Friday, 21 December 2018

159. आखरी मौका- प्रकाश भारती

लूटेरों को मिला घर वापसी का आखिरी मौका
आखरी मौका- प्रकाश भारती, थ्रिलर उपन्यास।
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प्रकाश भारती अपने समय के एक बेहतरीन उपन्यासकार रहे हैं। इनके लिखे उपन्यासों की कहानियाँ बहुत ही जबरदस्त और अलग प्रकार की होती थी। 
          प्रचलित जासूसी उपन्यासों से अलग हटकर लेखन इनकी विशेषता रही है। 'आठवां अजूबा' और 'काली डायरी' जैसे शानदार उपन्यास प्रकाश भारती जी की कलम की विशेष रचनाएँ हैं।
              प्रकाश भारती जी का उपन्यास 'आखरी मौका' एक डकैती पर आधारित उपन्यास है। बैंक डकैती तो उपन्यास के नेपथ्य में ही है वास्तव में यह उपन्यास डकैती के बाद के घटनाक्रम पर आधारित है। 
आखरी मौका- प्रकाश भारती
टीकम गढ।
      हरिपुर, नारायण गंज और निजारा नदी के उपर शान से सर उठाये खड़े पहाड़ का सबसे ज्यादा ऊँचाई वाला शहर था।
      भारी बख्तरबंद वैन नारायणगंज से अपने अगले पड़ाव टीकमगढ के लिए रवाना हुयी और प्रभावदार चढाई चढने लगी। (पृष्ठ-07)
          इस वैन को कुछ अज्ञात लूटेरे लूट लेते हैं।  पुलिस लाख कोशिश करने के बाद भी लूटेरों का पता न लगा पायी। पुलिस को लाख सिर पटकने के बाद भी नाकामियों का मुँह सेखना पड़ा। तब हकबकाये बैंक अधिकारियों ने 'क्राइम रिपोर्टर अजय' से एक समझौता किया और अजय कूट पड़ा कातिलों और लूटरों से भरी अपराध की उस दलदल में....फिर शुरु हुआ क्राइम रिपोर्टर अजय और अपराधियों के बीच एक रोमांचक व सनसनीखेज जंग.....।             मुख्यतः इस उपन्यास की कहानी यहीं से आरम्भ होती है।  वैन लूटेरों‌ का कोई सबूत नहीं मिलता,  वे एक-एक कर अपने साथियों को मौत के घाट उतार कर भारत से बाहर निकल गये।
              लेकिन क्राइम‌ रिपोर्टर अजय भी आखिर उनको ढूंढ ही लेता है और यहीं से उपन्यास का रोमांच आरम्भ होता है।
              अजय का मिशन है उन लूटेरों को वापस भारत लाने का। दूसरी तरफ मारीशस का भ्रष्ट इंस्पेक्टर मंसूर अली भी लूटेरों के रुपयों के चक्कर में होता है।
              क्या अजय अपने मिशन में सफल हो पायेगा?
              क्या वह लूटेरों को भारत ले आयेगा?
              क्या इंस्पेक्टर उन्हें जाने देगा?

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उपन्यास की कहानी कुछ अलग हटकर है, वह इसलिए की कहानी इस विषय पर आधारित है की अजय को लूटेरों को वापिस भारत लाना है। बैंक वैन‌ लूट तो मात्र आधार है बाकी उपन्यास तो सारा मारीशस से लूटेरे सुरजीत सिंह, पीटर जैक्सन और नीना को भारत लाने की कोशिश पर आधारित है।
   अजय तीन लूटेरों को  एक आखरी मौका देता है भारत वापस चलकर अपने अपराध स्वीकार करने का।
   दूसरी तरफ मारीशस का भ्रष्ट इंस्पेक्टर मंसूर अली भी है जो इन लूटेरों के रुपये पर अपनी गिद्ध दृष्टि जमाये बैठा है। 
     अब लूटेरों के एक तरफ अजय है तो दूसरी तरफ इंस्पेक्टर।
     अजय को लूटेरों को वापस लेकर जाना है और इंस्पेक्टर से भी बचना है।
     इंस्पेक्टर को अजय और लूटेरों दोनों पर नजर रखनी है।
     इस त्रिकोण में‌ कौन सफल होता है और कौन असफल यह पठनीय है।
    उपन्यास में‌ कोई विशेष कहानी नहीं है, बस अजय का बार-बार लूटेरों से निवेदन है की उनके पास एक आखरी मौका है अपना अपराध स्वीकार कर लें। कहानी को अनावश्यक विस्तार दिया गया है। हालांकि बीच-बीच में कुछ रोमांचक पल उपन्यास को बोरियत से बचाते हैं लेकिन कथानक ही इतना कमजोर है की वे रोमांच पल भी उपन्यास को पठनीय नहीं बना सकते।
       उपन्यास में अजय ले अलावा कोई पात्र विशेष नहीं लगता। इंस्पेक्टर मंसूर अली का प्रभाव कुछ हद तक ठीक है। इंस्पेक्टर कोहली की भूमिका भी अनावश्यक लगती है।
निष्कर्ष:-
             उपन्यास की कहानी बैंक लूट के बाद की कहानी है। बाद की भी कहां की....देश से उनको वापस भारत लाने की कथा है। उपन्यास का आनंद आरम्भ में ही खत्म हो जाता है। बाद में अजय उन‌ लूटेरों को भारत लाने की कोशिश करता है।
             उपन्यास एक धीमी गति का थ्रिलर विहीन मध्यम से स्तर से कम का उपन्यास है।
             उपन्यास न पढे तो भी काम चल जायेगा।         
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उपन्यास- आखरी मौका
लेखक-    प्रकाश भारती
प्रकाशक- पवन पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-     ‌‌  - 222
मूल्य      -20₹

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