Friday 24 November 2023

मौत घर- चंदर (आनंद प्रकाश जैन)

भोलाशंकर का 16वां उपन्यास
मौत घर- चंदर (आनंद प्रकाश जैन)

भोलाशंकर चार दिन से परेशान था।
परेशानी की वजह थी नारीत्व की वह पूर्ण प्रतिमा, जिसे वह दिलोजान से चाहता था। वह उसके नाज-नखरे बर्दाश्त करता था । यह भी सही है कि जब उसे कोई एसाइनमेंट मिलता था, तो कभी- कभी वह उसे गचका देकर भी गोल हो जाता था। मगर अक्सर वह उसे कहकर जाता था कि वह कम-से-कम चार दिन, पांच दिन, हफ्ता-दो हफ्ता उसका इंतज़ार न करे, क्योंकि उसकी कम्पनी का मैनेजर बहुत 'हरामी' है, और उसे सूंघ लग गई है कि वह किसी से प्रेम करने लगा है। इसलिए वह कम्पनी का माल बेचने के लिए अपने सबसे बड़े सेल्समैन को लम्बे-लम्बे मोर दूर-दूर के एसाइनमेंट देता है।
        जो भी हो, सविता ने कभी उसके सैल्समैन होने पर विश्वास नहीं किया- खास तौर से इतने बड़े सेल्समैन होने पर कि उसे बार- बार विदेशों का दौरा करना पड़े। मगर वह समझदारी में साधारण लड़कियों को कहीं पीछे छोड़ देती थी, इसलिए उसने कभी भोला- शंकर को ज़िद करके झुठलाया नहीं था, और कभी यह कोशिश भी नहीं की थी कि उसकी असलियत नकलियत का पता लगाए। उसने अपना नियम बना रखा था कि वह रोज सुबह छह बजे और रात को नौ बजे उसे फोन करती थी, और उसका नौकर रामू खुशामदी स्वर में फोन पर उत्तर देता था- 'हाय, बीबी जी, अगर भगवान ने कभी मेरा शादी बनाया, तो हम कभी अपनी बीबी को छोड़कर परदेस नहीं जाएगा।"
(मौत घर उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)

  जासूसी कथा साहित्य में चंदर के उपन्यास काफी रोचक रहे हैं। चंदर का मूल नाम आनंदप्रकाश जैन था जो टाइम्स ऑफ इण्डिया समाचार पत्र में कार्यरत थे और प्रसिद्ध बाल पत्रिका 'पराग' के संपादक रहे हैं। बाल साहित्य के साथ-साथ चंदर ने जासूसी उपन्यास लेखक में नाम कमाया है।
इन्होंने पण्डित गोपालशंकर और भोलाशंकर शंकर सीरीज के उपन्यास लिखे हैं, जो पाठकवर्ग के खूब पसंद रहे हैं।
इन दिनों मैंने चंदर के 'चांद की मल्का', 'मकड़ा सम्राट', 'रूस की रसभरी', 'कोहरे में भोलाशंकर' उपन्यास सतत् पढे हैं।
अब बात करते हैं चंदर द्वारा लिखित उपन्यास 'मौत घर' की, प्राप्त जानकारी अनुसार यह भोलाशंकर शृंखला का सोहलवां उपन्यास है।
   प्रस्तुत उपन्यास वैज्ञानिक लालसा की कहानी प्रस्तुत करता है। विज्ञान जब गलत हाथों में पहुँच जाती है तो वह कितनी विनाशक हो सकती है।
यह कहानी आरम्भ होती है शहर की कुछ लड़कियों के गायब होने से, जिसमें भोलाशंकर की प्रेयसी सविता और 'स्वीप' संस्था की सदस्य मेनका भी शामिल है।
'स्वीप' इन लड़कियों को खोजने की कोशिश आरम्भ ही करती है कि वह  लड़कियों सकुशल अपने घर वापस लौट आती हैं, लेकिन उनमें मेनका और सविता नहीं होती।
   'लोंग लाइफ फार्मेस्युटिकल्स कंपनी' भारत के एक टापू पर अपनी शर्तों के अंतर्गत कार्य शुरु करती है। इस कम्पनी का दावा है की वह मनुष्य के अंगों का निर्माण कर सकती है। मानव जाति के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात हो सकती है लेकिन 'स्वीप' का कम्पनी पर शक है की वह अवश्य कुछ गलत कार्यो में संलिप्त है।
    सविता और मेनका के गायब होने के पीछे कहीं न कहीं, कुछ न कुछ संबंध अवश्य 'लोंग लाइफ फार्मेस्युटिकल्स कंपनी' का है। लेकिन कम्पनी के प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुँच पाना बहुत ही कठिन कार्य है।
'स्वीप' इस कार्य के लिए भोलाशंकर, ब्रह्मचारी सुंदर सिंह और मेनका का चयन करती है।
  अब संघर्ष आरम्भ होता है भोलाशंकर और साथियों का कम्पनी के साथ। कम्पनी के परिक्षेत्र में घुसना मौत के मुँह में जाने के समान है। और अभी तो यह भी पता नहीं की वहाँ मेनका और सविता है या नहीं।
  जैसा पाठकवर्ग को विदित है कथा के अंत में विजयी तो नायक ही होता है। यहाँ भी एक छोटे से संघर्ष के पश्चात भोलाशंकर को विजय प्राप्त होती है और कथा समाप्त हो जाती है।
     उपन्यास में एक तरफ स्वीप नामक जासूसी संस्था के व्यक्ति हैं तो दूसरी तरफ अपराधीवर्ग है जिसमें मैडम डॉक्टर चू, बलशाली कोको, कर्नल कालिन जैसे व्यक्ति हैं।
  डाॅक्टर चू चीन का प्रतिनिधित्व करता है और जिसका उद्देश्य है मानव क्लोन द्वारा सेना तैयार करना। वहीं मैडम मानव क्लोन द्वारा धन अर्जन और विश्व विजेता जे ख्वाब देखती है।
उपन्यास के अधिकांश खलपात्र उपन्यास के समापन पर ही सामने आते हैं जिसके कारण उनके किरदार उभर कर समाने नहीं आ पाते।
वहीं कर्नल कालिन का छोटा सा किरदार कुछ हद तक प्रभावित करता है। उसका बोलने का तरीका जैसे भोलाशंकर को 'माई सन' कहना,बोलने में विनम्रता आदि।     कर्नल कालिन ने मुंह चुभलाते हुए कहा, "हम लड़ना नहीं चाहते। बूढ़े हो गए । तुम्हें अब भी छूट है कि तुम हमारे साथ चुपचाप चलो। डाक्टर चू तुम्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत बना देंगे,  इतनी खूबसूरत कि शीशा भी तुमसे शरमाने लगेगा ।"
  डाक्टर चू की भूमिका और ज्यादा होनी चाहिए थी पर वह बहुत कम है। ऐसा ही मैडम मरीना के साथ हुआ है।
कुछ अन्य बातें-
भोलाशंकर जिस संस्था में काम करता है उसका नाम 'स्वीप' है, जो अत्यंत गुप्त भारतीय जासूसी संस्था है। इस उपन्यास में एक और जानकारी प्राप्त हुयी है और वह यह है कि 'स्वीप' के दो भाग हैं। एक भाग का संचालन पण्डित गोपालशंकर करते हैं और दूसरे भाग का 'मिस्टर बी'। चंदर साहब ने कुछ बाल जासूसी उपन्यास लिखे हैं जिनके नायक 'राम-श्याम' हैं। शायद राम-श्याम को भी 'स्वीप' के सदस्य दिखाया गया है और 'मिस्टर बी' उनके चीफ हैं।
'मौत घर' का यहाँ तात्पर्य 'लोंग लाइफ फार्मेस्युटिकल्स कंपनी' से है जो उसके क्षेत्र में पहुंचने वालों को अत्यंत भयंकर यातनापूर्ण मौत देती है।

चंदर द्वारा लिखित प्रस्तुत उपन्यास कथास्तर पर मध्यम कहा जा सकता है। उपन्यास का अधिकांश भाग भोलाशंकर पर ही केन्द्रित रहता है, खल पात्रों को बहुत कम दर्शया गया है। अगर कम शब्दों में कहे तो प्रस्तुत उपन्यास में भोलाशंकर दुश्मनों के घर में घुस कर उनको खत्म करता है, बस यही कथानक है।
उपन्यास एक बार पढा जा सकता है लेकिन उपन्यास में कहीं कुछ उल्लेखनीय या स्मरणीय कुछ भी नहीं है।
अगर आप आनंदप्रकाश जैन 'चंदर' के उपन्यास पढना पसंद करते हैं तो पढ सकते हैं।

उपन्यास- मौत घर
लेखक    - चंदर
प्रकाशक-  चंदर पॉकेट बुक्स, दिल्ली

चंदर के अन्य उपन्यासों की समीक्षा यहाँ है- चंदर

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