Friday 30 December 2016

12. वन नाइट@द काॅल सेंटर- चेतन भगत

'five point someone' के बाद चेतन भगत का दूसरा उपन्यास है ''one night @the call center'।
जहां इनका प्रथम उपन्यास IIT करने वाले तीन विद्यार्थियों की कहानी कहता है तो वहीं इनका दूसरा उपन्यास 'one night @the call center' एक काॅल सेंटर में काम करने वाले पांच युवाओं की कहानी कहता है।
  चेतन का प्रस्तुत उपन्यास गुडगाँव के एक काॅल सेंटर में कार्यरत पांच युवाओं की एक रात की कहानी कहता है। यह रात उनकी अन्य रातों से अलग भी है।
  पाँच युवा और एक बुजुर्ग को आधार बना कर लिखे गये इस उपन्यास में मौज-मस्ती करने वाले उन युवाओं की कहानी है जो अंदर से टूट गये हैं। पर संघर्षरत हैं।
उपन्यास के पात्र-
इस उपन्यास का मुख्य किरदार है श्याम जो इस उपन्यास का सूत्रधार भी है‌।
इसके अलावा इस में श्याम के साथ काम करने वाले मित्र है, व्रुम, राधिका, प्रियंका, ईशा, शैफाली, कर्नल अंकल, बाॅस बख्शी।
उपन्यास का एक महत्वपूर्ण व विशेष पात्र है वह है भगवान।
इन पात्रों के अलावा अन्य कई जो उपन्यास की कथा को आगे बढाने में सहायक है।
पात्र चरित्र चित्रण-
  उपन्यास के सभी पात्र सशक्त उपन्यास की कथा की कथा को आगे ले जाने में सहायक हैं।
जहां श्याम कहानी का सूत्रधार व नायक है, वहीं व्रुम, ईशा, राधिका, प्रियंका आदि श्याम के सहयोगी हैं, पर कहानी के विशेष पात्र। जिनकी अपनी-अपनी एक कहानी ।

संवाद-
उपन्यास के संवाद उपन्यास की गति को तीव्रता प्रदान करये हैं और पात्रों का वास्तविक चरित्र उभारने में सहायक हैं।
व्रुम की मानसिक स्थिति का चित्रण इस कथन से होता है-" ..माॅम और डैड ...वे एक-दूसरे से इतनी नफरत क्यों करते हैं?"
व्रुम कठिन परिस्थितियों में भी हार मानने वाला नहीं पर उसके हृदय में माँ-बाप का अलग होना चुभता है।
राधिका काॅल सेंटर में काम करने के साथ-साथ माॅडलिंग की कोशिश करती है, पर वह समाज व जीवन के एक अँधेरे पक्ष को भी जानती है- "सभी को दर्द महसूस होता है, क्योंकि सभी की जिंदगी में एक अँधेरा पक्ष होता है।"
यह पंक्ति उपन्यास के सभी पात्रों पर खरी उतरती है, क्योंकि सभी के जीवन में एक अँधेरा पक्ष और सभी पात्र उसी से जूझते हैं।
पर उपन्यास का महत्वपूर्ण संवाद वाला अंश है भगवान की काॅल का आना। वह एक काॅल जो उपन्यास के सभी पात्रों को उस अँधेरे से संघर्ष करने की इच्छाशक्ति प्रदान करती है।
कथानक-  उपन्यास की मूल कथा काॅल सेंटर में काम करने वाले युवाओं की कथा, जो जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहते हैं पर परिस्थितियों के आगे कोई निर्णय लेने में अक्षम में दूसरी तरफ काॅल सेंटर में उनका बाॅस बख्शी उनकी इस मजबूरी का फायदा उठाता है। पर अंत में भगवान की एक काॅल से परिस्थितियाँ बदल जाती है।
  इसके अतिरिक्त उपन्यास में श्याम व प्रियंका की प्रेम कहानी है जो समाप्त होने जा रही है। ईशा को माॅडलिंग की दुनिया से कटु यथार्थ का पता चलता और वह मन से हार चुकी है।
प्रेम विवाह करके जीवन में उलझी राधिका है तो परिवार से बाहर किये गये मिलिटरी अंकल है।
अगर बात परिवार की चली है तो व्रुम के दिल-दिमाग में भी अपने परिवार का बिखराव उपस्थिति है।
  वह कहता भी है -" जिंदगी को झेलने की बजाय उसे खत्म कर देना आसान है।"
विशेष
उपन्यास का विशेष अंश है भगवान का काॅल -" याद रखो...परम मालिक मैं ही हूँ । और मैं तुम्हारे साथ हूँ। तो फिर तुम किससे डरते हो।"
उपन्यास का नाकारात्मक पक्ष- इस उपन्यास में अनुवाद का काम अच्छा नहीं लगा, क्योंकि अनुवादक मात्र शब्दों का अनुवाद करने में लगा रहा जिसके कारण भाव पक्ष कमजोर हो गया।
लेखक की एक विशेष कमी यह रही की वो एक जगह अश्लील वेब साइट के एड्रेस लिख गया, जिनकी कोई जरूरत नहीं थी। यह तो सीधे-सीधे पाठक को भी कह गया आप उन साइट पर अश्लील सामग्री देख सकते हो। यह तो चेतन भगत की निकृष्ट मानसिकता का परिचय है।
  समीक्षक- हमारे अंदर एक शक्ति है, की हम अच्छा कार्य कर सकते हैं। बस इसके लिए हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए।
यह उपन्यास पढने योग्य है, जो की हमें सफलता प्राप्त करने का तरीका भी बताती है।
        ..........
उपन्यास- वन नाईट @द काॅल सेंटर (one night @the call center)
लेखक- चेतन भगत
प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन www.prabhatbooks.com
पृष्ठ-240.
मूल्य-125₹

11. दो स्टेट्स - चेतन भगत

 एक नकारात्मक उपन्यास की कथा

चेतन भगत के उपन्यास '2स्टेट्स' में एक प्रेमकथा है। दो IIT करने वाले विद्यार्थी एक प्रेम सूत्र में बंध जाते हैं, लेकिन इस प्रेम को शादी तक पहुंचाने में जो समस्या आती है वह इस उपन्यास की मूल कथा है।
  दिल्ली के एक पंजाबी परिवार का लङका और तमिलनाडु के एक ब्राह्मण परिवार की कन्या। दो अलग-अलग राज्य, दो अलग-अलग संस्कृतियां इन दोनों को आधार बनाया है उपन्यासकार ने।
   उपन्यास '2स्टेट्स' के अंतिम पृष्ठ पर लिखे कथन इस कथा को बयान करते हैं। 

     "दुनियां भर में लव मैरिज का फंडा बहुत सिंपल होता है।
लङका लङकी को प्यार करता है, लङकी लङके को प्यार करती है। दोनों शादी कर लेते हैं।
लेकिन इंडिया में कुछ और स्टेप्स होती है-
लङका लङकी को प्यार करता है, लङकी लङके को प्यार करती है।
लङकी की फैमिली को लङके को प्यार करना होता है।
लङके की फैमिली को लङकी को प्यार करना होता है।
लङकी की फैमिली को लङके की फैमिली को प्यार करना होता है।
लङके की फैमिली को लङकी की फैमिली से प्यार करना होता है।
लङका लङकी अब भी एक दूसरे को प्यार करते हैं। दोनों शादी कर लेते हैं।
   2 स्टेट्स में आपका स्वागत है। यह क्रिश और अनन्या की कहानी है, जो भारत के दो अलग-अलग हिस्सों से हैं। दोनों एक-दूसरे को बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते है। जाहिर है, उनके पैरेंट्स को उनकी शादी से एतराज है। अपनी लव स्टोरी को लव मैरिज में बदलने के लिए दोनों को एक बहुत मुश्किल लङाई लङनी पङती है, क्योंकि लङना और बगावत करना तो आसान है, लेकिन किसी को राजी करना कठिन है।
क्या वे दोनों कामयाब हो सकेंगे।
   यह किस्सा है उपन्यास '2 स्टेट्स' का।

Thursday 29 December 2016

10. रेवोल्यूशन 2020- चेतन भगत

            रेवोल्यूशन 2020
       लव, करप्शन, एम्बिशन
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चेतन भगत के उपन्यास 'रेवोल्यूशन 2020' की कहानी वाराणसी शहर के तीन विद्यार्थीयों की कहानी।
  उपन्यास के पिछले पृष्ठ पर लिखे कथन देख लिजिए-
'एक समय की बात है। भारत के एक छोटे से कस्बे में दो इंटेलिजेंट लङके रहते थे।
एक अपनी इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अमीर बनना चाहता था, दूसरा रेवोल्यूशन(क्रांति) करना चाहता है।
लेकिन प्राॅब्लम यह थी कि वे दोनों एक ही लङकी को प्यार करते थे।
   यह बचपन के तीन दोस्तों गोपाल, राघव व आरती की कहानी है, जो वाराणसी में सफलता, प्यार और खुशी तलाशने की जद्दोजहद करते हैं। बहरहाल, भष्टों को आगे बढाने वाले अन्यायपूर्ण समाज में ये सब हासिल कर पाना आसान नहीं है।
गोपाल व आरती दोनों अच्छे दोस्त हैं। जहां गोपाल आरती गोपाल को मात्र अपना दोस्त मानती है, वहीं गोपाल आरती को अपना प्यार- "वाराणसी के सभी साधुओं और पुजारियों की कल्पना कीजिए और उनकी तमाम पूजा-भक्ति को एक साथ रख दीजिए। मैं उससे उतना ही प्यार करता हूँ।"
  लेकिन इस प्यार का तिकोण है इनका सहपाठी दोस्त राघव।
जब AIEEE के एग्जाम में इंटेलिजेंट राघव उत्तीर्ण हो जाता है व स्वयं को लूजर(मुझे तो इस शब्द पर पता नहीं क्यों आपत्ति है-समीक्षक) मानने वाला गोपाल अनुत्तीर्ण।
तब अपने बीमार पिताजी के सपने को साकार करने के लिए IIT के गढ कोटा(राजस्थान) तैयारी करने आता है।
  कोटा वाला अध्याय इस उपन्यास का महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय एक ओर जहां कोटा में परपतवार की तरह पैदा हुये कोचिंग सेंटर की सत्यता बयान करती है, कैसे रुपय लूटने का धंधा चलता है। कोचिंग के नाम पर अंधी लूट का सार्थक वर्णन है। वहीं इस अध्याय में आरती गोपाल को छोङ कर राघव से प्यार करने लग जाती है।
गोपाल इस सदमें को सहन नहीं कर पाता और टूट जाता है।
जिसका इस दुनिया में अपने पिताजी व आरती के आलावा कोई नहीं।
  उस में से आरती का बदल जाना गोपाल का जीवन ही बदल देता है। 
प्यार आप का जीवन बना सकता है तो बर्बाद भी कर सकता है। यह अध्याय पाठक की आँखों का पानी सूखने नहीं देता।
  गोपाल से आरती का अलग होना फिर गोपाल का पुनः असफल होना और इस सदमें में गोपाल के पिताजी की मृत्यु हो जाना।
अब गोपाल अकेला है, असफल, न दोस्त न प्यार। अगर कुछ है तो वो लेनदार है खङे हैं जिनसे पैसा लेकर गोपाल के पिताजी ने गोपाल की शिक्षा पर खर्च किये थे॥
  एक बार पुनः समय बदलता है आरती पुनः गोपाल के नजदीक आती है।
"तुम्हारी कोई गर्लफ्रण्ड होनी चाहिये। प्यार अद्भुत होता है......।"- आरती ने कहा।
"प्यार करना केवल तभी अदभुत होता है, जब वह शख्स भी आपको प्यार करे, जिसे आप प्यार करते हैं।"
कितना दर्द है गोपाल के इन शब्दों में।
उपन्यास में ऐसे कई कथन मिलेंगे जो पाठक के मन को छू जायेंगे व उपन्यास के पात्रों का चरित्र-चित्रण करने में सक्षम है।
विधायक शुक्ला जी का एक कथन देखिए,-"सत्ता कोई सेब नहीं होता, जो सीधे आपकी गोद में आकर गिरे। सत्ता को उन लोगों से छीनना पङता है, जो उस पर पहले से ही कुण्डली जमाकर बैठे हैं।"
क्रांति के संबंध में पात्रों के कथन भी गजब हैं।
"क्रांति का मकसद क्या होगा?"
क्रांति करने वाले राघव का एक कथन देखिए-
"एक ऐसा समाज बनाना, जिसमें सत्ता से ज्यादा सच, न्याय, और समानता का सम्मान हो। ऐसे समाज ही सबसे ज्यादा तरक्की करते हैं।"
   आरती के प्यार में उलझे दो युवक एक परिस्थितियों से सबक लेकर अमीर बनना चाहता है शायद उसे अपना प्यार मिल जाये, दूसरा परिस्थितियां बदलना चाहता है। इन दोनों के बीच है आरती।
पूरे उपन्यास में एकमात्र एक अंतरंग दृश्य को छोङकर सब रोचक, भावुक व पठनीय है।
उपन्यास की भाषा शैली सरल, सहज व प्रवाहमय है।
कुछ कथन आपको हमेशा याद रहेंगे व कथोपकथन उपन्यास के पात्रों का सजीव वर्ण करने वाले हैं।
  एक प्यार, शिक्षा व आर्थिक रूप से असफल युवक की प्रेमकथा पढने योग्य है।।
रेवोल्यूशन -क्रांति
लव- प्यार
क्रप्शन- भ्रष्टाचार
एम्बिशन- इच्छा
  ........      ............
उपन्यास - रेवोल्यूशन 2020
लेखक - चेतन भगत
प्रकाशक- रूपा पब्लिकेशन, दिल्ली
अनुवादक- सुशोभित शक्तावत।
मूल्य-225/-रुपये
पृष्ठ -338

Sunday 25 December 2016

9. फाइव पाॅइंट समवन- चेतन भगत

Five point someone - CHETAN BHAGAT
                .................................  .
'फाइव पाॅइंट समवन' चेतन भगत का  उपन्यास है। चेतन भगत अंग्रेजी के लेखक हैं और उनके उपन्यास युवावर्ग में काफी लोकप्रिय हैं। क्योंकि उनके उपन्यासों की कहानियां युवावर्ग पर ही केन्द्रित  होती हैं।
       प्रस्तुत उपन्यास 'five point someone' भी छात्रवर्ग की कहानी है, जिस पर राजुमार हिरानी की आमिर खान कृत फिल्म 'three idiots' बन चुकी है, हालाकि फिल्म व उपन्यास की मूल कहानी  वही है पर बाकी घटनाओं में बहुत विभिन्नता है। फिल्म में जितनी रोचकता है उपन्यास में उतनी नहीं।
   कहानी है IIT करने वाले तीन मित्रो रेहान, आलोक व हरि की। पूरी कहानी का सूत्रधार स्वयं आलोक है।
इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालॉजी के तीन फाईव पाॅइंटर विद्यार्थी जो इंस्टीट्यूट के कठोर वातावरण से किस प्रकार जूझते हैं व साबित करते है की रट्टा मारकर अच्छे अंक लाना वास्तविक सफलता नहीं है॥ 
 काॅलेज में पहुंचे तीनों मित्र IIT काॅलेज को एक मौज-मस्ती का काॅलेज मानकर आते है लेकिन IIT इंस्टीटयूट के कठोर वातावरण में स्वयं को स्थापित नहीं कर पाते।
  काॅलेज जीवन ही विद्यार्थी के मौज-मस्ती का समय होता है और उस पर IIT जैसा सख्त इंस्टीट्यूट आपके जीवन को निर्दयता से कुचल देता है।

Thursday 22 December 2016

08. तीन गायब- ओमप्रकाश शर्मा

जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा का जासूसी उपन्यास है 'तीन गायब'।
  'यूँ मामला महत्वपूर्ण भी था, और महत्वहीन भी था। एक तस्वीर .....मानो ऐसी तस्वीर जिसके दो रुख हों, एक और देखने से मानों तस्वीर में खरगोश दिखाई पङता हो और दूसरी और देखने पर शैतान और घृणित लकङबग्घा।'
ये है 'तीन गायब' उपन्यास का एक दृश्य।
छोटा सा शहर है गणेश नगर, जिसमें से एक ही परिवार के एक-एक कर के तीन सदस्य गायब हो जाते हैं।
और इल्जाम आता है भूतपूर्व वनमंत्री अजयश्री  पर। इल्जाम लगाने वाला है एक वर्तमान वनमंत्री सूरज सिंह।
विधानसभा अध्यक्ष के आगे वर्तमान मंत्री सूरज सिंह ने अपने क्षेत्र के एक नीलकण्ठ व्यक्ति का प्रार्थना पत्र रखा, जिसमें वर्णन था की उसकी बहन का अपहरण हो गया।
विधानसभा अध्यक्ष ने उक्त व्यक्ति नीलकण्ठ को स्वयं उपस्थित होने के लिए कहा।
वर्तमान मंत्री ने अागामी दिवस उक्त व्यक्ति को उपस्थित करने का वादा किया।
अागामी दिन।
वह व्यक्ति तो नहीं आया पर वनमंत्री सूरज सिंह पुनः एक पत्र के साथ प्रस्तुत हुये।
नये पत्र में वर्णन था वासुदेव नामक व्यक्ति का, पत्र में आरोप था कि पहले उसकी पत्नी, फिर उसके साले का अपहरण हो गया।
विधानसभा अध्यक्ष ने पुनः रस्म अदा करते हुये कहा की वासुदेव नामक व्यक्ति को कल यहां उपस्थित किया जाये।
पर अगले दिन वनमंत्री सूरज सिंह उसे भी विधानसभा अध्यक्ष के आगे उपस्थित नहीं कर पाये क्योंकि उसका भी अपहरण हो गया।
एक छोटा सा शहर गणेश नगर, एक-एक कर के तीन व्यक्ति गायब, पर पुलिस और प्रशासन कुछ नहीं कर पाया।
और तब तीन माह बाद आगमन होता है केन्द्रीय खूफिया विभाग के दो युवा जासूस बंदूक सिंह और जगन का।
तीन माह पुराने 'तीन गायब' केस को हल करने का उनका अपना अलग तरीका है।
तीन व्यक्तियों को गायब करने का आरोप है भूतपूर्व वनमंत्री अजयश्री पर और आरोप लगाने वाले हैं वर्तमान वनमंत्री सूरज सिंह।
क्या वास्तव में कोई तीन गायब हुये थे?
या यह एक राजनैतिक षङयंत्र था?
कौन था वास्तविक अपराधी?
सूरज सिंह या अजयश्री?
क्या वो तीन गायब वापस लौट पाये?
जिंदा या मुर्दा?
बंदूक सिंह और जगन क्या इस केस को हल कर पाये?
तीन गायब.......तीन माह बाद.......दो जासूस.......
इस रहस्य को कैसे हल करते हैं यह तो इस रोचक उपन्यास को पढ कर ही जाना जा सकता है।
पूरे उपन्यास में दोनों जासूस न तो कोई गोली चलाते हैं और न ही कोई मारपीट करते हैं, वह तो मात्र अपने अनुभव और दिमाग से जा पहुंचते है असली अपराधी तक।
उपन्यास में रोचकता है की दोनों जासूस एक-एक कङी को हल करते हुये असली अपराधी तक पहुंचे है।
तोप सिंह से कालिदास, कालिदास से रसीली, रसीली से कुंदन, कुंदन से सरोज, सरोज से मलखान सिंह और मलखान सिंह से असली अपराधी........तक।
एक लंबा जाल बिछा था तीन गायब से लेकर असली अपराधी के बीच लेकिन केन्द्रीय खूफिया विभाग के बंदूक सिंह और जगन भी आखिर अपराधी तक पहुंच ही गये।
आखिर क्यों तीन गायब हुये?
आखिर किसने तीन व्यक्ति गायब किये?
एक जासूसी उपन्यास के साथ-साथ दोनों जासूस मित्रों के कथन और कार्यशैली भी बहुत रोचक है जो पाठक को बाँधे रखती है।
ओमप्रकाश शर्मा की भाषा शैली की बात करें तो यह काफी सरल व रोचक है।
कथोपकथन भी संक्षिप्त व रोचक हैं।
रोचकता आप स्वयं पढ लीजिए -
"उसका नाम मिट्ठूराम हो या तोताराम अलबता उसे गंगाराम बोलना ही पङेगा।"
"दौलत का नशा शराब के नशे को काटता है।"
"राजनीतिज्ञ चाहे गली में बसता हो चाहे चौराहे पर, उसकी जङ नई दिल्ली में होती है।"
कहीं -कहीं संवाद सूक्ति बन गये हैं, जो उपन्यास की रोचकता को बढाते हैं
उपन्यास का समापन पाठक के समक्ष एक प्रश्न छोङ जाता है।
जगन के शब्दों में-
"गुरु कोई मजबूर अपराध करता है बात समझ में आती है, आवेश में झगङे, फौजदारी और हत्या हो जाती है, यह बात भी समझी जा सकती है, परंतु संपन्न व्यक्ति क्यों अपराध करते हैं.....।"

उपन्यास - तीन गायब

लेखक - ओमप्रकाश शर्मा
पृष्ठ -       192
प्रकाशक- जनप्रिय लेखक कार्यालय।

Thursday 15 December 2016

7. हिंदुस्तान हमारा- मिस्टर

             हिंदुस्तान हमारा - मिस्टर, उपन्यास

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मिस्टर का यह दूसरा उपन्यास पढने को मिला। उपन्यास काफी रोचक है, जो पाठक को कुछ हद तक बाँधे रखने में सफल रहा है, पर कई बार ऐसा अहसास होता है की कहानी एक जगह पर ठहर गयी हो।
इस उपन्यास का नायक स्वयं 'मिस्टर' है, जो एक बिजनेस मैन के साथ-साथ भारतीय सिक्रेट सर्विस के लिए काम करता है।
इस उपन्यास का आरम्भ एक तपन बोस नामक ऐसे युवक से होता है जो पुलिस हिरासत में है और उस पर दो व्यक्तियों की हत्या का आरोप है जिसमें एक इंस्पेक्टर भी है। युवक का दावा है की जब वह मुख्य आरोपी का नाम बतायेगा तो पूरा देश हिल जायेगा, पर उसका नाम वह अदालत में बतायेगा।  स्वयं युवक तपन बोस का कथन पढ लीजिएगा-   "हां ये सच है.....।" जिस्म पर नेवी ब्लु जींस तथा गहरे रंग की.........."मजूमदार और इंस्पेक्टर भैरों तनेजा की हत्या मैंने की है।".   
  
मिस्टर यह सब अपने घर पर टी.वी. पर देखता है। दूसरी तरफ मिस्टर को सिक्रेट सर्विस के चीफ की तरफ से आदेश मिलता है की वह तपन बोस नामक युवक की बातों में सच्चाई का बता लगाते।
इसी दौरान लगभग बारह वर्ष की एक बच्ची 'मीनू' द्वारा मिस्टर का अपहरण कर लिया जाता है जो की स्वयं को तपन बोस की छोटी बहन बताती है और अपने भाई को निर्दोष साबित करने की मुहिम पर लगी है। 

Wednesday 14 December 2016

06. एक कहानी जो मन को छू गयी

   मानवीय संवेदना की कहानी 'चिङिया'
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कुछ कहानियां होती हि ऐसी हैं जो अापके ह्रदय में उतर जाती है, जो भुलाये नहीं भूलती॥
ऐसी हि एक कहानी है "चिङिया" जो अाधुनिक महानगर के संवेदनाहीन संबंधों पर तीव्र प्रहार करती है।
कहानी का मुख्य पात्र स्वयं लेखक है जो एक गाँव के जीवंत परिवेश और संबंधों से जुङा हुआ है।
एक बार लेखक को एक महानगर में नौकरी मिल जाती है, और वह उस संवेदना हीन शहर का तीसरी मंजिल का सदस्य बन जाता है।
यहां लेखक ने बहुत हि खूबसूरती के साथ के शहर के लोगों कि तथाकथित सभ्यता का वर्णन किया है।
बीच वाली मंजिल के शर्मा जी के घर समारोह है और लेखक इंतजार करता है उसे कि भी पङोसी होने के नाते बुलाया जायेगा, पर इंतजार हि रह जाता है।
वहीं एक बार सताईस नंबर के फ्लैट वाले बुजुर्ग दिवाकर जी 'अंकल' शब्द पर नाराज हो जाते हैं।
हद तो तब हो नाती है जब यहाँ के लोग 'राम-राम' शब्द को पुराना बता कर नकार देते हैं।
तब लेखक लिखता है जब सङक पर खङा कुत्ता मुझे देखकर पूंछ हिला देता है तो मुझे आत्मीयता का अहसास होता है।
ऐसे शहर में रहना लेखक के लिए मुश्किल हो जाता है॥
लेखक के इस एकान्त को दूर करती है लेखक के कमरे में आने वाली चिङिया, जिससे लेखक भावनात्मक रिश्ता कायम हो जाता है और चिङिया कमरे में हि घोंसला बना लेती है।
लेकिन एक दिन लेखक का स्थानान्तरण अन्यत्र हो जाता है।
लेखक जब अपना सामान बांध रहा होता है, तब चिङिया उदास निगाहों से लेखक को देखती रहती है। चाहे चिङिया नासमझ है पर वो महसूस करती है कि लेखक शायद मुझसे दूर जा रहा है। स्वयं लेखक भी इस भावना को महसूस करता है, पर मजबूर है।
लेखक अपना सामान बांध कर नीचे रिक्शे में रख अाता है, और बाकी सामान लेने  के लिए पुनः कमरे अाता है तो स्तब्ध रह जाता है।
कमरे में चिङिया का घोंसला बिखरा पङा है और चिङिया उड गयी॥
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अाधुनिक समय के संवेदनहीन होगे संबंधों पर लिखी गयी एक मार्मिक कहानी है।
यह लेखक कि प्रथम कहानी है।
लेखन-ज्ञानप्रकाश विवेक
प्रथम प्रकाशन- दैनिक ट्रिब्यून, चंडीगढ।

5. कैरियर की राह पर चलना जरा संभल कर - रिजवान एजाजी

कैरियर की राह पर चलना जरा संभल कर- रिजवान एजाजी

20.8.2014 को EXAM देने श्री गंगानगर गया था।तब हर बार की तरह इस बार भी पुस्तक खरीदने बाजार चला गया।
काफी समय पूर्व मेरे एक मित्र ने मुझे एक पुस्तक दी थी,जो कि मैं भी आगे उपहार में दे चुका था।अब उस पुस्तक का नाम,लेखक का नाम कुछ भी याद नहीं था,लेकिन मुझे तलाश थी तो उसी पुस्तक की। वो पुस्तक तो नहीं मिली पर एक अन्य पुस्तक 'कैरियर की राह पर चलना जरा संभल कर' मिली।
   इस पुस्तक के लेखक हैं- रिजवान एजाजी।
हमने कैरियर संबंधी अनेक देशी-विदेशी लेखकों की पुस्तकें पढी होगी पर ये पुस्तक उन सब से अलग है।
  स्वयं लेखक महोदय लिखते है कि "अगर आप करोङपति की संतान नहीं हैं तो ये किताब पढे और अगर आप करोङपति की संतान हैं तो ये किताब जरूर पढें"
आप यहाँ कैरियर का अर्थ संक्षिप्त न लें। कृषि,व्यापार,विद्यार्थी,सूचना तंत्र IT,सरकारी-गैर सरकारी यां फिर आप किसी भी कार्य में लगे हो ये पुस्तक आपको सरल भाषा में सीखाती है कि अपने कार्य को कैसे आगे ले जाया जाये।
    यह पुस्तक अंग्रेजी लेखकों की तरहं मात्र प्रबंधन के सूत्र नहीं सिखाती ये हमे अपने कार्य के अतिरिक्त परिवार,समाज,संस्कृति और सभ्यता भी सीखाती है।
इस पुस्तक में सब संक्षिप्त रूप में दिया गया है, इस कमी को स्वयं लेखक भी स्वीकारता है।
पर इतना भी संक्षिप्त नहीं के हम समझ ना सकें।
ये पुस्तक प्रत्येक वर्ग हेतु उपयोगी है। जो हमें अपनी सरल,व्यावहारिक शब्दावली में जीवन के उपयोगी सूत्र बताती है। अर्थ कमाना,कमाने के तरीके, बचत के तरीके और सबसे बङी बात उसके उपयोग के तरीके।
ये पुस्तक हमें हमारे कमाये धन का मानवीय उपयोग करना भी सीखाती है,और धन और परिवार में समन्वय रखना भी सीखाती  है। 
अगर आप अंग्रेजी लेखकों की उच्च कोटी की पुस्तकों के शौकीन हैं तो लेखक की ये पुस्तक और जिंदगी जीने का अंदाज जरूर पढें।
    इस पुस्तक के अंत में रिजवान एजाजी द्वारा लिखित अन्य पुस्तकों का वर्णन भी है। और मुझे जिस पुस्तक की तलाश थी वह रिजवान एजाजी द्वारा ही लिखित पुस्तक थी, जिसका इस पुस्तक के अंत में वर्णन है। वह पुस्तक थी - जिंदगी जीने का अंदाज।

पुस्तक- कैरियर की राह पर चलना जरा संभल कर
लेखक-रिजवान एजाजी.
मूल्य-चालीस रूपये.
प्रकाशक-hillview publication pvt. ltd.



4. बूढी डायरी- अशोक जमनानी

          एक अनोखी बूढी डायरी
काल्पनिक डायरी- लेखक - अशोक जमनानी .................................................... ।
  इन दिनों जो किताब पढी वह है, अशोक जमनानी जी कि 'बूढी डायरी'।

यह पूर्णत: काल्पनिक डायरी है।  जिसमें डायरी लेखक अपनी स्वर्गीय पत्नी को संबोधित कर लेखन करता है। लेकिन यह कोई पारिवारिक कथा लेखन नहीं है, यह तो प्राचीनकालिन उस भारत का वर्णन है, जिसके कारण भारत कि समृद्ध संस्कृति का पता चलता है।
यह डायरी राष्ट्रकूट और कलचुरि शासन कि समृद्ध मूर्ति कला का जीवंत वर्णन करती है। वर्तमान के माध्यम से अतीत का गौरवशाली चित्रण है।
डायरी में पाठक को प्राचीन मूर्ति कला का चित्रण मिलेगा साथ में तात्कालिक सभ्यता का वर्णन भी लघुकथाओं के माध्यम से प्राप्त होगा।
डायरी में इन के अलावा जो तीसरा और विशेष वर्णन है, वह है एक विधुर व्यक्ति से एक पुत्र का अलगाव जो आपकी आंखों में आंसु ले आयेगा॥
वर्तमान के माध्यम से अतीत का वर्णन और फिर वर्तमान का चित्रण करती यह काल्पनिक डायरी पढने योग्य है।
160 पृष्ठ कि यह डायरी आपको जरा सा भी नीरस नहीं करेगी।
अगर बात करें लेखन शैली कि तो यहीं खूबी इस डायरी को पढने के योग्य बनाती है। लेखन का अंदाज जो पाठक को बांधे रखने में सक्षम है।
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रचना- बूढी डायरी
लेखक- अशोक जमनानी
पृष्ठ -160.
मूल्य-250रुपये।
email- aashok_jamnani@hotmail.com
www.ashokjamnani.com

3. इंकलाब- उपन्यास

        इंकलाब - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का
.................................  .....................
ख्वाजा अहमद अब्बास एक अच्छे फिल्मकार हैं और उतने हि अच्छे एक लेखक भी हैं।  इनकी कहानियां अक्सर पढने को मिल जाती हैं, लेकिन इनका उपन्यास पहली बार पढा॥
   भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर लिखा गया एक दिलचस्प उपन्यास है। एक युवा को केन्द्र में रख कर लिखा गया यह उपन्यास उस समय को पाठक के सामने एक रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है।
  एक मुस्लिम युवक जो गांधी जी को अपना अादर्श मानता है, लेकिन वह जिस माहौल, शिक्षण संस्थान में रहता है, वहाँ गांधी जी और आंदोलनकारियों को अच्छी नजर से नहीं  देखा जाता।
  एक युवक जो जलियांवाला बाग हत्याकांड,  असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रत्यक्षी है, जो गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविंग समझौते का स्टीक चित्रण करता है, पर एक इतिहासकार की नजर से नहीं, अपितु एक शिक्षित,आंदोलनकारी, पत्रकार युवा के दृष्टिकोण से। यही तथ्य इस उपन्यास को पढने में रोचक बनाता है।
हालांकि इस उपन्यास का कोई समापन नहीं है, और ये सन 1947 से पूर्व खत्म हो जाता है,पर पढनें में रोचक है॥उपन्यास - इंकलाब
लेखक- ख्वाजा अहमद अब्बास।
विषय - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ॥
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इस उपन्यास कि pdf प्रति निशुल्क उपलब्ध है।
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02. खुशवंत सिंह की प्रतिनिधि कहानियां

खुशवंत सिंह की प्रतिनिधि कहानियां।
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राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित खुशवंत सिंह की इक्कीस चुनी हुयी कहानियां पढने को मिली। खुशवंत सिंह की कहानियां साहित्यिक तो नहीं कही जा सकती लेकिन अपने कहने के ढंग से काफी रोचक जरूर हैं। इनमें साहित्यिकता की बौद्धिकता  न होकर हृदय की कोमलता है।
इस संग्रह की प्रथम कहानी 'कर्म' एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो स्वयं को अंग्रेजों के समकक्ष बनाये रखने का प्रयास करता है लेकिन एक दिन वही अंग्रेज लोग उसका आवरण उतार देते हैं, यह एक हास्य व रोचक कहानी है, इसी श्रेणी की अन्य कहानी है 'जल हिंदिया की प्रथम यात्रा'।
  'विष्णु का प्रतीक' व ' नास्तिक' दोनों कहानी धर्म व ईश्वर के अस्तित्व को रेखांकित करती है, दोनों ही सार्थक कहानियां है। वहीं 'मांडला की मेम साहब' पारलौकिक विषय पर लिखी गयी कहानी है।
इस संग्रह की अधिकतर कहानियों में कोई न कोई प्रेम प्रसंग अवश्य मिलता है, वहीं एक कहानी भी 'लंदन में एक प्रेम प्रसंग' शीर्षक से है।
कहानी 'साहब की बीवी' एक ऐसे दंपति की कहानी है जिसमें एक पति अपनी पत्नी से कोई संपर्क नहीं रख पाता और एक दिन पत्नी अपने पति का इंतजार करते हुये सदा-सदा के लिए सो जाती है।
अधिकतर कहानियां रोचक है, वहीं 'मिस्टर कंजूस और उनका चमत्कार' एक हास्य कथा है,और ऐसा हास्य 'जल हिंदिया की प्रथम यात्रा' के अंत में भी पाया जाता है।
इस संग्रह की कहानियां 'रेप', 'दंगा' व 'कुसुम' निकृष्ट रचनाएँ लगी।
'मरणोपरांत' स्वयं को आधार बना कर लिखी कहानी है, जिसमें स्वयं के मरण पश्चात् की मार्मिक कथा है।
कहानी 'ब्रह्म वाक्य' हमारे समाज की वास्तविक बयान करती एक अच्छी कहानी है। वहीं 'वह क्यों रुका रहा' कहानी भीष्म साहनी की कहानी 'वाग्चू' की याद ताजा कर देती है।
इस संग्रह में जो कहानी मुझे अच्छी लगी वो है 'कर्म', ब्रह्म वाक्य, जल हिंदिया की प्रथम यात्रा, दंगा।
मैंने एक बार पढा था कि खुशवंत सिंह उच्चवर्ग के लोगों के लेखक है, जिनके लेखन में साहित्य के नाम पर रोचकता व हल्की अश्लीलता पायी जाती है, यह धारणा इस संग्रह से पुष्ट होती है।
हालाकि इस संग्रह में अश्लीलता न के  बराबर है पर रोचकता जरूर है।

खुशवंत सिंह 15.08.1915 -- 20.03.2014
प्रकाशक- नीलकमल प्रकाशन

01. ट्रेनिंग स्कूल के परिंदे

       ट्रेनिंग स्कूल के परिंदे- उपन्यास समीक्षा
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हाल ही में अतिव्यस्तता के बीच उपन्यास पढा वो है, राजेन्द्र दूबे जी का 'ट्रेनिंग स्कूल के परिंदे''
उपन्यास का कथानक एक ट्रेनिंग स्कूल पर केन्द्रित है, वहां के कर्मचारीवर्ग में पनपी ईर्ष्या, द्वेष,कपट व तुच्छ राजनीति के साथ-साथ एक मासूम सी प्रेमकथा भी चलती है।
कहानी की सबसे बङी विशेषता यह है कि कहानी में कसावट है, पाठक इसे एक बैठक में पढना चाहेगा।
  जहां-जहां विभिन्‍न पात्रों में आपसी टकराव होता है, वहाँ-वहाँ रोचकता बढती जाती है।
हालाकि उपन्यास के मध्य भाग में उपन्यास के खलपात्रों से हटकर कहानी प्रेम मार्ग पर चली जाती है, और उपन्यास की गति धीमी हो जाती है। उपन्यास के अंत में वह रोचकता पुनः लौट आती है।
लेखक का यह प्रथम उपन्यास है, कहानी अच्छी है पर संशोधन की बहुत आवश्यक है, शाब्दिक गलतियाँ भी काफी है।
पृष्ठ संख्या 25 पर देखिएगा।
मिस्टर डे ने कहा- .....
मिस्टर चौहान ने कहा- .....
मिस्टर डे ने कहा- ....
मिस्टर चौहान ने कहा-  .....
मिस्टर डे ने कहा-   ........
दो व्यक्तियों की वार्तालाप में बार-बार इस प्रकार के शब्दों की पुनरावृति नीरसता पैदा करती है और लेखक ने यह गलती पूरे उपन्यास में की है।
  दूसरा उपन्यास के पात्रों के चेहरे के भाव कस कहीं भी चित्रण नहीं।
  लेखक ये दोनों गलतियाँ एक साथ सुधार सकता था।
इस प्रकार 'नोन-वेज' शब्द प्रत्येक जगह 'भेज' रूप में छपा है।
हालाँकि स्वयं लेखक ने भी स्वीकारा है कि उपन्यास में संशोधन की जरूरत है।
रेल मंत्रालय, भारत सरकार के 'प्रेमचंद पुरस्कार' से सम्मानित यह उपन्यास कथानक के तौर पर पाठक को निराश नहीं करेगा।
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उपन्यास -ट्रेनिंग स्कूल के परिंदे
लेखक - राजेन्द्र दुबे
पृष्ठ -248
मूल्य-सजिल्द-295, पेपर बैक-120/-रुपये
लेखक संपर्क -9431953410, 9046669043
          -rdrajenderadubey@gmail.com
विशेष - लेखक द्वारा सुविधानुसार निशुल्क प्रति भी पाठक को भेजी जा रही है॥

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...