जब टकराये विकास और वतन
हिंसक - वेदप्रकाश शर्मा
हिंदी लोकप्रिय जासूसी कथा साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा अपनी सशक्त लेखनी के दम पर पाठकों के सर्वप्रिय कथाकार रहे हैं। वेदप्रकाश शर्मा अपने पात्रों के द्वारा एक अलग काल्पनिक संसार की रचना करते हैं और पाठक उसी अद्भुत काल्पनिक संसार को उपन्यास के माध्यम से पढकर आनंदित होता है। कुछ पाठकों को चाहे इनके उपन्यास वास्तविकता के नजदीक नजर नहीं आते, यह सत्य भी है, पर यह भी सत्य है की वेदप्रकाश शर्मा जीके उपन्यास कल्पना की एक नयी उड़ान होते हैं। जो इस संसार में वर्तमान में संभव नहीं उसी असंभव को अपने उपन्यासों में संभव कर के दिखाते हैं। प्रस्तुत उपन्यास 'हिंसक' जिसका द्वितीय भाग 'दरिंदा' है की यहाँ संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत है।
'हिंसक' उपन्यास की कथावस्तु का आरम्भ एक भारतीय वैज्ञानिक से होता है जो अमेरिका से भारत लौटता है लेकिन भ्रष्ट मानसिकता के सहयोगियों के चलते हुये वह गहरी मुसीबतों में फंस जाता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय अपराधी सिंगही, जो विश्व विजेता बनने ने स्वप्न देखता है। एक अद्भुत आविष्कार के साथ उपन्यास में उपस्थित है। लेकिन सिंगही जानता है उसके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट जासूस सम्राट विजय है। इसलिए सिंगही विश्व विजय के लिए सबसे पहले विजय को ही रास्ते में से हटाने की बात सोचता है। इसके लिए वह सहारा लेता है अपने शिष्य वतन का। वतन जो की चमन नामक देश का स्वामी है और अहिंसा का पुजारी है।
सिंगही एक साथ कई चालें चलता है।
- उसे विश्व विजेता बनना है।
- उसे विजय को रास्ते से हटाना है।
- उसे अहिंसा के पुजारी वतन को 'हिंसक' बनाना है।
- उसे वतन और विकास का आपसे में टकराना भी है।
- उसे विजय को रास्ते से हटाना है।
- उसे अहिंसा के पुजारी वतन को 'हिंसक' बनाना है।
- उसे वतन और विकास का आपसे में टकराना भी है।
और बहुत हद तक सिंगही अपने कार्य में सफल भी होता है। जब विजय के अपहरण के पश्चात वतन और विकास हिंसक दरिंदे बन कर आप में टकराते हैं। एक मात्र हिंसा में विश्वास रखता है तो दूसरा अहिंसा का पुजारी है।
वहीं उपन्यास में अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे भी उपस्थित है और विश्व सम्राज्ञी बनने की चाहत रखने वाली जैक्सन भी। दोनों का किरदार उपन्यास में विशेष भूमिका रखता है।
वेदप्रकाश शर्मा के कुछ उपन्यास ऐसे हैं जो अंतरराष्ट्रीय जासूस और अपराधी वर्ग से संबंधित हैं। इन उपन्यासों में कथा की बजाय एक्शन पर विशेष ध्यान रखा जाता है। यह भी एक एक्शन प्रधान उपन्यास है। लेकिन यहाँ एक्शन ने अतिरिक्त कहानी भी एक हद तक सार्थक है। एक्शन उपन्यासों में ज्यादातर कहानी को गौण रखा जाता है, लेकिन यहा प्रथम भाग में कुछ पात्रों की वजह से कहानी में आनंद आता है। हालांकि आगामी भाग में यह पात्र कितने सार्थक नजर आते हैं यह कहना अभी संभव नहीं है।
उपन्यास में विजय की बात करें तो उसका किरदार कुछ कम हो गया है। वैसे तो विजय तीव्र बुद्धि का व्यक्ति है लेकिन यहाँ उसका अपहरण हो जाता है। पाठकों के लिए यह पठनीय होगा की आखिर विजय जैसे व्यक्ति का अपहरण कैसे हो गया।
उपन्यास में विजय के अपहरण के पश्चात वतन और विकास का टकराव दिखाया गया है। दोनों ही शक्तिशाली हैं। हार मानने वाले है नहीं। तो इस टकराव का अंत भी रोचक है।
इसके अतिरिक्त सिंगही है जो उपन्यास का मुख्य खल पात्र है। उसी की शातिर चाल के सब शिकार बनते हैं।
प्रिंसेज जैक्शन और अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे भी अपनी कलाओं के साथ उपस्थित हैं। यहाँ प्रिंसेज जैक्शन अलफांसे के सामने कमजोर नजर आती है।
अभी दो और विशेष पात्र रह गये। एक तो विकास का साथी धनुष्टकार और द्वितीय वतन का साथी बकरा अपोलो।
उपन्यास में कुछ जगह धनुष्टकार को वतन का भाई बताया गया है। दोनों भाई किस तरह थे यह कहीं कंफर्म नहीं होता।
कुछ रोचक संवाद
- विकास हवा के उस बवण्डर का नाम है जो तूफान बनकर आता है और अपने पीछे अपने जाने के निशान छोड़कर आगे निकल जाता है।
वेदप्रकाश शर्मा द्वारा लिखित 'हिंसक' उपन्यास एक्शन प्रधान उपन्यास है। जिसमें ब्रह्मांड के अपराधी सिंगही के कारनामे और वतन- विकास की खतरनाक टक्कर दर्शायी गयी है।
वेदप्रकाश शर्मा जी पाठकों और विजय-विकास को पसंद करने वाले पाठकों के लिए यह उपन्यास रोचक है।
हिंदी लोकप्रिय जासूसी कथा साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा अपनी सशक्त लेखनी के दम पर पाठकों के सर्वप्रिय कथाकार रहे हैं। वेदप्रकाश शर्मा अपने पात्रों के द्वारा एक अलग काल्पनिक संसार की रचना करते हैं और पाठक उसी अद्भुत काल्पनिक संसार को उपन्यास के माध्यम से पढकर आनंदित होता है। कुछ पाठकों को चाहे इनके उपन्यास वास्तविकता के नजदीक नजर नहीं आते, यह सत्य भी है, पर यह भी सत्य है की वेदप्रकाश शर्मा जीके उपन्यास कल्पना की एक नयी उड़ान होते हैं। जो इस संसार में वर्तमान में संभव नहीं उसी असंभव को अपने उपन्यासों में संभव कर के दिखाते हैं। प्रस्तुत उपन्यास 'हिंसक' जिसका द्वितीय भाग 'दरिंदा' है की यहाँ संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत है।
'हिंसक' उपन्यास की कथावस्तु का आरम्भ एक भारतीय वैज्ञानिक से होता है जो अमेरिका से भारत लौटता है लेकिन भ्रष्ट मानसिकता के सहयोगियों के चलते हुये वह गहरी मुसीबतों में फंस जाता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय अपराधी सिंगही, जो विश्व विजेता बनने ने स्वप्न देखता है। एक अद्भुत आविष्कार के साथ उपन्यास में उपस्थित है। लेकिन सिंगही जानता है उसके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट जासूस सम्राट विजय है। इसलिए सिंगही विश्व विजय के लिए सबसे पहले विजय को ही रास्ते में से हटाने की बात सोचता है। इसके लिए वह सहारा लेता है अपने शिष्य वतन का। वतन जो की चमन नामक देश का स्वामी है और अहिंसा का पुजारी है।
सिंगही एक साथ कई चालें चलता है।
- उसे विश्व विजेता बनना है।
- उसे विजय को रास्ते से हटाना है।
- उसे अहिंसा के पुजारी वतन को 'हिंसक' बनाना है।
- उसे वतन और विकास का आपसे में टकराना भी है।
- उसे विजय को रास्ते से हटाना है।
- उसे अहिंसा के पुजारी वतन को 'हिंसक' बनाना है।
- उसे वतन और विकास का आपसे में टकराना भी है।
और बहुत हद तक सिंगही अपने कार्य में सफल भी होता है। जब विजय के अपहरण के पश्चात वतन और विकास हिंसक दरिंदे बन कर आप में टकराते हैं। एक मात्र हिंसा में विश्वास रखता है तो दूसरा अहिंसा का पुजारी है।
वहीं उपन्यास में अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे भी उपस्थित है और विश्व सम्राज्ञी बनने की चाहत रखने वाली जैक्सन भी। दोनों का किरदार उपन्यास में विशेष भूमिका रखता है।
वेदप्रकाश शर्मा के कुछ उपन्यास ऐसे हैं जो अंतरराष्ट्रीय जासूस और अपराधी वर्ग से संबंधित हैं। इन उपन्यासों में कथा की बजाय एक्शन पर विशेष ध्यान रखा जाता है। यह भी एक एक्शन प्रधान उपन्यास है। लेकिन यहाँ एक्शन ने अतिरिक्त कहानी भी एक हद तक सार्थक है। एक्शन उपन्यासों में ज्यादातर कहानी को गौण रखा जाता है, लेकिन यहा प्रथम भाग में कुछ पात्रों की वजह से कहानी में आनंद आता है। हालांकि आगामी भाग में यह पात्र कितने सार्थक नजर आते हैं यह कहना अभी संभव नहीं है।
उपन्यास में विजय की बात करें तो उसका किरदार कुछ कम हो गया है। वैसे तो विजय तीव्र बुद्धि का व्यक्ति है लेकिन यहाँ उसका अपहरण हो जाता है। पाठकों के लिए यह पठनीय होगा की आखिर विजय जैसे व्यक्ति का अपहरण कैसे हो गया।
उपन्यास में विजय के अपहरण के पश्चात वतन और विकास का टकराव दिखाया गया है। दोनों ही शक्तिशाली हैं। हार मानने वाले है नहीं। तो इस टकराव का अंत भी रोचक है।
इसके अतिरिक्त सिंगही है जो उपन्यास का मुख्य खल पात्र है। उसी की शातिर चाल के सब शिकार बनते हैं।
प्रिंसेज जैक्शन और अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे भी अपनी कलाओं के साथ उपस्थित हैं। यहाँ प्रिंसेज जैक्शन अलफांसे के सामने कमजोर नजर आती है।
अभी दो और विशेष पात्र रह गये। एक तो विकास का साथी धनुष्टकार और द्वितीय वतन का साथी बकरा अपोलो।
उपन्यास में कुछ जगह धनुष्टकार को वतन का भाई बताया गया है। दोनों भाई किस तरह थे यह कहीं कंफर्म नहीं होता।
कुछ रोचक संवाद
- विकास हवा के उस बवण्डर का नाम है जो तूफान बनकर आता है और अपने पीछे अपने जाने के निशान छोड़कर आगे निकल जाता है।
वेदप्रकाश शर्मा द्वारा लिखित 'हिंसक' उपन्यास एक्शन प्रधान उपन्यास है। जिसमें ब्रह्मांड के अपराधी सिंगही के कारनामे और वतन- विकास की खतरनाक टक्कर दर्शायी गयी है।
वेदप्रकाश शर्मा जी पाठकों और विजय-विकास को पसंद करने वाले पाठकों के लिए यह उपन्यास रोचक है।
उपन्यास - हिंसक
लेखक - वेदप्रकाश शर्मा
द्वितीय भाग - दरिंदा
उपन्यास रोचक लग रहा है। आभार।
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