Thursday, 30 November 2023

बोलने वाली खोपड़ी- चंदर (आनंदप्रकाश जैन)

अदृश्य मानव का द्वितीय भाग
बोलने वाली खोपड़ी- चंदर (आनंदप्रकाश जैन)

चंदर द्वारा लिखित उपन्यास 'बोलने वाली खोपड़ी' एक शृंखला का भाग है जो 'अदृश्य मानव' सीरीज से जानी जाती है। 'अदृश्य मानव' सीरीज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित एक रोचक और क्रांतिकारी सीरीज है।
पाठक मित्रो, हमने 'अदृश्य मानव' उपन्यास के विषय में बात की थी, जहाँ कोटद्वार रियासत ध्वस्त कर दी जाती है। वहाँ के राजा और रानी सुरक्षित बच सके या नहीं कुछ पता नहीं चलता,  अदृश्य मानव के साथी प्रमोद का क्या हुआ, गोपालशंकर को एक ब्रिटिश सहयोगी जूली मिलती है, जैसे कुछ तथ्य अदृश्य मानव में अधूरे रह गये थे। प्रस्तुत उपन्यास 'बोलने वाली खोपड़ी' में हमें उन अधूरे प्रश्नों के उत्तर भी मिलेंगे और प्रस्तुत उपन्यास में रोचक कहानी भी।
  अदृश्य मानव उपन्यास में कोटद्वार रियासत ध्वस्त होने का बाद अंग्रेज सरकार और पण्डित गोपालशंकर को यह लगता है कि उन्होंने ने अदृश्य मानव को खत्म कर दिया परंतु उस घटना के चार वर्ष पश्चात अदृश्य मानव फिर जबरदस्त वापसी करता है।
उपन्यास का आरम्भ एक ज्वैलर्स के यहां डकैती से होता है और फिर पता चलता है की शहर में चार बड़ी डकैतियां हुयी है, जिनके पीछे अदृश्य मानव का हाथ। और अदृश्य मानव क्रांति के लिए अंग्रेजों के सहायक, धनपति लोगों को लूटना है।
'बड़ा बुरा समाचार है। आज से चार साल पहले मरा हुआ दानव आज फिर जी उठा है।' जॉन निकल्सन ने कहा।
  जब अदृश्य मानव के क्रांतिकारी साथी सक्रिय होते हैं तो अंग्रेज सरकार और पण्डित गोपालशंकर भी घबरा जाते हैं। वहीं अदृश्य मानव द्वारा इस बार पण्डित गोपालशंकर को सीधी चेतावनी दी जाती है-
'सारे हिन्दुस्तान में कितने आदमी काम करते हैं इसके बारे में तो हम लोगों को मालूम नहीं रहता। इतना मुझे मालूम है कि सिर्फ दिल्ली में दस हजार व्यक्ति जगह जगह अदृश्य मानव के एजेण्ट हैं । काम आरम्भ करने से पहले अदृश्य मानव ने भारी तैयारी की है। इस बार यह निश्चय किया गया है कि यदि पंडित गोपालशंकर बीच में टांग अड़ाऐंगे तो अंग्रेजों का ध्यान छोड़ कर सबसे पहले उन्हें ही दुनिया से उठाने का प्रयत्न किया जायेगा।'
   और फिर आरम्भ होता अदृश्य मानव और पण्डित गोपालशंकर के मध्य संघर्ष। जहाँ गोपालशंकर का उद्देश्य अदृश्य मानव को पकड़ना है वहीं अदृश्य मानव भारत की आजादी के लिए निरंतर संघर्षरत है। हालांकि अदृश्य मानव के कुछ साथी पकड़े भी जाते हैं लेकिन अदृश्य मानव अपनी वैज्ञानिक, अदृश्य योजना के तहत उनको आजाद करवा लेता है। उपन्यास में अदृश्य मानव द्वारा अपने साथियों को जेल से स्वतंत्र करवाने वाले दृश्य रोचक और पठनीय है। जहाँ तक की वह एक अदृश्य सूटकेस रखता हैऔर एक बार तो पुलिस कमिश्नर की कोठी को भी तहस नहस जर देता है। जेल में खुजली फैलाने वाला कारनामा भी रोचक है।
वहीं गोपालशंकर भी कम नहीं है वह भी अपने जैसे नौ हमशक्ल तैयार कर लेता है और अदृश्य मानव की खोज में उनको भेजता है। अदृश्य मानव को चकमा देने का यह तरीका भी रोचक है। जैसे पठान वाले कारनामे।
   उपन्यास में जो अंतिम संघर्ष चलता है वह है क्रांतिकारी माँ ज्वालादेवी को आजाद करवा, जो एक संघर्ष में पुलिस गिरफ्त में आ जाती है।
और द्वितीय संघर्ष है अदृश्य मानव द्वारा गोपालशंकर के पुत्र का अपहरण करना। गोपालशंकर का उद्देश्य उसे खोजना भी है।
प्रस्तुत उपन्यास में कहा घात- प्रतिघात और संघर्ष की है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी चाल चलते हैं और एक-दूसरे की चाल को विफल भी करते हैं।
  उपन्यास के यही घटनाक्रम उपन्यास को रोचक बनाते हैं। अदृश्य मानव कौन है वह उपन्यास में कहीं नजर नहीं आता और न ही स्पष्ट होता है। लेकिन उसके साथी अपने कारनामे, संघर्ष जारी रखते हैं। वहीं कोटद्वार रियासत खत्म होने के बाद 'अदृश्य मानव' कोई स्थायी ठिकाना नहीं बना पाता और जो भी अस्थायी ठिकाना था वह भी इस उपन्यास में खत्म हो जाता है।
     जहाँ पण्डित गोपालशंकर 'अदृश्य मानव' में एक मशीन बनाते हैं जो शब्दों को पकड़ती है वहीं इस उपन्यास में वह अदृश्य होने वाली मशीन बनाते हैं(फिल्म मिस्टर इण्डिया की तरह)
- जो मशीन मैं बना रहा हूं उसे बिजली के प्लग से युक्त कर देने पर उसके लेंस से एक विशेष प्रकार से रूपांतरित की हुई एक्सरेज निकलती है और जिस वस्तु पर वह जितनी देर पड़ती है उसे उतनी ही देर के लिए पारदर्शी बना देती है। यदि कोई व्यक्ति एक दिन के लिये दूसरे व्यक्तियों की निगाह से ओझल होना चाहता है, तो वह बड़ी आसानी के साथ इन किरणों की मदद से हो सकता है।
  वहीं अदृश्य मानव ने आवाज पैदा करने वाली मशीन तो बना ही रखी थी। इसके अतिरिक्त एक खतरनाक सूटकेस भी बनाता है। इस उपन्यास में एक 'एटमी रिवाॅल्वर' का निर्माण भी करता है।
-हमने एक विचित्र प्रकार का रिवाल्वर तैयार किया है, जिसमें एक साथ पच्चीस गोली भरी जा सकती हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि प्रत्येक गोली 'एटम कार्टिज' कहलाती है, और एक बार में एक गोली जहाज का चकनाचूर कर सकती है, एक पानी के एक हवाई जहाज में आग लगा सकती है, एक बड़ी भारी विशाल इमारत का नाम- निशान मिटा सकती है।
   प्रस्तुत उपन्यास में पण्डित गोपालशंकर जहाँ स्वयं के हमशक्ल तैयार करता है वहीं उसके साथ उसकी पत्नी जूली और शिष्य गोविन्द सक्रिय होते हैं। उपन्यास 'अदृश्य मानव' में जूली पण्डित गोपालशंकर की सहायक होती है और यहाँ पत्नी।  
अदृश्य मानव के साथियों के पण्डित गोपालशंकर के प्रति विचार देखें-
युवक के चेहरे पर घृणा उभर आई। वह तीखे स्वर में बोला, 'कोई चाहे कितना ही बड़ा पंडित हो, अगर वह अपने ही देशवासियों को गुलाम बनाए रखने में अत्याचारियों की हिमायत करता है, तो हम उससे किसी तरह की रियायत की उम्मीद न कभी करते थे और न अब करते हैं।'
यह उपन्यास बहुत ही रोचक  और दिलचस्प है, हालांकि यह किसी भी परिणाम तक नहीं पहुँचता लेकिन दोनों का का संघर्ष पठनीय है।
प्रस्तुत उपन्यास 'बोलने वाली खोपड़ी' चंदर के 'अदृश्य मानव' सीरीज का रोचक उपन्यास है।
यह एक पठनीय और स्मरणीय रचना है।
उपन्यास- बोलने वाली खोपड़ी

लेखक-         चंदर (आनंद प्रकाश जैन)
प्रकाशक-     कंचन पॉकेट बुक्स, मेरठ
पृष्ठ-             192
प्रथम भाग-   अदृश्य मानव
द्वितीय भाग लिंक- बोलने वाली खोपड़ी
तृतीय भाग लिंक -  भयानक त्रिकोण
चतुर्थ भाग-   शैतानी शिकंजा

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