा अपनी सशक्त लेखनी के दम पर पाठकों के सर्वप्रिय कथाकार रहे हैं। वेदप्रकाश शर्मा अपने पात्रों के द्वारा एक अलग काल्पनिक संसार की रचना करते हैं और पाठक उसी अद्भुत काल्पनिक संसार को उपन्यास के माध्यम से पढकर आनंदित होता है। कुछ पाठकों को चाहे इनके उपन्यास वास्तविकता के नजदीक नजर नहीं आते, यह सत्य भी है, पर यह भी सत्य है की वेदप्रकाश शर्मा जीके उपन्यास कल्पना की एक नयी उड़ान होते हैं। जो इस संसार में वर्तमान में संभव नहीं उसी असंभव को अपने उपन्यासों में संभव कर के दिखाते हैं। 
  प्रस्तुत उपन्यास 'हिंसक' जिसका द्वितीय भाग 'दरिंदा' है की यहाँ संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत है।
   'हिंसक' उपन्यास की कथावस्तु का आरम्भ एक भारतीय वैज्ञानिक  से होता है जो अमेरिका से भारत लौटता है लेकिन भ्रष्ट मानसिकता के सहयोगियों के चलते हुये वह गहरी मुसीबतों में फंस जाता है। 

Wednesday 7 September 2022

532. मतवाल चंद - संतोष पाठक

संघर्ष अहम् और कर्तव्य का
मतवाल चंद- संतोष पाठक
 
ताकत के मद में ऐंठे एमपी प्रचंड सिंह राजपूत ने मतवाल चंद को पीटते वक्त सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह हरकत उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित होने वाली थी, ऐसी भूल जो उसकी सल्तनत को पूरी तरह तबाह और बर्बाद कर के रख देगी।
किसी बाहुबली के साथ जंग लड़ना आसान काम नहीं था। वह भी तब जबकि मतवाल का थाना इंचार्ज प्रचंड सिंह के खिलाफ मारपीट का मामला तक दर्ज करने को तैयार नहीं था।
आखिरकार उसने आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया, एक ऐसी लड़ाई जिसके बारे में कोई नहीं जानता था कि उसका अंत कहां जाकर होने वाला था।
शह और मात का खेल चल निकला, कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल था।
अब देखना ये था कि क्या अकेला चना भांड फोड़ सकता था? (किंडल से)
वर्तमान यथार्थवादी समय में मनुष्य दुखी हो गया है। वह ज्वालामुखी की तरह अपने अंदर अथाह आग लिये बैठा है, बस इंतजार है उस ज्वालामुखी के फटने का। वहीं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का जीवन और भी मुश्किल है।‌ वहीं सत्ता और धन के नशे में चूर व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तियों को हेय दृष्टि से देखते हैं। 'मतवाल चंद' कहानी एक ऐसे ही कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मी और सत्ता-धन के मद में डूब व्यक्ति के संघर्ष की कहानी है।

Thursday 1 September 2022

531. गुनाह बेलज्जत - संतोष पाठक

वह अपराध कोई काम नहीं आया
गुनाह बेलज्जत - संतोष पाठक

- एक बड़ा बिजनेसमैन, जिसपर अपनी बीवी कि हत्या का इल्जाम था।
- एक बेरोजगार युवक जो अपनी गर्ल फ्रेंड के जरिये करोड़पति बनने के सपने देख रहा था।
- एक लड़की जो अपने मन कि भड़ास निकालने के लिए झूठ पर झूठ बोले जा रही थी।
- एक सब इंस्पेक्टर जो अपने एस.एच.ओ. की निगाहों में अव्वल दर्जे का गधा था।
- एक परिवार जिसमें कोई किसी का सगा नहीं था।
- ऐसे नकारा और बदनीयत लोगों का जब केस में दखल बना तो मामला सुलझने कि बजाय निरंतर उलझता ही चला गया।
'गुनाह बेलज्जत'
- एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को हिलाकर रख दिया। 
            लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में श्रीमान संतोष पाठक जी वर्तमान में उपन्यास लेखन में तीव्र गति से लेखन करने वाले लेखक हैं। कभी - कभी तो पाठक एक उपन्यास पढ नहीं पाता और नया उपन्यास पाठकों के समक्ष आ जाता है और हर उपन्यास उतना ही रोचक और पठनीय होता है जितना की पूर्ववत उपन्यास। इन दिनों मैंने संतोष पाठक जी के दो उपन्यास पढे हैं और एक नया उपन्यास प्रकाशित भी हो गया।
        कहते हैं अपराध के मुख्य कारण 'जर, जोरु और जमीं' होते हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त और बहुत से कारण अपराध के हो सकते हैं। 'बहुत से' कारणों में से एक कारण इस उपन्यास में उपस्थित है। यहाँ अपराधी ने अपराध तो किया लेकिन उसका 'गुनाह बेलज्जत' श्रेणी में आ गया।

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...