Friday 30 June 2023

568. जाल - विकास सी एस झा

क्राइम ब्राच का इंस्पेक्टर उलझा एक जाल में
जाल- विकास सी एस झा

ट्रिपल मर्डर की एक ऐसी गुत्थी, जिसके तारों में क्राइम ब्रांच का एक ऑफिसर चंद्रशेखर त्यागी, खुद उलझ बैठा, और ऐसा उलझा की पनाह मांग गया। लोभ, महत्वाकांक्षा और हवस की एक ऐसी कहानी जिसमें क़ातिल तक पहुंचना तमाम पुलिस और क्राइम ब्रांच के लिए निहायत दुश्वारियों भरा था। ये कहानी क्राइम ब्रांच के उस ऑफिसर, चंद्रशेखर त्यागी के खुद को पाक-साफ साबित करने और उस जद्दोजहद की कहानी है, जिसमें वो गले तक फंसा पड़ा था। ये कहानी एक ऐसी बेइंतहा हुस्न की मल्लिका उर्वशी कालरा की भी कहानी है जिसने पति के होते हुए भी पराये मर्दों से संबंध रखे, बाद में जिसका अंजाम खुद उसके कत्ल के तौर पर सामने आया, और फिर शुरू हुआ कत्ल का एक सिलसिला। क्या क़ातिल पकड़ा गया ? कौन था क़ातिल ? जानने के लिए पढ़ें ये रहस्यमयी कथानक-जाल

  विकास सी एस झा जी का नाम 'लाॅकडाउन' के समय उनकी रचना 'लाॅकडाउन एक उडान' के माध्यम से चर्चा में आया था। प्रथम रचना की सफलता के साथ ही विकास झा साहब लेखन को समर्पित हो गये।
    मेरे द्वारा विकास सी एस झा जी का पढा गया प्रथम उपन्यास 'जाल' है। जो कथानक के तौर पर जाल है जिसमें क्राइम ब्रांच का एक ऑफिसर उलझकर अपनी नौकरी तक गवा देता है।
 जाल उपन्यास का आरम्भ मुंबई के एक स्थान कर्जत से होता है जहाँ मुंबई क्राइम ब्रांच का ऑफिसर चन्द्रशेखर त्यागी अपने दोस्तों के साथ एंजोय कर रहा था। 
चंद्रशेखर त्यागी-  मुंबई क्राइम ब्रांच का एक दिलेर और जांबाज ऑफिसर, जिसने महज 27 साल की उम्र में ही अपनी सूझबूझ और कार्यकुशलता के बल पर अपने ढाई साल के छोटे से कार्यकाल में ही डिपार्टमेंट के अंदर अपने नाम का सिक्का जमा लिया है । आज की तारीख में चंद्रशेखर त्यागी, मुंबई क्राइम ब्रांच का एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर अपराधी पनाह माँग जाते हैं ।

Sunday 18 June 2023

567. नवाब मर्डर केस - राज भारती

और इस तरह मारे गये छोटे नवाब जी
नवाब मर्डर केस- राज भारती

नवाब स्टील रौलिंग कम्पनी के मालिक के बड़े नवाब साहब के शाहबजादे छोटे नवाब फारुख शेख साहब जरा रंगीन मिजाज आदमी थॆ। अपनी कम्पनी की लड़कियों को बहला-फुसला कर अपने फार्म हाउस ले जाना, उनके साथ मनमर्जी या जबरदस्ती के साथ अपनी विषय पूर्ति करना उनका शौक था। काम मनमर्जि से हो गया तो ठीक नहीं तो छोटे नवाब साहब जबर्दस्ती कर ही लेते थे।
    इसी के कामों के चलते एक दिन अपने फार्म हाउस पर छोटे नवाब साहब मरे हुये पाये गये। उनकी पीठ पर किसी ने खंजर ठक दिया था।
अब विषय यह था कि छोटे नवाब साहब का कत्ल किसने किया और क्यों किया?
खैर, क्यों किया यह तो बहुत जल्दी पता चल गया था पत किसने किया यह पता उपन्यास के अंत में चलता है।

नवाब मर्डर केस- राज भारती

              नवाब स्टील कम्पनी की एक कर्मचारी आरती तलवार प्रसिद्ध वकील अभय वर्मा से मिलती है। और वकील अभय वर्मा को बताती है की रात नवाब स्टील कम्पनी के मालिक बड़े नवाब का पुत्र फारूख शेख उसे धोखे से फार्म हाउस ले गया और उसके साथ गलत हरकत करने की कोशिश की, वासना का अंधा खेल खेलना चाहा पर वह किसी तरह वहाँ से बच कर निकल आयी।

Friday 16 June 2023

566. वतन‌ के आंसू- धीरज

1984 के आतंकवाद पर आधारित उपन्यास
वतन‌ के आंसू- धीरज

लोकप्रिय साहित्य के सुनहरे समय में लगभग प्रकाशकों ने अपने -अपने छद्म लेखक बाजार में उतारे थे। इन छद्म लेखकों के पीछे किन लोगों की मेहनत होती थी, कैसी कहानियाँ होती आदि चर्चा तो फिर कभी लेकिन प्रस्तुत उपन्यास के मूल लेखक और कहानी की पृष्ठभूमि (जिस पर बहुत कम लिखा गया है) पर चर्चा हम इसी आर्टिकल में करेंगे।
वतन‌ के आंसू- धीरज

    राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली द्वारा प्रकाशित छद्म लेखक 'धीरज' का एक 'वतन के आंसू' पढने को मिला। उपन्यास की कथावस्तु स्वयं में अद्वितीय है क्योंकि इस विषय में लोकप्रिय साहित्य में, मेरी जानकारी अनुसार तो नहीं लिखा गया‌। हाँ, यह एक सज्जन ने बताया था कि इसी विषय पर प्रेम बाजपेयी जी ने एक उपन्यास लिखा था। यह भी अच्छी बात है।
         अब बात करते हैं धीरज द्वारा लिखित 'वतन के आंसू' की। यह एक सत्य घटना पर आधारित एक थ्रिलर उपन्यास है।
        नब्बे का दशक भारत और विशेष कर पंजाब के लिए एक काला दौर था। पंजाब में आतंकवाद चरम पर था। सन् 1984 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या इन चरमपंथियों द्वारा की गयी और उसके बाद दिल्ली में जो सिक्खों के साथ नरसंहार हुआ वह अमानवीय कृत्य था। आतंकवादियों का शीर्ष नेतृत्व खत्म हो चुका था लेकिन बाद में छोटे-छोटे समूहों में विभक्त आतंकवादियों ने आतंकी घटनाओं का कृत्य जारी रखा था।
  'वतन के आंसू' की पृष्ठभूमि में आतंकवाद है और कहानी है दिल्ली की। जहाँ एक आतंकी संगठन बम विस्फोट द्वारा निर्दोष लोगों की जान ले लेते हैं।
आतंकी सिखों के विरोध में एक अज्ञात 'कनपटी मार' पैदा होता है जो सिख लोगों को निशान बनाता है और कनपटी पर प्रहार कर जान ले लेता है।

Thursday 1 June 2023

565. मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया

एक वकील जब फंसा कत्ल केस में
मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हिंदी भाषी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य किसी राज्य का नाम लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में आता है तो वह है गुजरात। एक समय था जब गुजरात से 'गाइड' जैसी प्रसिद्ध पत्रिका का प्रकाशन होता था। वहीं सूरत से 'साहित्य संगम' नामक प्रकाशन से भी जासूसी उपन्यास प्रकाशित होते रहे हैं।
   साहित्य संगम से जेठालाल सोमैया नामक लेखक की जानकारी मिलती है, जिन्होंने 'लाट साहब' नाम से भी उपन्यास लिखे हैं। इनका प्रसिद्ध नायक एडवोकेट संदीप सेन है।
    जेठालाल सोमैया द्वारा रचित 'मृगनयनी' उपन्यास इन दिनों पढा, यह एक रोचक और तीव्रगति का मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है।

मृगनयनी- जेठा लाल सोमैया

धंधे में तेजी की तरह मंदी के दिन भी आते हैं। पुरजोश में चलते व्यवसायों में भी कभी-कभी मंदी की बयार बहने लगती है। तेजी-मंदी का यह नियम कमोबेश लगभग सभी व्यवसाय को लागू होता है।
       जब हर धंधे में मंदी आती है तो मुम्बई जैसा शहर भी इस मंदी से नहीं बच सकता और इस मुंबई शहर का प्रसिद्ध वकील संदीप सेन भी मंदी से नहीं बच सका।

एडवोकेट सन्दीप सेन की भी इन दिनों यही हालत थी । थोड़े से मामूली केसों के अलावा कोई खास काम उनके पास नहीं था। रीटा कदम उनकी नौजवान और चंचल सेक्रेटरी भी आफिस में ज्यादा काम न होने के सबब से महीने भर की छुट्टी गई थी। और सेन साहब खुद भी शाम का समय गुजारने के लिए रेडियो क्लब में पहुँचने लगे थे।

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...