बच्चों का संसार
साईकिल- बाल पत्रिका
इस पत्रिका में बच्चों के लिए कहानियाँ, कविताएं और अन्य बाल उपयोगी सामग्री उपलब्ध है।
इस अंक की मुझे विशेष कहानी लगी वह है प्रभात जी द्वारा लिखित कहानी 'घर' यह मनुष्य के मानवेतर संबंधों पर आधारित बहुत ही मार्मिक रचना है। इसके अतिरिक्त मुझे कहानी 'समानता' रोचक लगी, यह एक सनकी राजा की हास्य कथा है।
मिनाक्षी नटराजन का यात्रा वृतांत 'भारत का सफर' ज्ञानवर्धक आलेख है। वहीं सुभद्रा सेनगुप्त का 'कांचीपुरम के पल्लव' छठी शताब्दी के पल्लव वंश की अच्छी जानकारी प्रदान करता है।
इस अंक में कहानियों के अतिरिक्त कविताएँ, आलेख, बाल पहेलियाँ जैसे विविध सामग्री भी उपलब्ध है।
साईकिल पत्रिका एक अच्छा प्रयास है लेकिन प्रस्तुत अंक शामिल रचनाएँ बाल साहित्य की श्रेणी की होती हुए भी मुझे बच्चों के लिए उपयोगी नहीं लगी। अधिकांश रचनाएँ (कहानी, कविता) रोचक नहीं है, इनमें बाल रस होने की जगह बौद्धिकता हावी है।
अगर पत्रिका बच्चों के लिए है रचनाएँ भी उन्हीं के मानसिक स्तर की होनी चाहिए।
अधिकांश रचनाएँ बहुत छोटी हैं लेकिन पृष्ठ पर चित्र बड़े और शब्द छोटे हैं। अधिकांश पृष्ठ तो मात्र चित्रों से भरे गये हैं। हालांकि यह चित्र वाला प्रयोग भी अच्छा है।
इस पत्रिका को हम अगर कागज के स्तर पर देखे तो यह वास्तव में बहुत अच्छे कागज मुद्रित है, लेकिन कहानी के स्तर पर अभी प्रकाशक/संपादक महोदय को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। बच्चों को रोचक और हास्यप्रद कहानियाँ अच्छी लगती हैं लेकिन ये कहानियाँ कुछ अलग श्रेणी की हैं।
पत्रिका- साईकिल
आवृत्ति- द्वि मासिक
प्रकाशक-
पृष्ठ- 68
संपर्क
इस अंक में कहानियों के अतिरिक्त कविताएँ, आलेख, बाल पहेलियाँ जैसे विविध सामग्री भी उपलब्ध है।
साईकिल पत्रिका एक अच्छा प्रयास है लेकिन प्रस्तुत अंक शामिल रचनाएँ बाल साहित्य की श्रेणी की होती हुए भी मुझे बच्चों के लिए उपयोगी नहीं लगी। अधिकांश रचनाएँ (कहानी, कविता) रोचक नहीं है, इनमें बाल रस होने की जगह बौद्धिकता हावी है।
अगर पत्रिका बच्चों के लिए है रचनाएँ भी उन्हीं के मानसिक स्तर की होनी चाहिए।
अधिकांश रचनाएँ बहुत छोटी हैं लेकिन पृष्ठ पर चित्र बड़े और शब्द छोटे हैं। अधिकांश पृष्ठ तो मात्र चित्रों से भरे गये हैं। हालांकि यह चित्र वाला प्रयोग भी अच्छा है।
इस पत्रिका को हम अगर कागज के स्तर पर देखे तो यह वास्तव में बहुत अच्छे कागज मुद्रित है, लेकिन कहानी के स्तर पर अभी प्रकाशक/संपादक महोदय को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। बच्चों को रोचक और हास्यप्रद कहानियाँ अच्छी लगती हैं लेकिन ये कहानियाँ कुछ अलग श्रेणी की हैं।
पत्रिका- साईकिल
आवृत्ति- द्वि मासिक
प्रकाशक-
पृष्ठ- 68
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