एक रहस्यमयी मर्डर मिस्ट्री
काला साया- अजिंक्य शर्मा
गिरिराज वर्मा शहर के नामी वकील थे। वकील होने के साथ ही वे बेहद संपन्न भी थे क्योंकि उनके पास पुरखों की छोड़ी गई अच्छी-खासी जायदाद भी थी और कुछ कम्पनियों के शेयर भी थे, जिनसे वे खूब मुनाफा कूटते थे। यानि पैसों की उनके पास कोई कमी नहीं थी। हिल रोड पर उनका एक घर था.......और इसी बीच गिरिराज वर्मा के हिल रोड स्थित घर में उनका कत्ल हो गया। गिरिराज वर्मा की लाश उनके घर के स्टडी रूम में उस रिवॉल्विंग चेयर पर पाई गई, जिस पर वो बैठा करते थे। रिवॉल्वर की गोली ने उनकी कनपटी में सुराख कर दिया था और रिवॉल्वर लाश के पास ही फर्श पर पड़ी मिली थी, जैसे हाथ से फिसल कर गिर पड़ी हो।
जैसे जैसे इस कत्ल की खोजबीन आगे बढी तो नये-नये तथ्य शामिल होते गये। कुछ लोगों के दावे बहुत ही अजीब थे तो कुछ लोग गिरीराज वर्मा के चरित्र पर संदेह करते थे।
- एडवोकेट गिरिराज वर्मा समाज में बेहद प्रतिष्ठित, सम्मानित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। लोग उसके आदर्श चरित्र की मिसालें देते नहीं थकते थे।
- लेकिन जब एक रात उसी के घर में, बेहद रहस्यमयी ढंग से उसकी हत्या हो गई तो ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले राज सामने आए कि लोग हैरान रह गए।
- कौन थी सनाया गौतम, गिरिराज वर्मा ने मरने से पहले-या यूं कहें कि मारे जाने से पहले-अपनी पूरी जायदाद जिसके नाम कर दी थी।
- क्या अधेड़ावस्था में एकाकी जीवन बिता रहे गिरिराज वर्मा को अपने जीवन में ‘चीनी कम’ लगने लगी थी, जिसके चलते उसने अपने सिद्धांतों से समझौता कर लिया था?
या वो ऐसी जहरीली नागिन के जाल में फंस गया था, जिसके जहर का कोई तोड़ नहीं था।
- या फिर गिरिराज वर्मा पर सचमुच किसी चुडै़ल का काला साया था?
जानने के लिए पढ़ें एक तेजरफ्तार मर्डर मिस्ट्री
'काला साया'
लोगों का दावा था की गिरीराज वर्मा के घर पर एक लड़की रहती थी।
कुछ लोगों का कहना है लड़की रहती जरूर थी पर दिखाई किसी को नहीं देती थी?
कुछ लोगों का कहना है कि इस घर पर 'काला साया' है?
- कुछ लोगों का दावा कि गिरीराज वर्मा समय के साथ चरित्र से गिर गये थे?
असंख्य लोग और असंख्य बातें थी। लेकिन मजे की बात तो यह है जिसके नाम प्रॉपर्टी की उसका कहीं 'अता-पता' ही नहीं।
तो क्या वह लड़की वास्तव में काला साया थी।
यह तो खैर उपन्यास पढने पर ही पता चलेगा की सत्य क्या है और अफवाह क्या है। लेकिन उपन्यास के विषय में इतना अवश्य कहा जा सकता है की कहानी बहुत दमदार है। लेखक ने जो रोमांच का मसाला पेश किया है वह एक अच्छे पाठक को तृप्त करने में पूर्णतः सक्षम है।
यह अजिंक्य शर्मा जी का तृतीय उपन्यास है। इससे पूर्व उनके दो उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' और 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' भी काफी चर्चित रह चुके हैं। इन उपन्यासों के दमपर उन्होंने पाठक वर्ग पर एक अच्छी पकड़ बना ली है। नये कथानक और प्रतिभावान लेखकों को देखकर लगता है कि लोकप्रिय जासूसी साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है। उपन्यास चाहे संख्या में कम आये पर जो आयेंगे वे यादगार ही होंगे।
उपन्यास मर्डर पर आधारित है तो यह है इसमें एक डिटेक्टिव भी होगा लेकिन लेखक ने डिटेक्टिव को कहीं हावी नहीं होने दिया। डिटेक्टिव, पुलिस और मृतक के पुत्र तीनों में संतुलन रखा है। यह एक अच्छा प्रयास भी है।
जैसा मैने इनके पूर्व दो उपन्यास में पढा है, इनके उपन्यासों में पुलिस की छवि अच्छी और सराहनीय दिखाई गयी है। इसके लिए लेखक महोदय धन्यवाद के पात्र हैं।
इस उपन्यास को पढने के पश्चात इस पर समीक्षा लिखी थी पर पता नहीं वह कैसे उपन्यास से लुप्त हो गयी। इसलिए दोबारा लिखा, हालांकि पहले जितनी सार्थक और विस्तृत तो नहीं लिख पाया, क्योंकि जो तथ्य पहले 'NOTE' किये थे वे सब भी उसी के साथ चले गये।
फिर भी एक बात कहना चाहूंगा। आप एक बार उपन्यास पढें, उपन्यास आपका भरपूर मनोरंजन करने में समर्थ है।
लेखक ने उपन्यास में एक नया प्रयोग किया है जो मुझे बेहद अच्छा लगा। वह है उपन्यास में कोरोना वायरस का जिक्र। कोरोना वायरस के तहत एयरपोर्ट पर जांच करना, इसके अतिरिक्त अन्य जगह भी वर्णन है और लेखकीय में भी lockdown का वर्णन मिलता है।
उपन्यास में हास्य पुट भी है। उपन्यास के अंतिम दो शब्द पढकर मैं बहुत देर तक हँसता रहा, सिर्फ दो शब्द।
मर्डर मिस्ट्री आधारित यह उपन्यास कुछ अलग ट्विस्ट लेकर हाजिर है। कहानी में घुमाव शानदार है, हर पल रोचकता बनी रहती है।
क्या आपने यह उपन्यास पढा है? अगर पढा है तो बताये की आपको यह उपन्यास 'कईसा लगा?'
उपन्यास- काला साया
लेखक- अजिंक्य शर्मा
प्रकाशन- ebook on kindle
पृष्ठ- 235
किंडल लिंक- काला साया- अजिंक्य शर्मा
काला साया- अजिंक्य शर्मा
गिरिराज वर्मा शहर के नामी वकील थे। वकील होने के साथ ही वे बेहद संपन्न भी थे क्योंकि उनके पास पुरखों की छोड़ी गई अच्छी-खासी जायदाद भी थी और कुछ कम्पनियों के शेयर भी थे, जिनसे वे खूब मुनाफा कूटते थे। यानि पैसों की उनके पास कोई कमी नहीं थी। हिल रोड पर उनका एक घर था.......और इसी बीच गिरिराज वर्मा के हिल रोड स्थित घर में उनका कत्ल हो गया। गिरिराज वर्मा की लाश उनके घर के स्टडी रूम में उस रिवॉल्विंग चेयर पर पाई गई, जिस पर वो बैठा करते थे। रिवॉल्वर की गोली ने उनकी कनपटी में सुराख कर दिया था और रिवॉल्वर लाश के पास ही फर्श पर पड़ी मिली थी, जैसे हाथ से फिसल कर गिर पड़ी हो।
जैसे जैसे इस कत्ल की खोजबीन आगे बढी तो नये-नये तथ्य शामिल होते गये। कुछ लोगों के दावे बहुत ही अजीब थे तो कुछ लोग गिरीराज वर्मा के चरित्र पर संदेह करते थे।
- लेकिन जब एक रात उसी के घर में, बेहद रहस्यमयी ढंग से उसकी हत्या हो गई तो ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले राज सामने आए कि लोग हैरान रह गए।
- कौन थी सनाया गौतम, गिरिराज वर्मा ने मरने से पहले-या यूं कहें कि मारे जाने से पहले-अपनी पूरी जायदाद जिसके नाम कर दी थी।
- क्या अधेड़ावस्था में एकाकी जीवन बिता रहे गिरिराज वर्मा को अपने जीवन में ‘चीनी कम’ लगने लगी थी, जिसके चलते उसने अपने सिद्धांतों से समझौता कर लिया था?
या वो ऐसी जहरीली नागिन के जाल में फंस गया था, जिसके जहर का कोई तोड़ नहीं था।
- या फिर गिरिराज वर्मा पर सचमुच किसी चुडै़ल का काला साया था?
जानने के लिए पढ़ें एक तेजरफ्तार मर्डर मिस्ट्री
'काला साया'
लोगों का दावा था की गिरीराज वर्मा के घर पर एक लड़की रहती थी।
कुछ लोगों का कहना है लड़की रहती जरूर थी पर दिखाई किसी को नहीं देती थी?
कुछ लोगों का कहना है कि इस घर पर 'काला साया' है?
- कुछ लोगों का दावा कि गिरीराज वर्मा समय के साथ चरित्र से गिर गये थे?
असंख्य लोग और असंख्य बातें थी। लेकिन मजे की बात तो यह है जिसके नाम प्रॉपर्टी की उसका कहीं 'अता-पता' ही नहीं।
तो क्या वह लड़की वास्तव में काला साया थी।
यह तो खैर उपन्यास पढने पर ही पता चलेगा की सत्य क्या है और अफवाह क्या है। लेकिन उपन्यास के विषय में इतना अवश्य कहा जा सकता है की कहानी बहुत दमदार है। लेखक ने जो रोमांच का मसाला पेश किया है वह एक अच्छे पाठक को तृप्त करने में पूर्णतः सक्षम है।
यह अजिंक्य शर्मा जी का तृतीय उपन्यास है। इससे पूर्व उनके दो उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' और 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' भी काफी चर्चित रह चुके हैं। इन उपन्यासों के दमपर उन्होंने पाठक वर्ग पर एक अच्छी पकड़ बना ली है। नये कथानक और प्रतिभावान लेखकों को देखकर लगता है कि लोकप्रिय जासूसी साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है। उपन्यास चाहे संख्या में कम आये पर जो आयेंगे वे यादगार ही होंगे।
उपन्यास मर्डर पर आधारित है तो यह है इसमें एक डिटेक्टिव भी होगा लेकिन लेखक ने डिटेक्टिव को कहीं हावी नहीं होने दिया। डिटेक्टिव, पुलिस और मृतक के पुत्र तीनों में संतुलन रखा है। यह एक अच्छा प्रयास भी है।
जैसा मैने इनके पूर्व दो उपन्यास में पढा है, इनके उपन्यासों में पुलिस की छवि अच्छी और सराहनीय दिखाई गयी है। इसके लिए लेखक महोदय धन्यवाद के पात्र हैं।
इस उपन्यास को पढने के पश्चात इस पर समीक्षा लिखी थी पर पता नहीं वह कैसे उपन्यास से लुप्त हो गयी। इसलिए दोबारा लिखा, हालांकि पहले जितनी सार्थक और विस्तृत तो नहीं लिख पाया, क्योंकि जो तथ्य पहले 'NOTE' किये थे वे सब भी उसी के साथ चले गये।
फिर भी एक बात कहना चाहूंगा। आप एक बार उपन्यास पढें, उपन्यास आपका भरपूर मनोरंजन करने में समर्थ है।
लेखक ने उपन्यास में एक नया प्रयोग किया है जो मुझे बेहद अच्छा लगा। वह है उपन्यास में कोरोना वायरस का जिक्र। कोरोना वायरस के तहत एयरपोर्ट पर जांच करना, इसके अतिरिक्त अन्य जगह भी वर्णन है और लेखकीय में भी lockdown का वर्णन मिलता है।
उपन्यास में हास्य पुट भी है। उपन्यास के अंतिम दो शब्द पढकर मैं बहुत देर तक हँसता रहा, सिर्फ दो शब्द।
मर्डर मिस्ट्री आधारित यह उपन्यास कुछ अलग ट्विस्ट लेकर हाजिर है। कहानी में घुमाव शानदार है, हर पल रोचकता बनी रहती है।
क्या आपने यह उपन्यास पढा है? अगर पढा है तो बताये की आपको यह उपन्यास 'कईसा लगा?'
उपन्यास- काला साया
लेखक- अजिंक्य शर्मा
प्रकाशन- ebook on kindle
पृष्ठ- 235
किंडल लिंक- काला साया- अजिंक्य शर्मा
उपन्यास के प्रति रुचि जगाता आलेख। उपन्यास जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी।
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