Monday, 31 August 2020

372. बिजली के खंभों जैसे लोग- सूर्यनाथ सिंह

एक रोचक बाल रचना
बिजली के खंभों जैसे लोग - सूर्यनाथ सिंह

वह जून का महिना था। अमेरिका में वसंत का मौसम था। शनिवार का दिन। शाम के सात बजे थे।...
अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर के वैज्ञानिक लगातार सुपर कम्प्यूटर के परदे पर नजरें गडा़ए हुये थे। इक्कीस दिन तक चक्कर काटने के बाद डिस्कवरी अंतरिक्ष यान धरती पर उतरने वाला था..... 

     यह कहानी गुरु नामक एक छोटे से बच्चे की। जिनका नाम है एस. सुंदरस्वामी। डिस्कवरी के चालक दल की अगुआई भारतीय मूल के वैज्ञानिक एस. सुंदरस्वामी ने की थी।
       यह कहानी अंतरिक्ष विज्ञान पर आधारित है। अंतरिक्ष यान डिस्कवरी तो सकुशल लौट आया पर वह अपने साथ कुछ ऐसा लेकर लौटा जिसका किसी भी पता नहीं था। और उसी का परिणाम यह निकला की सुंदरस्वामी का बच्चा गुरू एक अतिआधुनिक तकनीक 'फ्लक्स' माध्यम से गायब हो गया।
         गुरु की आँखें खुली तो उसने खुद को चार-पांच लंबे चौडे़ए लोगों से घिरा पाया। उसने गर्दन उठाकर देखा। इतने लंबे आदमी उसने कभी नहीं देखे थे। कहीं किसी किताब में भी नहीं पढा। उनकी लंबाई बिजली के खंभों जितनी रही होगी। (पृष्ठ-16)
- गुरु गायब कैसे हुआ?
- 'फ्लक्स' तकनीक क्या है?
- गुरु को कैसे खोजा गया?
- अन्य ग्रह का पृथ्वी से क्या संबंध है?
- अन्य ग्रह के लोग पृथ्वी ग्रह के संपर्क में जैसे आये?
उक्त प्रश्नों को जानने के लिए यह बाल रचना पढनी होगी।

    इस रचना में एक अज्ञात ग्रह की सुंदर कल्पना की गयी। वहाँ के लोगों का रहन-सहन, संस्कृति आदि का रोचक वर्णन मिलता है। कुछ हास्यप्रद घटनाएं भी घटित होती हैं। जैसे बिजली के खंभों जैसे लोगों ने बीच छोटा सा गुरु, गुरु और सेलिना का हाथ चिपकना आदि।
       इस कृति में सुभाष राय के सुंदर चित्र भी आकर्षण का केन्द्र हैं। कहानी ले अनुरूप सुंदर चित्रों का निर्माण किया गया है।
        यह बाल रचना हमें एक अलग दुनिया की यात्रा करवाती है। आकर्षक चित्रों से सुसज्जित यह रचना बालकों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी पठनीय और रोचक है। पुस्तक के कागज का स्तर उच्च कोटि का है। जो कभी खराब नहीं होगा।
कहानी का अंत अचानक से किया गया लगता है। अभी एक दो पृष्ठ और आवश्यक थे।
मेरे विचार से बच्चों को यह पत्रिका अवश्य पढानी चाहिए ताकी वे अपनी कल्पना शक्ति का निर्माण कर सकें।

नाम-     बिजली के खम्भों जैसे लोग
लेखक-  सूर्यनाथ सिंह
प्रकाशक- नेशनल बुक ट्रस्ट
पृष्ठ- 81
मूल्य- 85₹

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