प्यार और त्याग की मार्मिक कहानी।
सांझ हुई घर आए- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा।
ओमप्रकाश शर्मा जी को जनप्रिय लेखक क्यों कहा जाता है? यह सहज सा प्रश्न पाठकों के मन में उठता होगा। जनप्रिय वह होता है जिसे जनता प्यार करती है। अब ओमप्रकाश शर्मा जी के नाम के साथ 'जनप्रिय लेखक' शब्द कैसे लगा यह अलग विषय हो सकता है, लेकिन इनका उपन्यास 'सांझ हुई घर आए' पढकर यह महसूस हुआ की ओमप्रकाश शर्मा जी वास्तव में जनप्रिय लेखक शब्द के हकदार हैं।
'सांझ हुई घर आए' लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का एकमात्र ऐसा उपन्यास है जो किसी राज्य स्तर या सरकारी स्तर पर पुरस्कृत हुआ हो। प्रस्तुत उपन्यास उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत है।
प्रेम और त्याग को आधार बना कर लिखा गया उपन्यास पाठक के मन को अंदर तक झंकृत कर देता है। जहां प्रेम है वहाँ नाराजगी भी है। अपनापन भी है तो गुस्सा भी है। इन बातों को आधार बनाकर लिखा गया यह उपन्यास एक अमूल्य रचना बनकर उभरा है।
अशोक एक सीधा-सादा लड़का है जो अपनी बहन बेला के साथ रहता है। अशोक की सहपाठी हेमा इन दोनों की मित्र है।
अशोक जहां शांत स्वभाव का है वहीं हेमा हर बात पर तंज कसने वाली लड़की है। इस बात पर अक्सर दोनों में अनबन रहती है, लेकिन इन दोनों के बीच अशोक की बहन बेला भी है जो दोनों को पुनः मिला देती है।
अशोक अंतर्मुखी है। हेमा के कहे कुछ शब्द उसकी जिंदगी को विरान कर देते हैं। अशोक गुस्से और नफरत में कुछ ऐसे कृत्य कर बैठता है जो उसके जीवन के न खत्म होने वाले जख्म बन जाते हैं। अब उसे इंतजार है तो मौत का। मैं एक बदकिस्मत इन्सान हूँ। बस, खामोश मौत का इंतजार कर रहा हूँ। (पृष्ठ-79)
जिंदगी हेमा की भी आसान नहीं है। कुछ गलतफहमियां और परिस्थितियाँ उसे एक नये मोड़ पर ले जाती हैं लेकिन जो उसके जीवन में घटित हो गया वह भूल नहीं पाती। "दुनिया में सबसे दुखदाई बात यह है कि जो हो गया वह भूलाया नहीं जा सकता।"(पृष्ठ-107)
अशोक, हेमा, बेला, विश्वनाथ और संतोष आदि के जीवन के इर्दगिर्द घूमती यह रचना सहृदय पाठक की भावनाओं छूने में सक्षम है।
कम शब्दों में और उपन्यास के पात्र संतोष के शब्दों में उपन्यास का सार देख लीजिएगा- दुखी... जीवन में धन, व्यापार सभी कुछ विष के समान लगता है और फिर केवल बरबादी रह जाती है। (पृष्ठ-129)
प्रेम, त्याग और आपसी मनमुटाव पर आधारित यह उपन्यास आँखें नम कर देने वाला एक मार्मिक उपन्यास है।
सामाजिक उपन्यास प्रेमियों के लिए यह एक बहुत अच्छी रचना है। एक बार पढकर कुछ अलग आनंद लीजिएगा।
'साँझ हुई घर आए' जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का एक यादगार उपन्यास है। उपन्यास प्रेमियों के लिए अनमोल रचना।
पठनीय और संग्रहणीय।
उपन्यास- सांझ हुई घर आए
लेखक- ओमप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- जनप्रिय पब्लिकेशन
पृष्ठ- - 176
हम्म.. मैंने आजतक ओमप्रकाश शर्मा जी का लिखा कुछ भी नहीं पढ़ा। कुछ उपन्यास हैं मेरे पास। जल्द ही उन्हें पढता हूँ। यह कहीं मिला तो उन्हें भी पढ़ने की कोशिश करूँगा।
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