Monday, 27 April 2020

301. मौत अब दूर नहीं- अजिंक्य शर्मा

अजिंक्य शर्मा जी का प्रथम उपन्यास
मौत अब दूर नहीं- अजिंक्य शर्मा, मर्डर मिस्ट्री


   हिन्दी लोकप्रिय जासूसी साहित्य में कुछ उपन्यास ऐसे भी नजर आते हैं जो प्रथम दृश्य से ही पाठक के मन में एक अदृश्य प्रभाव पैदा करते है और वह प्रभाव पाठक को पृष्ठ बदलने पर मजबूर कर देता है।
       ऐसा ही एक उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' पढने को मिला। ब्रजेश शर्मा जी जो 'अजिंक्य शर्मा' के उपनाम से उपन्यास लेखन करते हैं उनका (अजिंक्य शर्मा) यह प्रथम उपन्यास है और प्रथम उपन्यास में कहानी, भाषा -शैली, सस्पेंश -रोमांच के साथ जो शब्दों का जाल बिछाया है वह कहीं से भी महसूस नहीं होता की यह लेखक की प्रथम रचना है।

"कल और आएंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले,
मुझसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले"

         उक्त पंक्तियाँ प्रसिद्ध शायर साहिर लुधियानवी की हैं। इन पंक्तियों को यहाँ लिखने का कारण यह है कि कुछ स्वयंनामधान्य लेखक यह कहते हैं की उन जैसा लेखन अब नहीं होगा, जासूसी साहित्य का भविष्य खत्म है, तो उनको अजिंक्य शर्मा के क्रमशः तीनों उपन्यास पढने चाहिए और जिन्होंने पढ लिये उनको पता है कि 'बेहतर कहने वाले और बेहतर सुनने वाले' कभी खत्म नहीं होते, एक से बढकर आते रहेंगे।
         मैंने अजिंक्य शर्मा जी के तीनों उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं', 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' और 'काला साया' पढे हैं और मैं कहता हूँ इस तरह की उत्कृष्ट रचना लोकप्रिय साहित्य में कम ही देखने को मिलती है। लेखक का भविष्य उज्ज्वल है।

      अब चर्चा करें 'मौत अब दूर नहीं' उपन्यास की। यह उपन्यास एक मर्डर मिस्ट्री पर आधारित है। उपन्यास की कहानी आरम्भ होती है वैशाली नगर से।- वैशालीनगर पश्चिमी तटरेखा पर मुम्बई से करीब 100 किलोमीटर दूर समुद्र तट से लगा हुआ एक छोटा शहर था, जिसे केवल वैशाली नाम से भी जाना जाता था। ( उपन्यास अंश)
         कहानी दो बहनों सौम्या और लीना से आरम्भ होती है। सौम्या एक 'ब्लाइंड डेट' पर जाती है लेकिन संयोग कहें या दुर्योग वह उस लड़के से मिल नहीं पाती लेकिन वह किसी और के साथ काॅफी पीने बैठ जाती है। दूसरी तरफ वह 'ब्लाइंड डेट' पर आया वह अनजान व्यक्ति मौत का शिकार हो जाता है।
एक रेस्टोरेंट में हुए कत्ल के साथ शुरू हुआ खूनी सिलसिला...
एक अनजान शख्स, जिसे एक ‘ब्लाइंड डेट’ पर मार दिया जाता है...
एक शातिर और साइकोपैथ हत्यारा जो कत्ल करने के बाद हवा की तरह गायब हो जाता है...
और एक रहस्यमयी चीख...
( उपन्यास से)

- आखिर वह ब्लाइंड डेट क्या थी?
- सौम्या उस ब्लाइंड डेट पर क्यों आयी?
- सौम्या उस व्यक्ति से क्यों नहीं मिल पायी?
- उस व्यक्ति का कत्ल किसने किया?
- उस व्यक्ति का कत्ल क्यों हुआ?
- सौम्या किसके साथ काॅफी पीने बैठ गयी?
- वह रहस्यमय चीख किसकी थी?



        लेखक ने मर्डर मिस्ट्री का जिस तरह से आरम्भ किया है वह प्रति पृष्ठ आपको चकित करेगा। यहाँ किसी से मैं तुलना नहीं कर रहा लेकिन कुछ कहना चाहूंगा- पाठक जी की तरह गहन मर्डर ‌मिस्ट्री और वेदप्रकाश शर्मा जी की तरह रहस्य और उस पर लेखक का प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण कहानी को पठनीय बना देता है।
        लेखक ने प्रथम कत्ल के दौरान ही इतने ट्विस्ट दिये हैं की पाठक हैरत के सागर में डुबकी लगाता नजर आता है। और यह ट्विस्ट जबरन बनाये हुए नहीं है सब कहानी में स्वाभाविक है। और एक अच्छी कहानी में स्वाभाविकता एक अच्छा गुण है।
अभी पहले कत्ल का प्रथम केस भी हल न हुआ था की एक और कत्ल हो गया।
कैसे हुआ?’’-उसने पूछा-‘‘क्या हो गया उसे?’’
‘‘किसी ने...किसी ने गला दबा कर मार दिया।’’
‘‘मार दिया?’’ ‘
‘हां।’’
एक और कत्ल! ये आखिर हो क्या रहा था? कपिल ने पुलिस स्टेशन की दीवार पर टंगी घड़ी पर नजर डाली। कल रात की घटना को ऐन 24 घंटे होने को आ रहे थे। 24 घंटे के अंदर दूसरा कत्ल। वैशाली जैसे शांत शहर के लिए ये सामान्य बात नहीं थी।

       और हत्यारा पुलिस की दृष्टि से दूर था, सिर्फ दूर ही नहीं उनके अनुमानों से भी दूर था। वह तो विक्षिप्त मानसिकता का परिचायक सा लगता था। - " हत्यारा कोई ऐसा शख्स है’’-अर्नव एक-एक शब्द पर जोर देता हुआ बोला-‘‘जो न सिर्फ कत्ल करने जितना वहशी दिमाग रखता है बल्कि उस वहशी दिमाग में ये खब्त भी रखता है कि अपने शिकार को मौत को घाट उतारने के बाद उसके खून से दीवार पर संदेश भी लिख दे कि अच्छा हुआ जान छूटी।’’
      पुलिस विभाग दूसरे कत्ल की जांच भी नहीं कर पाया की एक पात्र गायब हो गया।
कत्ल और कत्ल फिर गायब होने का यह प्रकरण पुलिस के लिए परेशानी का कारण था।
उपन्यास में जो कहानी का आधार बनाया है वह बिलकुल अलग तरह का है। उस आधार से उपजी कई घटनाएं ऐसी खूनी वारदातों को जन्म देती हैं‌
        हमें कभी-कभी जो सामान्य नजर आता है वह इतना अस्वाभाविक होता है की हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते है। मलिका माधव भी यही कहती है कि उसे यह सब सामान्य लगता था।
        वहीं क्लेयर की भूमिका हालांकि इस उपन्यास में विशेष नहीं है लेकिन लेखक ने कहा है की वे क्लेयर पर एक अलग उपन्यास लिखेंगे। हालांकि इस उपन्यास में क्लेयर का चरित्र और उसके द्वारा बतायी गयी बाते क्लियर नहीं होती।

लेखक ने कहानी के साथ-साथ कुछ विषयों को भी उठाया है। यह एक अच्छे लेखक की विशेषता भी है कि वह वर्तमान समय की घटनाओं को साक्षी बनाता है। वह कुछ विषयों को अपने लेखन में स्थान देता है।
वर्तमान लुप्त होते जासूसी साहित्य पर लेखक ने अपने विचार व्यक्त किये है।
- उपन्यास कौन पढ़ता है आजकल? टीवी, इंटरनेट, मोबाइल खा गए नॉवेल्स को।’’
‘‘तुझे क्या पता? अब भी उपन्यास पढऩे वालों की कमी नहीं है। अब तो सोशल मीडिया का जमाना है। उपन्यास प्रेमियों ने तो सोशल मीडिया पर ग्रुप बना रखे हैं। अपने पसंदीदा लेखकों के नाम से अलग-अलग ग्रुप्स भी हैं। यहां तक कि अपने पसंदीदा लेखकों से मिलने के लिए मीट्स भी आयोजित करते हैं, जिनमें पाठकगण एकत्र होते हैं और उनके विशेष अनुरोध पर कभी कभी लेखक स्वयं भी आते हैं। मेरे पसंदीदा लेखक का नाम...।’’

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जहाँ लोग पुलिस को भ्रष्ट और नाकारा मानते हैं, उपन्यासों में भी ऐसा ही दिखाया जाता है वहीं लेखक ने प्रस्तुत उपन्यास में पुलिस को ही हीरो के रूप में दर्शाया है और पुलिस की भावनाओं को भी अच्छी तरह से उकेरा है।
- पुलिस का काम इतना अधिक भावनात्मक और शारीरिक तनाव वाला होता है कि सुबह से शाम तक ड्यूटी करने के बाद पूरा शरीर टूटने लगता है, मन टूटने लगता है। उस पर तमाम तरह के राजनैतिक प्रपंच, दबाव और उल्टे-सीधे काम भी पुलिस के मत्थे मढ़ दिए जाते हैं, जो पुलिस को करने ही पड़ते हैं लेकिन बदले में पुलिस को क्या मिलता है?

उपन्यास के पात्र-
उपन्यास में आये अभी मुख्य पात्र अपना विशेष प्रभाव छोड़ते हैं। अगर गौण पात्रों‌ को गौण कर दिया जाये तो बाकी सभी पात्रों के साथ लेखक ने न्याय किया है।
सौम्या- मुख्य पात्र
लीना- सौम्या की बहन
कपिल- पुलिस इंस्पेक्टर
अमन - सब इंस्पेक्टर
अर्णव- कपिल का मित्र
विजय माधव - डाॅक्टर
मलिका माधव- विजय की पत्नी
शिवानी- डाॅक्टर
अभिषेक- डाॅक्टर
क्लेयर- एक उपन्यास पात्र
जाॅन स्मिथ- क्लेयर का पिता
श्यामलाल - रेस्टोरेंट मालिक
रानी- रेस्टोरेंट कर्मचारी
विजय भटनागर- डाॅक्टर
कमलेश्वर और वीर सिंह- अस्पताल कर्मचारी
मेनका लोखण्डे- वीर सिंह की पड़ोसी
मालती माथुर- सौम्या की पडोसी
शीना सक्सेना- विशेष पात्र
रवि शुक्ला- विशेष पात्र

अर्नव मेहरा- कपिल मिश्रा-का जिगरी दोस्त था। वो एक छ: फुट से भी ऊंचे कद का हट्टा-कट्टा आदतन क्लीन शेव्ड रहने वाला नौजवान था, जो किसी हॉलीवुड हीरो जैसा दिखता था।

      यह उपन्यास चाहे मर्डर मिस्ट्री पर आधारित है पर इसमें आपको परम्परागत उपन्यासों से एक अलग अनुभव प्राप्त होगा। जैसा आपने ज्यादातर उपन्यासों में पढा एक कत्ल और फिर जासूस का एक एक आदमी से बयान लेने की नीरस घटनाएं और अंत में कातिल का पर्दाफाश करना अब तक हमने यही पढा है लेकिन इस उपन्यास में लेखक ने रोमांच का एक ऐसा पुट दिया है की पाठक कहीं भी नीरसता अनुभव नहीं करता।
      प्रथम घटना से ही एक रहस्य बन जाता है की आखिर यह क्या हुआ और क्यों हुआ? इन रहस्यों से पर्दा उठान के लिए कहीं कोई जासूस नहीं है, है तो एक पुलिस इंस्पेक्टर। वैसे अधिकांश उपन्यासों में कत्ल के मामले में पुलिस कुछ नहीं करती लेकिन यहाँ पुलिस एक्टिव है।
मर्डर मिस्ट्री आधारित रहस्य से परिपूर्ण यह उपन्यास आपका सार्थक और भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।

उपन्यास- मौत अब दूर नहीं
लेखक - अजिंक्य शर्मा (ब्रजेश शर्मा)
प्रकाशन- ebook on kindle
पृष्ठ-     234
किंडल लिंक- मौत अब दूर नहीं

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