टोपाज का एक रोमांचक सफर
टोपाज- कंवल शर्मा
रवि पॉकेट बुक्स मेरठ से मैंने तीन उपन्यास मंगवाये थे। कंवल शर्मा जी का 'टोपाज', सुरेन्द्र चौधरी जी का 'प्रतिशोध' और जेम्स हेडली चेईज का अनुवादित 'शालीमार'(अनुवाद - हसन अलमास)।
सर्वप्रथम हम 'टोपाज' पर चर्चा करते हैं वैसे भी मुझे कंवल शर्मा जी के उपन्यास का इंतजार रहता है।
टोपाज शीर्षक देखते ही मन में ख्याल आता है टोपाज नाम क्यों? मेरे प्रस्तुत उपन्यास का नाम टोपाज है और इसके प्रकाश में आते ही मुझसे सबसे पहले यही सवाल हुआ कि ऐसा नाम रखने की वजह क्या है?
मेरा ईमानदाराना जवाब है कि कोई वजह नहीं। (लेखकीय से, पृष्ठ-18)
हालांकि ऐसी बात नहीं है, क्योंकि टोपाज तो आखिर टोपाज ही है। वैसे एक बात कहूँ मुझे तो आज से पहले यही पता था की टोपाज नाम से एक सेविंग ब्लेड आता है।
तो अब चले टोपाज की यात्रा पर...
अगर इंसान का बच्चा विपरीत हालात में जा फंसे तो उसे उनके आगे मजबूर होकर सरेण्डर नहीं कर देना चाहिये बल्कि कमर सीधी कर उन हालात का सामना करना चाहिये। (पृष्ठ-26)
ऐसा ही था वह- अट्ठाईस साल के लंबे गठीले और मजबूत बदन वाला नौजवान पीताम्बर सचदेवानी.......हरियाणा की करनाल जेल से हाल में रिहा हुआ था।
और एक था पीताम्बर का दोस्त- जग्गी- जिसका असली नाम जगदेव खाकड़ा था और जिसे उसके असली नाम से शायद ही कोई जानता था.....वो कोई पच्चीस साल का नौजवान था जो अपने पैदा होनर से लेकर आज तक केवल एक पेशे, जयरामपेशे, में था। (पृष्ठ-29)
और एक से दो और दो से चार का कारवां बनता गया।- "तुम्हारे पास एक टीम है जिसका हर मेम्बर अपनी किस्म के फन में माहिर है।"बेनिवाल बोला-" तुम्हारे पास प्लान आउट करने की काबिलियत है, इनके पास उस प्लान पर अमल करते हुए उसे कामयाब कर दिखाने का जज्बा है।"(पृष्ठ-192)
और कामयाब करना था एक प्लान को और प्लान क्या था- "क्या लूटना है?"
"टोपाज।"
" टोपाज?"
"एक रत्न।"
"ओह।"
"तो किसी रत्न पर हाथ डालना है।"
"किसी रत्न को नहीं बल्कि एक खास, खासुलखास रत्न पर ।"
"खासुलखास?"
"हाँ।"
"ऐसा क्या है उसमें?"
"उसे समझाने के लिए मुझे एक लंबी कहानी बतानी पड़ेगी।" (पृष्ठ-36)
और उस लंबी कहानी को जानने के लिए आपको कंवल शर्मा जी का उपन्यास टोपाज पढना ही होगा।
एक बार और स्पष्ट कर दूं लूट के नाम पर लगा होगा की यह वहीं कहानी है एक प्लान और फिर टोपाज को लूटना......अरे...अरे...ठहरो जनाब.....कहानी तो अभी बाकी है.....और बाकी ही नहीं यह तो दूर-दूर तक पसरी पड़ी है- जिस एक मिशन के तहत उसने राजस्थान के नागौर से अपना सफर शुरू किया था वो आगे उसे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा तो ले जा चुका था और अभी आगे इसका कोई ओर-छोर नहीं दिखता था।
हिमाचल से आगे, और आगे, वो उसे कहां ले जाने वाला था। (पृष्ठ-227)
यह तो था टोपाज का सफर। लेकिन यह कोई सामान्य सफर नहीं है। यह एक्शन और रोमांच का एक ऐसा सफर है जो एक निश्चित सोपान के पश्चात बदल जाता है। जब पाठक को महसूस होता है की 'टीम' अपने मुकाम पर पहुंच गयी तो अगले दृश्य में पता चलता है की 'टारगेट' तो अभी पहले से भी ज्यादा दूर है। यही उपन्यास में नयापन है और पाठक को कथानक से जोड़े रखता है।
उपन्यास में बात विशेष लगी वह है पात्रों का आगमन। एक पात्र, फिर दूसरा, फिर तीसरा यह क्रम चलता रहता है और मजे की बात तो यह है की पहला पात्र जितना दमदार है अंतिम पात्र भी उतना ही दमदार है।
कंवल शर्मा जी की एक विशेषता है और वह है उनकी संवाद शैली। संवाद उतनी अच्छे होते हैं की आप उनको जीवन में उतार सकते हो, प्रेरक कथन की जगह प्रयुक्त कर सकते हो।
कुछ उदाहरण देखें
- जिंदगी वैसी कहां गुजरती है जैसी हम उसे गुजारना चाहते हैं। (पृष्ठ-23)
-इंकलाब वो लाता है...जो अन्दर- बाहर से खुद इन्कलाबी हो। (पृष्ठ-27)
- दुनिया उनकी है जो संघर्ष करते हुये आगे बढते हैं। (पृष्ठ-27)
- दानिशमंद अपना दिल खुला रहता है, दिमाग खुला रखता है जुबान बंद रखता है। (पृष्ठ-89)
- नाकामयाबियाँ किसी जलजले की तरह हमारे इरादों के बुनियादों का इम्तिहान होती हैं।(पृष्ठ-197)
सिर्फ संवाद ही नहीं, वर्तमान यथार्थ को लक्ष्य कर लिखे गये कुछ परिच्छेद भी महत्वपूर्ण हैं।
आम आदमी मुल्क में इंसाफ के लिए सालो साल भटकता रहता है, वहीं बेईमान इसी सिस्टम में फैले करप्शन का फायदा उठाकर मजे से जुल्म करता जाता है। (पृष्ठ-138)
कंवल जी के उपन्यासों का कथानक बहुत रोचक होता है, तेज रफ्तार होता है। प्रस्तुत उपन्यास भी एक रोचक कथा पर आधारित है, हां प्रवाह मध्यम कहा जा सकता है लेकिन नीरस कहीं से भी नहीं है।
टोपाज एक रोमांचक यात्रा है, जिसमें एक्शन और रहस्य दोनों है। मनोरंजन का मसाला है और साथ में एक उम्मीद है इन पात्रों के आगामी कारनामे की।
एक पठनीय रचना है। उपन्यास- टोपाज
लेखक- कंवल शर्मा
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 253
टोपाज- कंवल शर्मा
रवि पॉकेट बुक्स मेरठ से मैंने तीन उपन्यास मंगवाये थे। कंवल शर्मा जी का 'टोपाज', सुरेन्द्र चौधरी जी का 'प्रतिशोध' और जेम्स हेडली चेईज का अनुवादित 'शालीमार'(अनुवाद - हसन अलमास)।
सर्वप्रथम हम 'टोपाज' पर चर्चा करते हैं वैसे भी मुझे कंवल शर्मा जी के उपन्यास का इंतजार रहता है।
टोपाज शीर्षक देखते ही मन में ख्याल आता है टोपाज नाम क्यों? मेरे प्रस्तुत उपन्यास का नाम टोपाज है और इसके प्रकाश में आते ही मुझसे सबसे पहले यही सवाल हुआ कि ऐसा नाम रखने की वजह क्या है?
मेरा ईमानदाराना जवाब है कि कोई वजह नहीं। (लेखकीय से, पृष्ठ-18)
हालांकि ऐसी बात नहीं है, क्योंकि टोपाज तो आखिर टोपाज ही है। वैसे एक बात कहूँ मुझे तो आज से पहले यही पता था की टोपाज नाम से एक सेविंग ब्लेड आता है।
तो अब चले टोपाज की यात्रा पर...
अगर इंसान का बच्चा विपरीत हालात में जा फंसे तो उसे उनके आगे मजबूर होकर सरेण्डर नहीं कर देना चाहिये बल्कि कमर सीधी कर उन हालात का सामना करना चाहिये। (पृष्ठ-26)
ऐसा ही था वह- अट्ठाईस साल के लंबे गठीले और मजबूत बदन वाला नौजवान पीताम्बर सचदेवानी.......हरियाणा की करनाल जेल से हाल में रिहा हुआ था।
और एक था पीताम्बर का दोस्त- जग्गी- जिसका असली नाम जगदेव खाकड़ा था और जिसे उसके असली नाम से शायद ही कोई जानता था.....वो कोई पच्चीस साल का नौजवान था जो अपने पैदा होनर से लेकर आज तक केवल एक पेशे, जयरामपेशे, में था। (पृष्ठ-29)
और एक से दो और दो से चार का कारवां बनता गया।- "तुम्हारे पास एक टीम है जिसका हर मेम्बर अपनी किस्म के फन में माहिर है।"बेनिवाल बोला-" तुम्हारे पास प्लान आउट करने की काबिलियत है, इनके पास उस प्लान पर अमल करते हुए उसे कामयाब कर दिखाने का जज्बा है।"(पृष्ठ-192)
और कामयाब करना था एक प्लान को और प्लान क्या था- "क्या लूटना है?"
"टोपाज।"
" टोपाज?"
"एक रत्न।"
"ओह।"
"तो किसी रत्न पर हाथ डालना है।"
"किसी रत्न को नहीं बल्कि एक खास, खासुलखास रत्न पर ।"
"खासुलखास?"
"हाँ।"
"ऐसा क्या है उसमें?"
"उसे समझाने के लिए मुझे एक लंबी कहानी बतानी पड़ेगी।" (पृष्ठ-36)
और उस लंबी कहानी को जानने के लिए आपको कंवल शर्मा जी का उपन्यास टोपाज पढना ही होगा।
एक बार और स्पष्ट कर दूं लूट के नाम पर लगा होगा की यह वहीं कहानी है एक प्लान और फिर टोपाज को लूटना......अरे...अरे...ठहरो जनाब.....कहानी तो अभी बाकी है.....और बाकी ही नहीं यह तो दूर-दूर तक पसरी पड़ी है- जिस एक मिशन के तहत उसने राजस्थान के नागौर से अपना सफर शुरू किया था वो आगे उसे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा तो ले जा चुका था और अभी आगे इसका कोई ओर-छोर नहीं दिखता था।
हिमाचल से आगे, और आगे, वो उसे कहां ले जाने वाला था। (पृष्ठ-227)
यह तो था टोपाज का सफर। लेकिन यह कोई सामान्य सफर नहीं है। यह एक्शन और रोमांच का एक ऐसा सफर है जो एक निश्चित सोपान के पश्चात बदल जाता है। जब पाठक को महसूस होता है की 'टीम' अपने मुकाम पर पहुंच गयी तो अगले दृश्य में पता चलता है की 'टारगेट' तो अभी पहले से भी ज्यादा दूर है। यही उपन्यास में नयापन है और पाठक को कथानक से जोड़े रखता है।
उपन्यास में बात विशेष लगी वह है पात्रों का आगमन। एक पात्र, फिर दूसरा, फिर तीसरा यह क्रम चलता रहता है और मजे की बात तो यह है की पहला पात्र जितना दमदार है अंतिम पात्र भी उतना ही दमदार है।
कंवल शर्मा जी की एक विशेषता है और वह है उनकी संवाद शैली। संवाद उतनी अच्छे होते हैं की आप उनको जीवन में उतार सकते हो, प्रेरक कथन की जगह प्रयुक्त कर सकते हो।
कुछ उदाहरण देखें
- जिंदगी वैसी कहां गुजरती है जैसी हम उसे गुजारना चाहते हैं। (पृष्ठ-23)
-इंकलाब वो लाता है...जो अन्दर- बाहर से खुद इन्कलाबी हो। (पृष्ठ-27)
- दुनिया उनकी है जो संघर्ष करते हुये आगे बढते हैं। (पृष्ठ-27)
- दानिशमंद अपना दिल खुला रहता है, दिमाग खुला रखता है जुबान बंद रखता है। (पृष्ठ-89)
- नाकामयाबियाँ किसी जलजले की तरह हमारे इरादों के बुनियादों का इम्तिहान होती हैं।(पृष्ठ-197)
सिर्फ संवाद ही नहीं, वर्तमान यथार्थ को लक्ष्य कर लिखे गये कुछ परिच्छेद भी महत्वपूर्ण हैं।
आम आदमी मुल्क में इंसाफ के लिए सालो साल भटकता रहता है, वहीं बेईमान इसी सिस्टम में फैले करप्शन का फायदा उठाकर मजे से जुल्म करता जाता है। (पृष्ठ-138)
कंवल जी के उपन्यासों का कथानक बहुत रोचक होता है, तेज रफ्तार होता है। प्रस्तुत उपन्यास भी एक रोचक कथा पर आधारित है, हां प्रवाह मध्यम कहा जा सकता है लेकिन नीरस कहीं से भी नहीं है।
टोपाज एक रोमांचक यात्रा है, जिसमें एक्शन और रहस्य दोनों है। मनोरंजन का मसाला है और साथ में एक उम्मीद है इन पात्रों के आगामी कारनामे की।
एक पठनीय रचना है। उपन्यास- टोपाज
लेखक- कंवल शर्मा
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 253
Hat trick,
ReplyDeleteAuthor best,
Critic best,
Publisher best.
Story best.
Ab to padhni padhegi
कंवल जी रचनाएँ पठनीय होती हैं।
Deleteकिताब के प्रति आकषर्ण जगाता रोचक लेख। जल्द ही यह उपन्यास पढ़ा जाएगा।
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