JAJ और जोकर सीरीज का प्रथम उपन्यास
जोकर जासूस- शुभानंद
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य के अथाह सागर में एक से एक मोती भरे हुये हैं। आप एक डुबकी लगायेगे तो आपको बहुत कुछ मिलेगा। डिजीटल समय में 'किंडल' ने यह काम और भी सरल कर दिया है। इस माह मैंने किंडल का खूब उपयोग किया है। जोकर जासूस- शुभानंद
किंडल पर उपलब्ध शुभानंद जी का उपन्यास 'जोकर जासूस' पढा आज उसी की चर्चा करते हैं। प्रोफेसर अर्थर स्मिथ एक विदेशी वैज्ञानिक था जिसने एक ऐसे हथियार का आविष्कार कर लिया था जिसे पाने के लिये विश्व के कई आतंकवादी संगठन व माफिया लालायित थे। खुफ़िया एजेंसीज़ व पुलिस इस आविष्कार की तह तक पहुंचना चाहती थी । इस बीच अर्थर स्मिथ की रहस्यमय हालातों में मौत हो जाती है और उसकी एक फ़ाइल जिसमे हथियार से सम्बंधित सीक्रेट कोड्स छिपे थे, कई हाथों से होते हुए जोकर नाम के जासूस के हाथ आ जाती है। फ़ाइल पाते ही जोकर अपनी ही एजेंसी से बगावत करते हुए माफिया से जा मिलता है। आविष्कार को खोजते हुए सभी दिग्गज पहुँचते हैं भारत – जहाँ सीक्रेट सर्विस के एजेंट जावेद-अमर-जॉन उनके मंसूबो पर पानी फेरने के लिए तैयार हैं।
लेखक और प्रकाशक शुभानंद जी का 'जोकर जासूस' एक रोचक उपन्यास है। यह जासूस त्रय 'जावेद- अमर- जाॅन'(JAJ) सीरीज का प्रथम उपन्यास है। इस से पूर्व शुभानंद 'राजन-इकबाल रीबोर्न सीरीज' और अन्य उपन्यासों के माध्यम से लेखन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुके हैं।
जैसा की हम बात कर चुके हैं यह JAJ सीरीज का प्रथम उपन्यास है। लेकिन इसके अतिरिक्त इसमें एक औए विशेष पात्र 'जोकर' अपनी पहचान बनाने में JAJ से ज्यादा सफल रहा है। अगर इस उपन्यास को JAJ की बजाय 'जोकर' का बोला जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
उपन्यास की कहानी द्रोवेलिया नामक देश से आरम्भ होती है। जहाँ का एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक मृत्यु के समय एक रहस्यमयी फाइल छोड़ जाता है। और उस फाइल को हर कोई पाना चाहता है। हर कोई मतलब द्रोवेलिया की सरकार, वहां के गुण्डे, वैज्ञानिक का भतीजा, वहां के जासूस और पाकिस्तान के आतंकवादी।
पर वह फाइल भी ऐसी मछली की तरह हर किसी के हाथ से फिसल जाती है।
अच्छा, कुछ लोगों के हाथ वह फाइल लगती है तो वह उसको समझ नहीं पाते। वहीं जिनको फाइल नहीं मिलती वह उस फाइल के लिए व्यग्र हैं। किसी भी स्थिति में उस फाइल को पाना चाहते हैं।
वहीं मध्याह्न के पश्चात कहानी का संबंध भारत से जुड़ जाता है। सारे लोग, सारी मुसीबतें, सारे जासूस, विलेन, आतंकवादी और सारे घटनाक्रम भारतभूमि पर घटित होते हैं। और उन घटनाओं, उन लोगों को रोकने के लिए तैयार है भारतीय जासूस त्रय जावेद- अमर- जाॅन।
उपन्यास में जासूस जोकर की भूमिका सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। हर कोई जोकर की बुद्धि का प्रशंसक है।
- साइमन नम्र स्वर में बोला, “मिस्टर जोकर! हम तुम्हारी बुद्धि के कायल हैं. जानते हैं कि तुम्हारे पास जो दिमाग है, वह तलवार की धार से भी तेज़ है,
खैर जब दुश्मन इतनी प्रशंसा करते हैं तो सोचिये वह स्वयं कैसा होगा, कितना शातिर होगा।
जोकर के शब्दों में- “जोकर नाम है मेरा। अपने आगे-पीछे क्या होता है, हर चीज़ का हिसाब रखता हूँ। क्रिकेट मैच की तरह सब लाइव टेलीकास्ट होता रहता है मेरे दिमाग में।”
हाँ, जोकर का अभी एक कथन बाकी है।
- मौत को जूते की नोक पर रखना मेरी आदत है।
अच्छा, जोकर की जब इतनी चर्चा हो गयी तो एक दृश्य भी देख लीजिए-
इस बार अमर ने उस पर फायर कर दिया, पर जोकर... वह उस जगह पर कहाँ रुका. वह रबड़ के गुड्डे की तरह उछलकर एक तरफ कलाबाजी मारता चला गया। उसकी फुर्ती पर अमर और जॉन को आश्चर्य तो हुआ, पर बिना एक पल गंवाए अमर ने एक और फायर किया।
इस बार जोकर हवा में पाँच फिट ऊपर उछल गया. गोली बेचारी कुंवारी ही शहीद हो गयी।
उपन्यास में 'जोकर' हो या भारतीय जासूस किसी का विस्तृत रूप से परिचय नहीं दिया गया। JAJ सीरीज का यह प्रथम उपन्यास है तो स्वाभाविक है महत्वपूर्ण पात्रों का परिचय देना चाहिये था। आरम्भ में तो यह भी पता नहीं चलता की जोकर जासूस है या अपराधी।
वहीं JAJ के बारे में भी कोई विशेष जानकारी नहीं मिलती। एक जगह कथन है की 'प्रमोशन' हो जाने के कारण जावेद अपने साथी 'अमर और जाॅन' से वरिष्ठ है।
वैसे मुझे पात्र जोकर बहुत पसंद आया। इसके काम की शैली, चालाकी और गिरगिट की तरह रंग बदलना। उपन्यास साहित्य में शुभानंद जी का यह पात्र अपनी विशेष पहचान स्थापित करने में सक्षम होगा, मेरा विश्वास है।
'जोकर जासूस' एक तेज गति का उपन्यास है। जो द्रोवेलिया से लेकर भारत तक विस्तृत है। उपन्यास में उलझन और गति बराबर है। वहीं उपन्यास मध्याह्न से पूर्व तक तो तीव्र गति का है लेकिन जब घटनाएं भारत में घटित होती है तो उपन्यास धीमा और नाटकीय सा प्रतीत होने लगता है। क्योंकि यहाँ कथानक एक्शन पर आधारित है। आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप कोई एक्शन फिल्म देख रहे हैं।
उपन्यास- जोकर जासूस
लेखक - शुभानंद
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स
जावेद- अमर- जाॅन सीरीज -01
'जोकर जासूस' एक तेज गति का उपन्यास है। जो द्रोवेलिया से लेकर भारत तक विस्तृत है। उपन्यास में उलझन और गति बराबर है। वहीं उपन्यास मध्याह्न से पूर्व तक तो तीव्र गति का है लेकिन जब घटनाएं भारत में घटित होती है तो उपन्यास धीमा और नाटकीय सा प्रतीत होने लगता है। क्योंकि यहाँ कथानक एक्शन पर आधारित है। आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप कोई एक्शन फिल्म देख रहे हैं।
उपन्यास- जोकर जासूस
लेखक - शुभानंद
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स
जावेद- अमर- जाॅन सीरीज -01
रोचक लेख...
ReplyDeleteसुंदर समीक्षा के लिये धन्यवाद गुरप्रीत जी
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